आधिकारिक बुलेटिन - 1 (30-Nov-2020)
मिशन COVID सुरक्षा
(Mission COVID Suraksha)

Posted on December 1st, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

भारत सरकार ने भारतीय COVID-19 वैक्सीन के विकास में तेज़ी लाने के लिये 900 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज के साथ मिशन COVID सुरक्षा (Mission COVID Suraksha) की शुरुआत की है।
मिशन COVID सुरक्षा भारत के लिये स्वदेशी, सस्ती और सुलभ वैक्सीन के विकास को सक्षम बनाने हेतु भारत का लक्षित प्रयास है. जो कि भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण होगा।यह मिशन त्वरित उत्पाद विकास के लिये सभी उपलब्ध और वित्तपोषित संसाधनों को समेकित करेगा, जिससे 5-6 वैक्सीन कैंडिडेट्स के विकास में मदद मिलेगी तथा लाइसेंस प्राप्ति और बाज़ार तक पहुँच सुनिश्चित होगी।



COVID सुरक्षा मिशन के पहले चरण के 12 माह की अवधि के लिये 900 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।यह अनुदान, भारतीय COVID-19 वैक्सीन के अनुसंधान और विकास (R&D) के लिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) को प्रदान किया जाएगा।इस मिशन का नेतृत्त्व जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा किया जाएगा और इसका कार्यान्वयन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) की एक समर्पित मिशन कार्यान्वयन इकाई द्वारा किया जाएगा।


COVID सुरक्षा मिशन के उद्देश्य-


* वैक्सीन के पूर्व नैदानिक ​​और नैदानिक ​​विकास में तेज़ी लाना।

* ऐसे COVID-19 वैक्सीन कैंडिडेट्स को लाइसेंस प्राप्त करने में मदद करना, जो वर्तमान में नैदानिक ​​चरण में हैं या नैदानिक ​​चरण में प्रवेश करने हेतु तैयार हैं।

* नैदानिक ​​परीक्षण स्थलों की स्थापना करना।

* मौजूदा केंद्रीय प्रयोगशालाओं, जानवरों पर अध्ययन के लिये उपयुक्त सुविधाओं, उत्पादन सुविधाओं और अन्य परीक्षण सुविधाओं को मज़बूती प्रदान करना।

* सामान्य प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण, डेटा प्रबंधन प्रणाली, नियामक प्रस्तुतियाँ, आंतरिक और बाह्य गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के विकास का समर्थन करना।

* लक्ष्य उत्पाद प्रोफाइल (TPP) का विकास करना भी एक प्रमुख कार्य होगा, ताकि इस मिशन के माध्यम से पेश किये जाने वाले वैक्सीन भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप हों।

* लक्ष्य उत्पाद प्रोफाइल (TPP) किसी एक विशिष्ट रोग के संबंध में एक लक्षित उत्पाद की वांछित विशेषताओं को रेखांकित करती है।

 


अब तक कुल 10 वैक्सीन कैंडिडेट्स को अकादमिक और उद्योग दोनों स्तरों पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा समर्थन प्रदान किया गया है और अब तक कुल 5 वैक्सीन कैंडिडेट्स मानव परीक्षण के चरण में हैं।

 


कोविशील्ड: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका COVID-19 वैक्सीन (कोविशील्ड) के तीसरे चरण का परीक्षण आयोजित किया जा रहा है।

 

कोवाक्सिन: भारत बायोटेक कंपनी द्वारा इस वैक्सीन को ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (ICMR) तथा ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ (NIV) के सहयोग से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।

 

ZyCoV-D: ज़ाइडस कैडिला फर्म द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित वैक्सीन ZyCoV-D ने देश में नैदानिक ​​परीक्षण के दूसरे चरण को पूरा कर लिया है।

 

स्पुतनिक वी: रूस द्वारा निर्मित वैक्सीन स्पुतनिक वी (Sputnik V) के संयुक्त चरण 2 और चरण 3 के नैदानिक परीक्षण भारत में जल्द ही शुरू किये जाएंगे।

 

BNT162b2: भारत सरकार अमेरिकी कंपनी फाइज़र द्वारा विकसित वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के नैदानिक ​​परीक्षणों के संचालन हेतु प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

 


नैदानिक परीक्षण का अभिप्राय किसी भी दवा की नैदानिक विशेषताओं की खोज करने अथवा मानवीय स्वास्थ्य पर उस विशिष्ट दवा के प्रभावों को स्पष्ट करने का एक व्यवस्थित अध्ययन है।यह किसी भी दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता को स्थापित करने का एकमात्र तरीका है, जिसे मानव उपयोग के लिये बाज़ार में प्रस्तुत करने से पूर्व और पशु परीक्षणों के बाद कार्यान्वित किया जाता है। पशु परीक्षण के दौरान जानवरों पर किसी दवा की प्रभावकारिता और दुष्प्रभावओं का अध्ययन किया जाता है, साथ ही इस प्रक्रिया के दौरान दवा की अनुमानित खुराक भी निर्धारित की जाती है।