101वां संशोधन अधिनियम, 2016 (One Hundred and First Constitutional Amendment, 2016)

Posted on May 18th, 2022 | Create PDF File

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101वां संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान के संशोधित प्रावधान-

 

इस संशोधन ने देश में वस्तु और सेवा कर (वस्तु और सेवा कर) शासन की शुरूआत का मार्ग प्रशस्त किया। वस्तु और सेवा कर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगाए जा रहे अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा। इसके द्वारा करों के कैस्केडिंग प्रभाव को हटाने और वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय बाजार प्रदान करने का लक्ष्य है। प्रस्तावित केंद्रीय और राज्य वस्तु और सेवा कर उन सभी वस्तुओं पर लगाया जाएगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति शामिल है, सिवाय उन सभी के जो वस्तु और सेवा कर के दायरे से बाहर रखे गए हैं। तदनुसार, संशोधन में निम्नलिखित प्रावधान किए गये है:

 

1.वस्तुओं और सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के प्रत्येक लेनदेन पर वस्तु और सेवा कर लगाने के लिए कानून बनाने के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं को समवर्ती कर लगाने की शक्तियां प्रदान की गई।

 

2.इसने संविधान के तहत 'विशेष महत्व के घोषित सामान की अवधारणा को खारिज कर दिया।

 

3.वस्तुओं और सेवाओं के अंतर-राज्यीय लेनदेन पर एकीकृत वस्तु और सेवा कर के लगाने के लिए प्रदान किया गया।

 

4.राष्ट्रपति के आदेश से एक वस्तु और सेवा कर परिषद की स्थापना।

 

5.पांच साल की अवधि के लिए वस्तु और सेवा कर की शुरूआत के कारण राजस्व के 'नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजे का प्रावधान किया।

 

6.सातवीं अनुसूची को संघ और राज्य सूची में कुछ प्रविष्टियों को प्रतिस्थापित और लोप किया गया।