राष्ट्रीय समसामयिकी 2 (29-Apr-2021)
पाइथन-5 मिसाइल
(Python-5 Missile)

Posted on April 29th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में डीआरडीओ ने हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘पाइथन-5’ (Python-5) का पहला परीक्षण किया है।

 

पाइथन-5 मिसाइल (Python-5 Missile)

 

‘पाइथन-5’ (Python-5), 5वीं पीढ़ी की मिसाइल है। इसका विकास डीआरडीओ ने किया है।

 

यह एक एयर-टू-एयर मिसाइल (Air-to-Air Missile) है।

 

हाल ही में सफल परीक्षणों के बाद, भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ ने 5वीं पीढ़ी की ‘पाइथन-5’ नामक एयर-टू-एयर मिसाइल (Air-to-Air Missile) को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है।

 

मिसाइल/प्रक्षेपास्त्र (Missile)

प्रक्षेपास्त्र (मिसाइल), ऐसी वस्तु (object) होती है जिसका उपयोग दूर स्थित लक्ष्य को भेदने में किया जाता है। तकनीकी भाषा में प्रक्षेपास्त्र एक स्व-चालित (Self-Propelled) और लक्ष्य निर्देशित उड़ान हथियार है, जिसका उपयोग लक्ष्य को नष्ट करने के उद्देश्य से वॉरहेड (Warhead) को एक निश्चित स्थान तक वहन (Carry) करने के लिए किया जाता है।

 

प्रक्षेपास्त्र तंत्र (Missile System) में निम्नलिखित तत्व/क्रियाविधियाँ शामिल हैं-

प्रक्षेपास्त्र लाँचिंग प्रणाली (missile launching system)

लक्ष्य टैकिंग प्रणाली (target tracking system)

निर्देशन और नियंत्रण तंत्र (guidance and control system)

वॉरहेड (warhead)

 

प्रक्षेपास्त्रों का वर्गीकरण (Missile classification)

प्रक्षेपास्त्रों का वर्गीकरण उनके प्रक्षेपण पथ (Projectile Path) , लॉन्च मोड (Launch Mode) , मारक क्षमता (Range) , प्रणोदक के प्रकार (Type Of Propulsion) , वॉरहेड (Warhead) और निर्देशन प्रणालियों (Guidance Systems) के आधार पर किया जाता है।

 

प्रक्षेप पथ के आधार पर प्रक्षेपास्त्र दो प्रकार के होते हैं- क्रूज व बैलिस्टिक मिसाइल।

 

जबकि प्रक्षेपण मोड के आधार पर प्रक्षेपास्त्र निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -

सतह से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र; जैसे-पृथ्वी ,अग्नि आदि।

सतह से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र ; जैसे-त्रिशूल,आकाश आदि।

सतह से समुद्र में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र; जैसे-निर्भय, शौर्य आदि।

हवा से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र ; जैसे-अस्त्र आदि।

हवा से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र ; जैसे-ब्रहमोस, हेलिना आदि।

समुद्र से समुद्र में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र;जैसे- K-15 आदि।

समुद्र से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र;जैसे-धनुष आदि।

एन्टीटैंक मिसाइल;जैसे-नाग आदि।

 

भारत में प्रक्षेपास्त्र विकास हेतु समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (IGMDP) के बारे में

भारत ने प्रतिरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए 1983 में एक महत्वकांक्षी परियोजना ‘समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम’(Integrated Guided Missile Development Programme-IGMDP) की आधरशिला रखी तथा इस कार्यक्रम के अन्तर्गत किए जाने वाले अनुसंधान और विकास की जिम्मेदारी ‘रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन’(डीआरडीओ) को सौंपी।

 

इस कार्यक्रम का उद्देश्य निर्देशित प्रक्षेपास्त्र, अर्द्ध स्वचालित प्रक्षेपास्त्र तथा गति के आधार पर निर्देशित प्रक्षेपास्त्र बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित करना था।

 

भारतीय प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का महत्वपूर्ण सहयोग मिला है( विशेषकर प्रणोदकों के संबंध में तथा इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के विकास में)।

 

आईजीएमडीपी के तहत चार मिसाइल प्रणालियों का विकास किया गया है। ये हैं- जमीन से जमीन पर मार करने वाले कम दूरी के प्रक्षेपास्त्र (अग्नि और पृथ्वी), जमीन से आकाश में मार करने वाले मध्यम दूरी के प्रक्षेपास्त्र (आकाश), जमीन से आकाश में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्र (त्रिशूल), तीसरी पीढ़ी के टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र (नाग) और K -मिसाइल परिवार।

 

क्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बारे में

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research and Development Organization-DRDO) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है।

 

यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है।

 

इसकी स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी।

 

वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में कार्यरत हैं।