कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1(20-Mar-2023)^मतुआ महामेला^(Matua Mahamela)
Posted on March 20th, 2023
मतुआ संप्रदाय के संस्थापक श्री श्री हरिचंद ठाकुर की 212वीं जयंती मनाने के लिये पश्चिम बंगाल में मतुआ मेला आयोजित किया जा रहा है।
हरिचंद ठाकुर का जन्म ठाकुर समुदाय (अनुसूचित जाति समुदाय) के किसान परिवार में हुआ था।
उन्होंने वैष्णव हिंदू धर्म के एक संप्रदाय की स्थापना की जिसे 'मतुआ' कहा जाता है।
यह नामशूद्र समुदाय के सदस्यों द्वारा अपनाया गया था, जिन्हें चांडाल के रूप में भी जाना जाता है और अछूत माना जाता है।
मूल रूप से विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से और बांग्लादेश के निर्माण के बाद मतुआ लोग भारत आ गए।
हालाँकि एक बड़ी संख्या को अभी तक भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं हुई है।
मतुआ महासंघ एक धार्मिक सुधार आंदोलन है, जिसकी शुरुआत 1860 ई. के आसपास आधुनिक बांग्लादेश में उत्पीड़ितों के उत्थान के लिये हुई थी।
कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1(20-Mar-2023)मतुआ महामेला(Matua Mahamela)
Posted on March 20th, 2023 |
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मतुआ संप्रदाय के संस्थापक श्री श्री हरिचंद ठाकुर की 212वीं जयंती मनाने के लिये पश्चिम बंगाल में मतुआ मेला आयोजित किया जा रहा है।
हरिचंद ठाकुर का जन्म ठाकुर समुदाय (अनुसूचित जाति समुदाय) के किसान परिवार में हुआ था।
उन्होंने वैष्णव हिंदू धर्म के एक संप्रदाय की स्थापना की जिसे 'मतुआ' कहा जाता है।
यह नामशूद्र समुदाय के सदस्यों द्वारा अपनाया गया था, जिन्हें चांडाल के रूप में भी जाना जाता है और अछूत माना जाता है।
मूल रूप से विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से और बांग्लादेश के निर्माण के बाद मतुआ लोग भारत आ गए।
हालाँकि एक बड़ी संख्या को अभी तक भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं हुई है।
मतुआ महासंघ एक धार्मिक सुधार आंदोलन है, जिसकी शुरुआत 1860 ई. के आसपास आधुनिक बांग्लादेश में उत्पीड़ितों के उत्थान के लिये हुई थी।