राज्य समसामयिकी 1(12-May-2022)
पंजाब में हरी खाद को प्रोत्साहन
(Promotion of green manure in Punjab)

Posted on May 12th, 2022 | Create PDF File

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पंजाब सरकार इन दिनों ‘हरी खाद’ (Green Manure) की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए, राज्य सरकार द्वारा बीजों के लिए 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी प्रदान की जा रही है।

 

हरी खाद:

 

‘हरी खाद’ (Green Manure), विशेष रूप से मिट्टी की उर्वरता और विन्यास को बनाए रखने के लिए उगाई जाने वाली फसलें होती हैं।

 

ये फसलें, आम तौर पर तैयार होने पर सीधे ही खेत में जोत दी जाती हैं, या इनकी कटाई करके तथा खाद बनाकर खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है।

 

42-56 दिन की फसल होने पर ‘हरी खाद की किस्मों’ को मिट्टी में मिला दिया जाता है।

 

उदाहरण :

हरी खाद की मुख्यतः तीन किस्में – ढैंचा (Dhaincha), लोबिया (Cowpea), सनई (Sunhemp)- होती हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य फसलें जैसे ग्रीष्मकालीन मूंग, दलहन (mash pulses) और ग्वार (Guar) आदि भी हरी खाद का काम करती हैं।

 

फ़ायदे :

 

हरी खाद, मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि करने में सहायक होती है।

 

सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करती है।

 

अकार्बनिक उर्वरकों की खपत को कम करती है।

 

जैविक खाद का एक अच्छा विकल्प होती है।

 

हरी खाद, पोषक तत्वों का संरक्षण करती है, नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि करती है और मृदा-विन्यास को स्थिर करती है।

 

यह शीघ्रता से विघटित होती है और प्रचुर मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और दुर्बल अम्लों को मुक्त करती है, जो पौधों के विकास के लिए पोषक तत्वों को मुक्त करने हेतु अघुलनशील मृदा खनिजों के साथ अभिक्रिया करते हैं।

 

हरी खाद में, 15 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ शुष्क पदार्थ होता है, जिसमें फास्फोरस, पोटेशियम, जस्ता, तांबा, लोहा और मैंगनीज शामिल होते है, तथा 20 से 40 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन होता है।

 

पंजाब में हरी खाद का महत्व :

 

पंजाब की प्रति हेक्टेयर उर्वरक खपत – लगभग 244 किलोग्राम- देश में सबसे अधिक है और राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है।

 

हरी खाद, इस खपत को 25 से 30% तक काफी हद तक कम कर सकती है और किसानों के लिए इनपुट लागत में काफी बचत कर सकती है।

 

यूरिया, डायमोनियम फॉस्फेट (DAP) जैसे रासायनिक उर्वरकों के नियमित उपयोग से मृदा में – खासकर चावल की खेती की जाने वाली मृदा में, लौह और जस्ता जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे उत्पादकता प्रभावित होती है।

 

पंजाब के कई हिस्सों में मिट्टी का पीएच स्तर 8.5 और 9 प्रतिशत से अधिक है। हरी खाद इसे संतुलित रखने में मदद करती है।