अर्थव्यवस्था समसामयिकी 1(17-Mar-2023)
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास को मिला 'गवर्नर ऑफ द ईयर' का अवार्ड
(RBI Governor Shaktikant Das Receives 'Governor of the Year' Award)

Posted on March 17th, 2023 | Create PDF File

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास को सेंट्रल बैंकिंग अवार्ड्स 2023 में 'गवर्नर ऑफ द ईयर' अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

 

इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिसर्च जर्नल सेंट्रल बैंकिंग द्वारा इस अवार्ड शो का आयोजन किया गया था। 

 

दास दूसरे ऐसे भारतीय गवर्नर है जिन्हें इस अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

 

इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिसर्च जर्नल सेंट्रल बैंकिंग ने चुनौतीपूर्ण समय में उनकी बेहतर लीडरशिप के लिए यह अवार्ड दिया गया है।

 

शक्तिकांत दास दिसंबर 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर बने थे। 

 

उसके बाद कोविड महामारी का चुनौतीपूर्ण दौर शुरू हो गया था, उस मुश्किल समय में उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाला।

 

उसके बाद यूक्रेन संकट के समय उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा काम किया, साथ ही उन्होंने मुद्रास्फीति सहित कई संकटों के समय वित्तीय बाजार को चलाने में अहम भूमिका निभाई जिस कारण उन्हें इस इस अवार्ड से सम्मानित किया गया है। 

 

साथ ही अवार्ड आयोजकों ने भी उनके लीडरशिप की तारीफ की है।

 

पीएम मोदी ने एक ट्वीट सन्देश में कहा कि ''यह हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात है कि RBI गवर्नर, श्री शक्तिकांत दास जी को केंद्रीय बैंकिंग पुरस्कार 2023 में 'गवर्नर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें बधाई।”

 

रघुराम राजन भी प्राप्त कर चुके हैं सम्मान :

 

गवर्नर शक्तिकांत दास से पहले यह अवार्ड आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को दिया जा चुका है। 

 

उन्हें भी यह अवार्ड बेहतर प्रबंधन के लिए दिया गया था।

 

अवार्ड समारोह में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि "युद्ध के लिए तैयार रहने वाले पारंपरिक और अपरंपरागत दोनों उपायों को शामिल करते हुए, वायरस से निपटने के लिए युद्ध का प्रयास शुरू किया जाना चाहिए है, और इसे सींक जा रहा है तरीका"

 

द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सेंट्रल बैंकिंग :

 

द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सेंट्रल बैंकिंग (IJCB) एक आर्थिक रिसर्च जर्नल है। 

 

यह मौद्रिक नीति के क्षेत्र में नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए एक प्रोफेशनल रिसर्च बनाने के लिए कई केंद्रीय बैंकों के निर्णय के बाद 2005 में प्रकाशन शुरू किया था।