पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 1 (25-Feb-2021)
ओलिव रिडले कछुआ
(Olive Ridley Turtles)

Posted on February 25th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में ओडिशा उच्च न्यायालय (High Court) ने ओडिशा के वन और मत्स्य विभाग (Forest and Fisheries Department) की लापरवाही के कारण लगभग 800 ओलिव रिडले समुद्री कछुओं (Olive Ridley Sea Turtle) की मौत के मामले में स्वतः संज्ञान (Suo Motu) लिया है।



ओलिव रिडले कछुए दुनिया में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे अधिक हैं।ये कछुए मांसाहारी होते हैं और इनका पृष्ठवर्म ओलिव रंग (Olive Colored Carapace) का होता है जिसके आधार पर इनका यह नाम पड़ा है।

 

* वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- 1

* आईयूसीएन रेड लिस्ट: सुभेद्य (Vulnerable)

* CITES: परिशिष्ट- I

 


ये मुख्य रूप से प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागरों के गर्म पानी में पाए जाते हैं।ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य को विश्व में समुद्री कछुओं के सबसे बड़े प्रजनन स्थल के रूप में जाना जाता है।ये कछुए अपने अद्वितीय सामूहिक घोंसले (Mass Nesting) अरीबदा (Arribada) के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं, यहाँ अंडे देने के लिये हज़ारों मादाएँ एक ही समुद्र तट पर एक साथ आती हैं।ये कछुए इन घोंसलों में अपने अंडे को पाँच से सात दिनों की अवधि के लिये लगभग डेढ़ फीट मिट्टी के अंदर रखते हैं और इस समयावधि के बाद अपने पिछले पैरों से घोंसलों के ऊपर की मिट्टी हटाकर अण्डों को बाहर निकाल लेते हैं।


संकट-


* समुद्री प्रदूषण और अपशिष्ट।

 

* मानव उपभोग: इन कछुओं के माँस, खाल, चमड़े और अंडे के लिये इनका शिकार किया जाता है।

 

* प्लास्टिक कचरा: प्लास्टिक, मछली पकड़ने के जाल, पर्यटकों और मछली पकड़ने वाले श्रमिकों द्वारा फेंके गए अन्य कचरे का बढ़ता मलबा।

 

* फिशिंग ट्रॉल: समुद्री संसाधनों के अत्यधिक दोहन की कोशिश में ट्रॉलर्स (Trawler- मछली पकड़ने वाले जहाज़) का उपयोग करके समुद्री अभयारण्य के आस-पास के 20 किलोमीटर क्षेत्र में मछली न पकड़ने के नियम का प्रायः उल्लंघन किया जाता है।

 

* कई मृत कछुओं के शरीर पर चोट के निशान पाए गए, जिससे पता चलता है कि ये मछली पकड़ने वाले ट्रॉलरों की चपेट में आ गए थे।


गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य-


गहिरमाथा (हिंद महासागर) का समुद्री तट ओलिव रिडले समुद्री कछुओं का विश्व में सबसे बड़ा प्रजनन स्थल है और ओडिशा का एकमात्र कछुआ अभयारण्य है।ओडिशा सरकार ने वर्ष 1997 में समुद्री कछुओं को बचाने के अपने प्रयासों के एक हिस्से के रूप में गहिरमाथा को कछुआ अभयारण्य घोषित किया था।गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य (Gahirmatha Marine Sanctuary), भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के एक हिस्से में स्थित है। इस उद्यान के अन्य दो हिस्सों में भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान तथा भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्र शामिल हैं।