अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (6-Aug-2020)^चावल की पोक्कली किस्म (Pokkali Variety of Rice)
Posted on August 6th, 2020
चावल की पोक्कली (Pokkali) किस्म खारे जल के प्रतिरोध के लिये जानी जाती है और इसकी पैदावार केरल के तटीय ज़िलों अलाप्पुझा (Alappuzha), एर्नाकुलम (Ernakulam) एवं त्रिशूर (Thrissur) में की जाती है।
20 मई, 2020 को पश्चिम बंगाल में अम्फान (Amphan) चक्रवात आने के कारण सुंदरवन क्षेत्र में धान के खेतों में समुद्री जल/खारा जल भराव की समस्या उत्पन्न हो गई है। समुद्री जल भराव की समस्या के कारण पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले के किसान केरल की पोक्कली किस्म की रोपाई कर रहे हैं।
फ्रांसिस कैलाथंगल (Francis Kalathungal) जो पोक्कली संरक्षण समिति का हिस्सा है, ने केरल से पाँच किलो पोक्कली की वाइटिला-11 किस्म को रोपाई के लिये पश्चिम बंगाल भेजा है।वाइटिला-11 किस्म को केरल कृषि विश्वविद्यालय के वाइटिला (Vytilla) में स्थित फील्ड स्टेशन ने विकसित किया है।अन्य चावल की किस्मों की तुलना में वाइटिला-11 किस्म की पैदावार लगभग 5 टन प्रति हेक्टेयर है। और इस फसल की अवधि लगभग 110 दिन है।
अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (6-Aug-2020)चावल की पोक्कली किस्म (Pokkali Variety of Rice)
चावल की पोक्कली (Pokkali) किस्म खारे जल के प्रतिरोध के लिये जानी जाती है और इसकी पैदावार केरल के तटीय ज़िलों अलाप्पुझा (Alappuzha), एर्नाकुलम (Ernakulam) एवं त्रिशूर (Thrissur) में की जाती है।
20 मई, 2020 को पश्चिम बंगाल में अम्फान (Amphan) चक्रवात आने के कारण सुंदरवन क्षेत्र में धान के खेतों में समुद्री जल/खारा जल भराव की समस्या उत्पन्न हो गई है। समुद्री जल भराव की समस्या के कारण पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले के किसान केरल की पोक्कली किस्म की रोपाई कर रहे हैं।
फ्रांसिस कैलाथंगल (Francis Kalathungal) जो पोक्कली संरक्षण समिति का हिस्सा है, ने केरल से पाँच किलो पोक्कली की वाइटिला-11 किस्म को रोपाई के लिये पश्चिम बंगाल भेजा है।वाइटिला-11 किस्म को केरल कृषि विश्वविद्यालय के वाइटिला (Vytilla) में स्थित फील्ड स्टेशन ने विकसित किया है।अन्य चावल की किस्मों की तुलना में वाइटिला-11 किस्म की पैदावार लगभग 5 टन प्रति हेक्टेयर है। और इस फसल की अवधि लगभग 110 दिन है।