राज्य समसामयिकी 1(4-Feb-2023)^ऑपरेशन सद्भावना^(Operation Sadbhavna)
Posted on February 6th, 2023
'ऑपरेशन सद्भावना' द्वारा लद्दाख के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिये भारतीय सेना कई कल्याणकारी गतिविधियाँ चला रही है, जैसे कि आर्मी गुडविल स्कूल, इन्फ्रा-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स, एजुकेशन टूर आदि। भारतीय सेना वर्तमान में लद्दाख क्षेत्र में 'ऑपरेशन सद्भावना' के तहत 7 आर्मी गुडविल स्कूल चला रही है।
इन स्कूलों में वर्तमान में 2,200 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं।
इस पहल के माध्यम से (वित्त वर्ष 22-23 में) लद्दाख में विभिन्न दूरदराज़ के स्थानों पर चिकित्सा शिविर, पशु चिकित्सा शिविर, चिकित्सा उपकरण, चिकित्सीय बुनियादी ढाँचे का उन्नयन के साथ चिकित्सा सहायता केंद्रों को स्टाफ भी प्रदान किये गए हैं।
लद्दाख के दूरदराज़ के क्षेत्रों में महिलाओं को ऑपरेशन सद्भावना के माध्यम से वित्तपोषित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों, महिला सशक्तीकरण केंद्रों और कंप्यूटर केंद्रों में भी शामिल किया जा रहा है।
ऑपरेशन सद्भावना भारतीय सेना द्वारा शुरू की गई एक अनूठी मानवीय पहल है और आतंकवाद से प्रभावित लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु 1990 के दशक में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में इसे औपचारिक रूप प्रदान किया गया था।
राज्य समसामयिकी 1(4-Feb-2023)ऑपरेशन सद्भावना(Operation Sadbhavna)
'ऑपरेशन सद्भावना' द्वारा लद्दाख के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिये भारतीय सेना कई कल्याणकारी गतिविधियाँ चला रही है, जैसे कि आर्मी गुडविल स्कूल, इन्फ्रा-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स, एजुकेशन टूर आदि। भारतीय सेना वर्तमान में लद्दाख क्षेत्र में 'ऑपरेशन सद्भावना' के तहत 7 आर्मी गुडविल स्कूल चला रही है।
इन स्कूलों में वर्तमान में 2,200 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं।
इस पहल के माध्यम से (वित्त वर्ष 22-23 में) लद्दाख में विभिन्न दूरदराज़ के स्थानों पर चिकित्सा शिविर, पशु चिकित्सा शिविर, चिकित्सा उपकरण, चिकित्सीय बुनियादी ढाँचे का उन्नयन के साथ चिकित्सा सहायता केंद्रों को स्टाफ भी प्रदान किये गए हैं।
लद्दाख के दूरदराज़ के क्षेत्रों में महिलाओं को ऑपरेशन सद्भावना के माध्यम से वित्तपोषित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों, महिला सशक्तीकरण केंद्रों और कंप्यूटर केंद्रों में भी शामिल किया जा रहा है।
ऑपरेशन सद्भावना भारतीय सेना द्वारा शुरू की गई एक अनूठी मानवीय पहल है और आतंकवाद से प्रभावित लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु 1990 के दशक में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में इसे औपचारिक रूप प्रदान किया गया था।