पिट्स इंडिया ऐक्ट, 1784 (Pitt's India Act, 1784)
Posted on April 21st, 2020 | Create PDF File
पिट्स इंडिया ऐक्ट, 1784 के लाए जाने के कारण -
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रेगुलेटिंग ऐक्ट की कमियों को दूर करने के लिए इस ऐक्ट को पारित किया गया था
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ब्रिटिश संसद कंपनी के ऊपर अपने नियंत्रण को और बढ़ाना चाहती थी - एक संसदीय समिति का गठन किया गया - इस समिति की अनुशंसा के आधार पर पिट्स इंडिया ऐक्ट पारित किया गया
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आंग्ल - मराठा संघर्ष के तहत हुई राजनैतिक घटनाएँ -
“इस ऐक्ट से संबंधित विधेयक ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री पिट द यंगर ने संसद में प्रस्तुत किया तथा 1784 में ब्रिटिश संसद ने इसे पारित कर दिया ”
1784 के अधिनियम के प्रावधान -
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गवर्नर जनरल की शक्ति को बढ़ा दिया गया
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गवर्नर जनरल के आदेश को अन्य प्रांतों के लिए बाध्यकारी बना दिया गया
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मद्रास तथा बम्बई के गवर्नरों की सहायता के लिए तीन - तीन सदस्यीय परिषदों का गठन किया गया
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इसने कंपनी के राजनीतिक और वाणिज्यिक कार्यों को पृथक - पृथक कर दिया
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व्यापारिक मामलों के लिए - कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स - नियुक्ति अंशधारिता के आधार पर
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राजनीतिक मामलों के लिए - बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल - राजा द्वारा मनोनयन
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उपरोक्त दोनों बोर्ड लंदन में कार्यरत थे
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एक प्रकार की द्वैत शासन व्यवस्था (कंपनी एवं ब्रिटिश क्राउन)
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बोर्ड ओफ़ कंट्रोल को यह शक्ति थी कि वह ब्रिटिश नियंत्रित भारत में सभी नागरिक, सैन्य व राजस्व गतिविधियों का अधीक्षण एवं नियंत्रण करे
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इस अधिनियम में प्रथम बार कंपनी के अधीन क्षेत्र को ‘ब्रिटिश आधिपत्य का क्षेत्र कहा गया’
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ब्रिटिश सरकार को भारत में कंपनी के कार्यों और इसके प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान किया गया
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कंपनी के समस्त सैन्य व नागरिक अधिकारियों को अपनी भारत व ब्रिटेन में उपस्थित सभी संपत्ति का ब्यौरा अपनी नियुक्ति के दो माह के भीतर कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स को देना होगा
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गवर्नर जनरल एवं परिषद को बम्बई एवं मद्रास प्रांतों के प्रजातंत्र, युद्ध और कर सम्बन्धी सभी मामलों पर पूर्ण अधिकार प्रदान किया गया
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गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गयी - इसने गवर्नर जनरल की शक्ति में और अधिक विस्तार किया
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कंपनी के समस्त सैन्य व नागरिक अधिकारियों को अपनी भारत व ब्रिटेन में उपस्थित सभी संपत्ति का ब्यौरा अपनी नियुक्ति के दो माह के भीतर कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स को देना होगा
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गवर्नर जनरल एवं परिषद को बम्बई एवं मद्रास प्रांतों के प्रजातंत्र, युद्ध और कर सम्बन्धी सभी मामलों पर पूर्ण अधिकार प्रदान किया गया
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गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गयी - इसने गवर्नर जनरल की शक्ति में और अधिक विस्तार किया
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गवर्नर जनरल की तीन सदस्यीय कार्यकारिणी परिषद का एक सदस्य कमांडर इन चीफ़ को बनाया जाएगा