आधिकारिक बुलेटिन - 2 (23-May-2020)
‘विश्व कछुआ दिवस’ के अवसर पर, जल शक्ति मंत्री ने जलीय जानवरों को बचाने का आह्वान किया
(On World Turtle Day, Jal Shakti Minister gives clarion call to save aquatic animals)

Posted on May 24th, 2020 | Create PDF File

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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के साथ मिलकर, जैव विविधता संरक्षण पहल फेज II में इसका परियोजना साझेदार, आज (23 May) ‘विश्व कछुआ दिवस’ के अवसर को एक वेबिनार के माध्यम से मनाया, जिसमें व्यापक रूप से हिस्सेदारी की गई। एनएमसीजी के महानिदेशक, राजीव रंजन मिश्रा, डब्ल्यूआईआई के निदेशक, डॉ धनंजय मोहन, एनएमसीजी के स्कूली बच्चे और डब्ल्यूआईआई टीम के सदस्यगण और गंगा वाले पांच राज्यो के गंगा प्रहरी और गंगा प्रहरियों के संरक्षकों ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

 

विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर टीम को दिए गए अपने विशेष संदेश में, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जैव विविधता भारतीय संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है और वास्तव में कछुओं के महत्व को समझते हुए अनादिकाल से हमारी संस्कृति में उनकी पूजा होती रही है। उन्होंने कहा, कछुए हमारे जल संसाधनों की सफाई करते रहे हैं और वे उस काम को पूरा करने के लिए हमसे शुल्क नहीं वसूलते हैं। उनके और अन्य वन्यजीवों का संरक्षण करने के लिए, एनएमसीजी ने संरक्षण केंद्रों की स्थापना करने और इन विषयों के संदर्भ में जन जागरूकता उत्पन्न करने सहित कई विषयों पर पहल की है।

 

श्री राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि गंगा क्वेस्ट क्विज के बारे में जानकारी को प्रतिभागियों के साथ जानकारी साझा की गई है, जिसकी अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 मई 2020 कर दिया गया है, जिससे द्वारा दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों की भागीदारी को अधिकतम किया जा सके। उन्होंने कहा कि गंगा क्वेस्ट क्विज न केवल एक बहुत ही रोचक प्रतिस्पर्धा है बल्कि लोगों में गंगा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और सहयोगी बनाने का एक माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि मैं 10 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले सभी लोगों से गंगा क्वेस्ट में भागेदारी करने की अपील करता हूं।

 

इस अवसर पर, ऑनलाइन मंच का उपयोग करते हुए विश्व कछुआ दिवस चित्रकला, स्लोगन लेखन और निबंध प्रतियोगिताओं के विजेताओं की घोषणा की गई। इस ऑनलाइन प्रतियोगिता में, भारत और विदेश के विभिन्न हिस्सों से आए बच्चों ने योगदान किया।

 

इस दिन को चिन्हित करने के लिए, श्री शेखावत द्वारा बच्चों के लिए कछुओं पर लिखी गई कहानी पुस्तक, "बिना वेतन करें सफाई" का विमोचन किया गया। इस किताब में, कछुए के संदर्भ में दिलचस्प कहानियों को शामिल किया गया है। श्री शेखावत द्वारा अभिनव प्रकार से लिखी गई इस पुस्तक की सराहना की गई, जो कि नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में कछुओं के महत्व पर प्रकाश डालती है और हमारी नदी प्रणालियों में कछुओं के संरक्षण में योगदान करने के लिए सभी लोगों से अनुरोध करती है।

 

इस वेबिनार में, बच्चों के लिए कछुओं पर दिलचस्प तथ्यों पर एक चित्रित कहानी भी दिखाई गई। यह चित्रित कहानी, उन्हें कछुए के लिए और उनके प्रति अलग-अलग खतरों के बारे में कुछ रोचक तथ्यों की प्रस्तुत करती है।

 

प्रतिभागियों के लिए "गंगा नदी बेसिन मे कछुए" पर एक वृत्तचित्र का भी प्रदर्शन किया गया। इस वृत्तचित्र को लोगों के लिए, गंगा नदी में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कछुओं के बारे में जागरुकता उत्पन्न करने के लिए बनाया गया था।

 

अपने संबोधन में, श्री मिश्रा ने जैव विविधता के संरक्षण के संदर्भ में लोगों को जागरूक बनाने में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए, डब्ल्यूआईआई और गंगा प्रहरियों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना किया। उन्होंने सभी लोगों से आगे बढ़कर आने और कछुओं के संरक्षण और गंगा नदी की जैव विविधता के प्रति काम करने की भी अपील की। डॉ. मोहन ने, कछुआ दिवस के महत्व के संदर्भ में और उनके संरक्षण के लिए गंगा प्रहरियों की भूमिका बारे में भी बात की।

 

यह देखते हुए कि गंगा नदी बेसिन में जैव विविधता संरक्षण, नमामि गंगे कार्यक्रम के स्तंभों में से एक है, कल आयोजित की गई अंतर्राष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस को एनएमसीजी और डब्ल्यूआईआई द्वारा वेबिनार के माध्यम से 'हमारा समाधान प्रकृति में हैं' के माध्यम से बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इसके संरक्षण के संदर्भ में सार्वजनिक चेतना को बढ़ावा देने के लिए, श्री मिश्रा, डॉ मोहन, एनएमसीजी टीम के साथ-साथ विभिन्न संगठनों और गंगा प्रहरियों के विशेषज्ञों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।

 

इस अवसर पर बोलते हुए, डीजी, एनएमसीजी ने कहा, “हमें गंगा नदी के कायाकल्प का समर्थन करने की दिशा मे सामूहिक प्रयास करना चाहिए। जैव विविधता और हमारे अस्तित्व के बीच संबंध के बारे में बेहतर समझ और जागरूकता उत्पन्न करने से ही यह संभव हो सकता है। संरक्षण के प्रयासों को जन आन्दोलन में तब्दील करना है।” उन्होंने कहा कि, “एनएमसीजी को नदी की सफाई में पर्याप्त सफलता मिली है। हालांकि, पानी की गुणवत्ता की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए हम सभी को एक सतर्क प्रयास करने की आवश्यकता है।"

 

आयोजन के दौरान, निदेशक, डब्ल्यूआईआई, डॉ. मोहन द्वारा गंगा प्रहरियों, जैव विविधता संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठनों और मीडिया संगठनों से अपील किया गया कि वे नदियों की जैव विविधता को बचाने की दिशा में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में पहल करें।" यह कहना आसान होता है कि 'समाधान प्रकृति में निहित हैं', लेकिन हमें प्रकृति पर अपनी गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव को कम करना होगा।

 

पद्म विभूषण डॉ अनिल पी जोशी ने गांवों में जैव विविधता संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए गंगा प्रहरियों के सफलता की सराहना की। उन्होंने कहा, 41% से ज्यादा उभयचर, 31% कोरल और 33% मछली प्रजातियां अब विलुप्त हो चुकी हैं। हमें जैव विविधता संरक्षण को एक बहुत ही गंभीर विषय के रूप में लेना होगा।

 

देश के विभिन्न हिस्सों से आए हुए और इस कार्यक्रम से जुड़े गंगा प्रहरियों ने डब्ल्यूआईआई देहरादून द्वारा जैविक खेती में प्रशिक्षण के अपने अनुभव और इसके सकारात्मक वित्तीय और पर्यावरण परिणामों को साझा किया।