अर्थव्यवस्था समसामयिकी 1 (18-October-2021)
मूल्य स्थिरीकरण कोष
(Price Stabilisation Fund)

Posted on October 18th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, देश में प्याज, टमाटर और आलू की कीमतें पिछले वर्ष (अर्थात् 2020) की तुलना में कम हैं। 

 

कीमतों में नरमी बनाए रखने के लिये प्रभावी बाज़ार हस्तक्षेप के उद्देश्य से मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) के तहत उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा प्याज के बफर का रख-रखाव किया जाता है।

 

PSF :

 

वर्ष 2014-15 में स्थापित PSF चुनिंदा कमोडिटी (वस्तुओं) कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता की स्थिति के समाधान के लिये बनाया गया एक फंड है। 

 

इस तरह की वस्तुएँ सीधे किसानों या किसान संगठनों से फार्म गेट/मंडी पर खरीदी जाती हैं और उपभोक्ताओं को अधिक किफायती मूल्य पर उपलब्ध कराई जाती हैं।

 

केंद्र और राज्यों को होने वाली हानि, यदि कोई हो, को प्रक्रिया में साझा किया जाता है।

 

फंड में उपलब्ध राशि का उपयोग आमतौर पर उच्च/निम्न कीमतों को कम करने/ऊपर लाने के उद्देश्य से की जाने वाली गतिविधियों के लिये किया जाता है, उदाहरण के लिये कुछ वस्तुओं का अधिग्रहण और उचित समय पर उनका वितरण ताकि लागत एक सीमा के भीतर बनी रहे।

 

ऋण उपलब्ध कराना :

 

PSF योजना राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) और केंद्रीय एजेंसियों को उनकी कार्यशील पूंजी तथा अन्य खर्चों को वित्तपोषित करने के लिये ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करती है, जिसे वे ऐसी वस्तुओं की खरीद और वितरण में खर्च कर सकते हैं जिनकी कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।

 

1 अप्रैल, 2016 को PSF योजना को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया था। 

 

फंड प्रबंधन :

 

यह एक ‘मूल्य स्थिरीकरण कोष प्रबंधन समिति’ (PSFMC) द्वारा केंद्रीय रूप से प्रबंधित है जो सभी राज्य सरकारों और केंद्रीय एजेंसियों के प्रस्तावों को मंज़ूरी देता है।

 

कॉर्पस फंड का नियंत्रण :

 

‘स्मॉल फार्मर्स एग्रीबिज़नेस कंसोर्टियम’ (SFAC) ‘मूल्य स्थिरीकरण कोष’ को एक केंद्रीय कॉर्पस फंड के रूप में नियंत्रित करता है। ‘स्मॉल फार्मर्स एग्रीबिज़नेस कंसोर्टियम’ कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि को निजी उद्यमों, निवेश और प्रौद्योगिकी से जोड़ने हेतु स्थापित एक सोसायटी है।

 

संबंधित योजनाएँ :

 

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किये गए ‘ऑपरेशन ग्रीन’ (OG) का उद्देश्य दूध के लिये ‘ऑपरेशन फ्लड’ (अमूल मॉडल) की तर्ज पर ‘टमाटर, प्याज और आलू’ (TOP) की मूल्य शृंखला को इस प्रकार विकसित करना है कि यह सुनिश्चित हो सके कि उपभोक्ता के रुपए का अधिक हिस्सा किसानों को मिले और उनके उत्पादों की कीमतें स्थिर रहें।

 

वर्ष 2021 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए सरकार ने घोषणा की थी कि ‘ऑपरेशन ग्रीन’ (OG) को ‘TOP’ के साथ-साथ 22 अन्य जल्द खराब होने वाले उत्पादों तक विस्तारित किया जाएगा।