राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (25-Feb-2021)
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग
(Rashtriya Kamdhenu Aayog)

Posted on February 25th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog – RKA) द्वारा “स्वदेशी गाय विज्ञान” परीक्षा को रद्द कर दिया गया। आयोग के इस कदम की, नकली दावों और छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए आलोचना की गयी थी ।पशुपालन विभाग ने कहा है कि ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग’ को इस तरह की परीक्षा आयोजित करने के लिए ‘कोई अधिदेश’ प्राप्त नहीं था।

 

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने 25 फरवरी को एक राष्ट्रीय “कामधेनु गौ विज्ञान प्रसार परीक्षा” आयोजित करने संबंधी एक घोषणा की थी।इस परीक्षा के लिए तैयार की गई संदर्भ सामग्री में कई अवैज्ञानिक दावे किए गए थे, जिसमें रेडियोधर्मिता के खिलाफ संरक्षित देशी गायों के गोबर की उपयोगिता, उनके दूध में सोने के निशान, तथा और भूकंप के कारणों में गोहत्या, आदि शामिल थे।राष्ट्रीय कामधेनु आयोग को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का समर्थन हासिल था, तथा UGC ने इस परीक्षा का प्रचार भी किया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया।

 

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog- RKA) का गठन वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गायों और गौवंश के संरक्षण, सुरक्षा और विकास तथा पशु विकास कार्यक्रम को दिशा प्रदान करने के लिए किया गया था।यह मवेशियों से संबंधित योजनाओं के बारे में नीति बनाने और कार्यान्वयन को दिशा प्रदान करने के लिए एक उच्च स्तरीय स्थायी सलाहकार संस्था है।राष्ट्रीय कामधेनु आयोग, ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के अभिन्न अंग के रूप में कार्य करेगा।

 


राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के कार्य:

 

* मौजूदा कानूनों, नीतियों की समीक्षा करना और साथ ही उन्नत उत्पादन और उत्पादकता हेतु गौ-धन के इष्टतम आर्थिक उपयोग के लिए उपाय सुझाना, ताकि कृषि आय में वृद्धि तथा डेयरी किसानों के लिए बेहतर व गुणवत्तापूर्ण जीवन की प्राप्ति हो सके।


* गायों के संरक्षण, संरक्षण, विकास और कल्याण से संबंधित नीतिगत मामलों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सलाह देना और मार्गदर्शन करना।


* जैविक खाद के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु योजनाओं को बढ़ावा देना और रासायनिक खादों के उपयोग को कम करने हेतु किसानों द्वारा जैविक खाद में गाय के गोबर व मूत्र के उपयोग के लिए प्रोत्साहन योजनाओं सहित उपयुक्त उपायों की सिफारिश करना।


* गौशालाओं और गो-सदनों को तकनीकी जानकारी प्रदान करके देश में परित्यक्त गायों से संबंधित समस्याओं के समाधान संबंधी प्रावधान करना।


* चारागाहों और गौशालाओं को विकसित करना तथा इनके विकास हेतु निजी या सार्वजनिक संस्थानों या अन्य निकायों के साथ सहयोग करना।