पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 2 (16 -Sept-2020)^सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने की नीति (Policy on Promotion of City Compost)
Posted on September 16th, 2020
वर्ष 2016 में शहरी अपशिष्ट को संसाधित और उपयोग करने हेतु सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने की नीति को मंजूरी दी गई थी।इस नीति के तहत, उर्वरक कंपनियों को सिटी कम्पोस्ट (शहरी अपशिष्ट से बनने वाली खाद) को बढ़ावा देने तथा विपणन करने के लिए प्रति टन सिटी कम्पोस्ट पर 1,500 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।इस नीति का कार्यान्वयन रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
उपयुक्त बाजार के अभाव तथा अप्रभावी कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप इस बहुप्रचारित योजना को वांछित लोकप्रियता नहीं मिल सकी है।इसके अलावा, खाद की उच्च उत्पादन और बिक्री लागत, आपत्तिजनक उत्पाद गुणवत्ता, किसानों के लिए किसी प्रत्यक्ष प्रोत्साहन / सब्सिडी की कमी तथा ज्ञान की कमी आदि अन्य कारणों से सिटी कम्पोस्ट किसानों के मध्य एक लोकप्रिय विकल्प नहीं बन पाया है।
वर्तमान में, भारत में प्रतिदिन करीब 1.5 लाख टन ठोस अपशिष्ट का उत्पादन होता है, तथा भारत के विभिन्न शहरों में इसका 30 प्रतिशत से 70 प्रतिशत भाग जैव निम्नीकरणीय (Biodegradable) होता है। इसका मतलब यह है, कि गीले कचरे को संसाधित करके प्राकृतिक रूप से खाद बनाने की काफी क्षमता मौजूद है।
कचरे की जगहों पर जैविक अपशिष्ट के अनियंत्रित विघटन से हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। अतः, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उपयुक्त निपटान तंत्र को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना अनिवार्य है।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 2 (16 -Sept-2020)सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने की नीति (Policy on Promotion of City Compost)
वर्ष 2016 में शहरी अपशिष्ट को संसाधित और उपयोग करने हेतु सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने की नीति को मंजूरी दी गई थी।इस नीति के तहत, उर्वरक कंपनियों को सिटी कम्पोस्ट (शहरी अपशिष्ट से बनने वाली खाद) को बढ़ावा देने तथा विपणन करने के लिए प्रति टन सिटी कम्पोस्ट पर 1,500 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।इस नीति का कार्यान्वयन रसायन और उर्वरक मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
उपयुक्त बाजार के अभाव तथा अप्रभावी कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप इस बहुप्रचारित योजना को वांछित लोकप्रियता नहीं मिल सकी है।इसके अलावा, खाद की उच्च उत्पादन और बिक्री लागत, आपत्तिजनक उत्पाद गुणवत्ता, किसानों के लिए किसी प्रत्यक्ष प्रोत्साहन / सब्सिडी की कमी तथा ज्ञान की कमी आदि अन्य कारणों से सिटी कम्पोस्ट किसानों के मध्य एक लोकप्रिय विकल्प नहीं बन पाया है।
वर्तमान में, भारत में प्रतिदिन करीब 1.5 लाख टन ठोस अपशिष्ट का उत्पादन होता है, तथा भारत के विभिन्न शहरों में इसका 30 प्रतिशत से 70 प्रतिशत भाग जैव निम्नीकरणीय (Biodegradable) होता है। इसका मतलब यह है, कि गीले कचरे को संसाधित करके प्राकृतिक रूप से खाद बनाने की काफी क्षमता मौजूद है।
कचरे की जगहों पर जैविक अपशिष्ट के अनियंत्रित विघटन से हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। अतः, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उपयुक्त निपटान तंत्र को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना अनिवार्य है।