घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Protection of Womens From Domestic Violence Act, 2005)
Posted on March 23rd, 2020 | Create PDF File
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Protection of Womens From Domestic Violence Act, 2005)-
घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण के लिए भारत “घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005” बनाया गया है। यह अधिनियम 26 अक्तूबर, 2006 से प्रभावी हुआ। इस अधिनियम में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा को स्पष्ट करते हुए इसे निम्नलिखित चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
1.शारीरिक हिंसा
2. लैंगिक हिंसा
3. मौखिक और भावनात्मक हिंसा
4. आर्थिक हिंसा
1. शारीरिक हिंसा (Physical Violence): इसके अंतर्गत निम्नलिखित व्यवहारों को शामिल किया गया है-
* मारपीट करना
* थप्पड़ मारना
* ठोकर मारना
* दाँत से काटना
* लात मारना
* मुक्का मारना
* धकेलना
* किसी अन्य तरह से शारीरिक पीड़ा या क्षति पहुँचाना आदि।
2. लैंगिक हिंसा (Sexual Violence): इसके अंतर्गत निम्नांकित व्यवहारों को रखा गया है-
* बलात् लैंगिक मैथुन।
* अश्लील साहित्य या कोई अन्य अश्लील तस्वीर देखने के लिए विवश करना।
* दुर्व्यवहार करने, अपमानित करने या नीचा दिखाने हेतु लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य कार्य करना जिससे सम्मान को चोट पहुँचती हो।
3. मौखिक और भावनात्मक हिंसा (Verbal and Emotional Violence): इसके अंतर्गत निम्नांकित व्यवहारों को रखा गया है-
* अपमान करना
* गालियाँ देना
* चरित्र और आचरण पर दोषारोपण
* पुत्र न होने पर अपमानित करना
* दहेज इत्यादि न लाने पर अपमानित करना
* नौकरी करने से निवारित करना
* नौकरी छोड़ने के लिए दबाव डालना
* विवाह नहीं करने की इच्छा पर भी विवाह के लिए विवश करना
* पसंद के व्यक्ति से विवाह करने से रोकना
* किसी विशेष व्यक्ति के साथ विवाह करने के लिए विवश करना
* आत्महत्या करने की धमकी देना
* कोई अन्य मौखिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार इत्यादि ।
4. आर्थिक हिंसा (Economic Violence): अधिनियम में आर्थिक हिंसा के श्रेणी में जिन व्यवहारों को रखा गया है, वे इस प्रकार हैं--
* बच्चों के अनुरक्षण के लिए धन उपलब्ध न कराना।
* बच्चों के लिए खाना, कपड़े और दवाइयाँ उपलब्ध न कराना।
* रोजगार करने से रोकना अथवा उसमें बाधा पहुँचाना।
* वेतन से प्राप्त आय को ले लेना ।
* निर्धारित वेतन न देना ।