अन्तर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (2-Dec-2020)^न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन पर ‘प्रतीकात्मक आपातकाल’ की घोषणा की^(New Zealand declares 'symbolic emergency' on climate change)
Posted on December 2nd, 2020
न्यूजीलैंड सरकार ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के घातक प्रभावों का आकलन करने के बाद देश में जलवायु आपातकाल की घोषणा की है। न्यूजीलैंड के अधिकांश सांसदों ने जलवायु आपातकालीन घोषणा के पक्ष में मतदान किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल नेशनल पार्टी ने इसके खिलाफ मतदान किया।
2019 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार जलवायु आपातकाल को एक ऐसी स्थिति में परिभाषित करता है जिसमें जलवायु परिवर्तन से होने वाले या संभावित पर्यावरणीय न्यूनतम क्षति को कम करने या रोकने के लिए तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि क्लाइमेट एमरजैंसी को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी 2019 ने विश्व का दूसरा सबसे लोकप्रिय शब्द माना है।ग्रीनपीस न्यूजीलैंड के द्वारा न्यूजीलैंड सरकार से जलवायु आपातकाल घोषित करने की मांग की गई थी एवं इस क्लाइमेट एमरजैंसी के पीछे यह तर्क यह दिया गया था कि “वर्तमान में मानव मौसम की अत्यधिक चरम अवस्था, वन्य जीवन संपदा का क्षरण और स्वच्छ जल समेत भोजन तक पहुंच के संकट का सामना कर रहा हैं।”
अपनी हरित गृह प्रभाव से जुड़ी प्रतिबद्धताओं के लिए पहचाने जाने वाली न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने अपने सांसदों के साथ न्यूजीलैंड में जलवायु आपातकाल की घोषित करके अपनी प्रतिबद्धता को वास्तविकता बना दिया।न्यूजीलैंड ने वादा किया है कि उसका सार्वजनिक क्षेत्र 2025 तक कार्बन न्यूट्रल बन जाएगा।जलवायु आपातकाल की यह घोषणा जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के आधार पर की गई है। आईपीसीसी के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक वृद्धि से बचने के लिए, उत्सर्जन को 2023 तक 2010 के स्तर से लगभग 45% कम होने किया जाना चाहिए। साथ 2050 तक उत्सर्जन को शून्य तक पहुंचने की भी आवश्यकता होगी।
इस दौरान कोयला बॉयलरों को बदलने और इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने में मदद करने के लिए न्यूजीलैंड ने $200 मिलियन के फंड का प्रावधान किया है।अपने पिछले कार्यकाल में, अर्डर्न की सरकार ने एक शून्य कार्बन बिल पारित किया था, जिसमें 2050 तक कुल उत्सर्जन को शून्य करने की रूपरेखा तय की गयी थी।जलवायु आपातकाल के पारित होने के साथ न्यूजीलैंड कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन सहित 32 देशों के समूह में शामिल हो गया, जिन्होंने जलवायु आपातकाल की घोषणा करके जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समान कदम उठाए हैं।
हाल ही में जापानी सांसदों ने भी एक जलवायु आपातकाल की घोषणा की है और कुल शून्य उत्सर्जन के संदर्भ में दृढ़ समय सारिणी के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है।ब्रिटेन, आयरलैंड, कनाडा और फ्रांस सभी ने जलवायु संकट की घोषणा की है। ब्रिटेन जलवायु आपातकाल घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश था, उसके बाद स्कॉटलैंड और वेल्स द्वारा ऐसी ही घोषणा की गयी थी।
यूके का वर्तमान लक्ष्य 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को 80% (1990 के स्तर की तुलना में) कम करना है।स्कॉटलैंड में भी जलवायु परिवर्तन आपातकाल घोषित किया जा चुका है और इस देश ने 2045 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य से कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं।यूरोपीय संघ के सांसदों ने भी पिछले साल "जलवायु आपातकाल" घोषित किया था। 28-राष्ट्रों का यूरोपीय संघ जलवायु आपातकाल आह्वान करने वाला पहला बहुपक्षीय संगठन है।इसके अलावा अर्जेंटीना और कनाडा जैसे देशों से लेकर न्यूयॉर्क और सिडनी जैसे अलग-अलग शहरों ने भी जलवायु आपातकाल का आह्वान किया है।
अन्तर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (2-Dec-2020)न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन पर ‘प्रतीकात्मक आपातकाल’ की घोषणा की(New Zealand declares 'symbolic emergency' on climate change)
न्यूजीलैंड सरकार ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के घातक प्रभावों का आकलन करने के बाद देश में जलवायु आपातकाल की घोषणा की है। न्यूजीलैंड के अधिकांश सांसदों ने जलवायु आपातकालीन घोषणा के पक्ष में मतदान किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल नेशनल पार्टी ने इसके खिलाफ मतदान किया।
2019 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार जलवायु आपातकाल को एक ऐसी स्थिति में परिभाषित करता है जिसमें जलवायु परिवर्तन से होने वाले या संभावित पर्यावरणीय न्यूनतम क्षति को कम करने या रोकने के लिए तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि क्लाइमेट एमरजैंसी को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी 2019 ने विश्व का दूसरा सबसे लोकप्रिय शब्द माना है।ग्रीनपीस न्यूजीलैंड के द्वारा न्यूजीलैंड सरकार से जलवायु आपातकाल घोषित करने की मांग की गई थी एवं इस क्लाइमेट एमरजैंसी के पीछे यह तर्क यह दिया गया था कि “वर्तमान में मानव मौसम की अत्यधिक चरम अवस्था, वन्य जीवन संपदा का क्षरण और स्वच्छ जल समेत भोजन तक पहुंच के संकट का सामना कर रहा हैं।”
अपनी हरित गृह प्रभाव से जुड़ी प्रतिबद्धताओं के लिए पहचाने जाने वाली न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने अपने सांसदों के साथ न्यूजीलैंड में जलवायु आपातकाल की घोषित करके अपनी प्रतिबद्धता को वास्तविकता बना दिया।न्यूजीलैंड ने वादा किया है कि उसका सार्वजनिक क्षेत्र 2025 तक कार्बन न्यूट्रल बन जाएगा।जलवायु आपातकाल की यह घोषणा जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के आधार पर की गई है। आईपीसीसी के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक वृद्धि से बचने के लिए, उत्सर्जन को 2023 तक 2010 के स्तर से लगभग 45% कम होने किया जाना चाहिए। साथ 2050 तक उत्सर्जन को शून्य तक पहुंचने की भी आवश्यकता होगी।
इस दौरान कोयला बॉयलरों को बदलने और इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने में मदद करने के लिए न्यूजीलैंड ने $200 मिलियन के फंड का प्रावधान किया है।अपने पिछले कार्यकाल में, अर्डर्न की सरकार ने एक शून्य कार्बन बिल पारित किया था, जिसमें 2050 तक कुल उत्सर्जन को शून्य करने की रूपरेखा तय की गयी थी।जलवायु आपातकाल के पारित होने के साथ न्यूजीलैंड कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन सहित 32 देशों के समूह में शामिल हो गया, जिन्होंने जलवायु आपातकाल की घोषणा करके जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समान कदम उठाए हैं।
हाल ही में जापानी सांसदों ने भी एक जलवायु आपातकाल की घोषणा की है और कुल शून्य उत्सर्जन के संदर्भ में दृढ़ समय सारिणी के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है।ब्रिटेन, आयरलैंड, कनाडा और फ्रांस सभी ने जलवायु संकट की घोषणा की है। ब्रिटेन जलवायु आपातकाल घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश था, उसके बाद स्कॉटलैंड और वेल्स द्वारा ऐसी ही घोषणा की गयी थी।
यूके का वर्तमान लक्ष्य 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को 80% (1990 के स्तर की तुलना में) कम करना है।स्कॉटलैंड में भी जलवायु परिवर्तन आपातकाल घोषित किया जा चुका है और इस देश ने 2045 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य से कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं।यूरोपीय संघ के सांसदों ने भी पिछले साल "जलवायु आपातकाल" घोषित किया था। 28-राष्ट्रों का यूरोपीय संघ जलवायु आपातकाल आह्वान करने वाला पहला बहुपक्षीय संगठन है।इसके अलावा अर्जेंटीना और कनाडा जैसे देशों से लेकर न्यूयॉर्क और सिडनी जैसे अलग-अलग शहरों ने भी जलवायु आपातकाल का आह्वान किया है।