राष्ट्रीय समसामयिकी 2(22-Sept-2022)
पीएम प्रणाम योजना
(PM Pranam Scheme)

Posted on September 22nd, 2022 | Create PDF File

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राज्यों को प्रोत्साहित करके रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा ‘पीएम प्रणाम’ अर्थात कृषि प्रबंधन हेतु वैकल्पिक पोषक तत्त्वों का संवर्द्धन (PM PRANAM -Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana) योजना शुरू की गयी है।

 

कोई अलग बजट नहीं : इस योजना का अलग से कोई बजट नहीं होगा और इसे उर्वरक विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के तहत “मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत” के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।

 

सब्सिडी बचत का 50%, उस राज्य को अनुदान के रूप में दिया जाएगा जो पैसा बचाता है।

 

योजना के तहत प्रदान किए गए अनुदान का 70% – गाँव, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरकों और वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयों के तकनीकी अपनाने से संबंधित – परिसंपत्ति सृजन के लिये उपयोग किया जा सकता है।

 

शेष 30% अनुदान राशि का उपयोग, उर्वरक उपयोग में कमी और जागरूकता पैदा करने में शामिल किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत करने तथा प्रोत्साहित करने के लिये किया जा सकता है।

 

इस उद्देश्य के लिये, उर्वरक मंत्रालय के डैशबोर्ड, एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (Integrated Fertilizer Management System – iFMS) पर उपलब्ध डेटा का उपयोग किया जाएगा।

 

उर्वरक उपयोग और सब्सिडी की स्थिति :

 

देश में चार उर्वरकों- यूरिया, डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP), नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (NPK) की कुल आवश्यकता में, 2017-2018 से 2021-2022 के बीच 21% की वृद्धि हुई है।

 

रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी-व्यय 2022-2023 में बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 1.62 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से 39% अधिक है।

 

वर्ष के खाद्यान्न उत्पादन का लगभग आधा, दलहन का एक तिहाई और लगभग दो-तिहाई तिलहन ‘खरीफ मौसम’ (जून-अक्टूबर) में होता है। इस मौसम के लिए उर्वरक की एक बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है।