राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (1-Dec-2020)
NOTA के पक्ष में अधिकतम मतदान होने पर पुनः चुनाव कराया जाए: याचिका
(Re-election on maximum voting in favor of NOTA: Petition)

Posted on December 1st, 2020 | Create PDF File

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हाल ही में, एक वकील द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गयी है, जिसमें किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा (’उपरोक्त में से कोई भी नहीं’ विकल्प) / NOTA (‘None of the above’ option) के पक्ष में अधिकतम मतदान होने पर पुनः चुनाव कराए जाने के संदर्भ में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गयी है।इसके अलावा, NOTA से पराजित वाले किसी भी उम्मीदवार को नए सिरे से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

 

यदि मतदाताओं द्वारा NOTA के पक्ष में मतदान करके उम्मीदवारों को खारिज कर दिया जाए, तो नए चुनावों में राजनीतिक दलों को पुनः उन्ही उम्मीदवारों को उतारने पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए। राजनीतिक दलों को यह स्वीकार करना चाहिए कि मतदाताओं ने पहले ही अपने असंतोष को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर दिया है।अस्वीकार करने का अधिकार (Right to Reject) और नए उम्मीदवार का चुनाव, मतदाताओं को अपना असंतोष व्यक्त करने की शक्ति देगा।अस्वीकार करने का अधिकार/ राईट टू रिजेक्ट, भ्रष्टाचार, अपराधीकरण, जातिवाद, सांप्रदायिकता पर अंकुश लगाएगा। राजनीतिक दल, ईमानदार और देशभक्त उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए विवश होंगे।



अस्वीकार करने का अधिकार (Right to Reject) को पहली बार वर्ष 1999 में विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित किया गया था।इसी तरह, चुनाव आयोग ने, पहली बार वर्ष 2001 में, जेम्स लिंगदोह (तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त) के तहत, ‘राइट टू रिजेक्ट’ का समर्थन किया और इसके पश्चात वर्ष 2004 में टी.एस. कृष्णमूर्ति (तत्कालीन CEC) द्वारा प्रस्तावित चुनावी सुधारों में इसका समर्थन किया गया।इसके अलावा, वर्ष 2010 में कानून मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ‘चुनावी सुधारों पर आवश्यक पत्र’ (Background Paper on Electoral Reforms) ने प्रस्ताव किया गया था कि एक निश्चित प्रतिशत सीमा से अधिक नकारात्मक मतदान होने पर चुनाव परिणाम को शून्य घोषित करके नए चुनाव आयोजित कराए जाने चाहिए।

 

उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2013 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए NOTA का विकल्प निर्धारित किया गया था।वर्ष 2014 में निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यसभा चुनावों में NOTA का विकल्प लागू किया गया था।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में उम्मीदवारों की सूची के अंत में NOTA का विकल्प होता है। इससे पहले, एक नकारात्मक मतदान करने के लिए, मतदाता को मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी को सूचित करना पड़ता था। वर्तमान में, NOTA वोट के लिए पीठासीन अधिकारी की आवश्यकता नहीं होती है।

 

चुनावी उम्मीदवारों के प्रति असंतुष्ट होने पर, NOTA आम लोगों को अपनी नापसंदगी व्यक्त करने का अवसर देता है।यह, अधिक लोगों द्वारा अधिक मतदान करने की संभावना को बढ़ाता है, भले ही वे किसी भी उम्मीदवार का समर्थन न करते हों, और इससे फर्जी वोटों की संख्या में भी कमी होती है।इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि नकारात्मक मतदान “चुनावों में एक संस्थागत बदलाव ला सकता है और इससे राजनीतिक दलों को स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को पेश करने के लिए विवश होना पड़ेगा”।