राष्ट्रीय समसामयिकी 1(18-May-2022)
राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद (एनएसएसी)
(National Startup Advisory Council (NSAC))

Posted on May 18th, 2022 | Create PDF File

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हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद (NSAC) की बैठक में NavIC ग्रैंड चैलेंज का शुभारंभ किया।

 

NavIC ग्रैंड चैलेंज का उद्देश्य NavIC को जियो-पोजज़िशनिंग समाधान और डिजिटल आत्मनिर्भरता के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में बढ़ावा देना है।

 

NSAC :

 

इसका गठन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा किया गया था।

 

यह सरकार को सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर पैदा करने के साथ ही देश में नवाचार एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने हेतु मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये सलाह देता है।

 

परिषद की संरचना :

 

अध्यक्ष : वाणिज्य और उद्योग मंत्री।

 

परिषद के संयोजक : संयुक्त सचिव उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग।

 

पदेन सदस्य : संबंधित मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के नामांकित व्यक्ति जो संयुक्त सचिव पद स्तर से नीचे के न हों।

 

इस परिषद में गैर-आधिकारिक सदस्‍य भी होंगे जो कि सरकार द्वारा सफल स्‍टार्टअप्‍स के संस्‍थापकों, भारत में कंपनी बनाने और उसे विकसित करने वाले अनुभवी व्‍यक्तियों, स्‍टार्टअप्‍स में निवेशकों के हितों का प्रति‍निधित्‍व करने में सक्षम व्यक्तियों, इन्‍क्‍यूबेटरों (Incubators) एवं उत्‍प्रेरकों के हितों का प्रतिनिधित्‍व करने में सक्षम व्यक्तियों तथा स्‍टार्टअप्‍स हितधारकों के संघों व औद्योगिक संघों के प्रतिनिधियों जैसे विभिन्‍न वर्गों में से नामांकित किये जाएंगे। राष्ट्रीय स्‍टार्टअप सलाहकार परिषद के गैर-आधिकारिक सदस्‍यों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा।

 

NSAC के कार्य :

 

यह देश भर में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नागरिकों और छात्रों के बीच नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के उपायों का सुझाव देता है। 

 

बौद्धिक संपदा अधिकारों के सृजन संरक्षण और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार की दृष्टि से सार्वजनिक संगठनों को नवाचार को आत्मसात करने की सुविधा के उपायों का सुझाव देता है।

 

भारतीय स्‍टार्टअप्‍स में निवेश के लिये वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने, मूल प्रमोटरों के साथ स्‍टार्टअप्‍स पर नियंत्रण बनाए रखने तथा विनियामक अनुपालन व लागत को कम करते हुए व्‍यापार शुरू करने, उसे संचालित, विकसित तथा बंद करने की प्रक्रिया को आसान बनाना।