राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (23-Oct-2020)^महाराष्ट्र द्वारा ‘केंद्रीय जांच ब्यूरो’ को दी गयी ‘आम सहमति’ वापस ली गयी^(Maharashtra withdraws general consent to CBI)
Posted on October 23rd, 2020
महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य में मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation– CBI) को दी गई ‘आम सहमति’ (General Consent) वापस ले ली गयी है।केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment Act) के अंतर्गत कार्य करती है। अधिनियम के अनुसार- किसी राज्य में केंद्रीय जांच ब्यूरो के लिए किसी मामले की जांच करने हेतु, उस राज्य की सहमति अनिवार्य है।
‘सहमति’ दो प्रकार की होती है:
* केस-विशिष्ट सहमति (Case-specific consent)
* आम सहमति (General consent)
चूंकि, सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों तक सीमित होता है, हालांकि, यह किसी राज्य में राज्य सरकार के कर्मचारियों अथवा किसी हिंसक अपराध से जुड़े मामले की जांच उस राज्य द्वारा सहमति दिए जाने के पश्चात कर सकती है।आम तौर पर, सीबीआई को राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की निर्बाध जांच करने में मदद करने हेतु संबधित राज्य द्वारा आम सहमति (General consent) प्रदान की जाती है।
इसका सीधा सा अर्थ है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने पर, सीबीआई अधिकारी, राज्य में प्रवेश करने पर पुलिस अधिकारी के रूप में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे।महाराष्ट्र सरकार के इस निर्णय का अर्थ है, कि महाराष्ट्र में दर्ज होने वाले प्रत्येक मामले की जांच के लिए सीबीआई को अब राज्य सरकार से सहमति लेनी होगी।
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत, राज्य सरकारें सीबीआई को दी जाने वाली ‘आम सहमति’ वापस ले सकती हैं।
राज्य सरकार द्वारा ‘आम सहमति’ वापस लिए जाने से, पहले के मामलों में चल रही जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।इसके अलावा, देश के अन्य राज्यों में मामला दर्ज होने पर, जिन राज्यों में ‘आम सहमति’ जारी है, तथा मामले से संबंधित व्यक्ति यदि उस राज्य में, जहाँ आम सहमति वापस ले ली गई है, ठहरे हुए है, तो सीबीआई इन राज्यों में भी अपनी जांच कर सकती है।
राजव्यवस्था समसामियिकी 1 (23-Oct-2020)महाराष्ट्र द्वारा ‘केंद्रीय जांच ब्यूरो’ को दी गयी ‘आम सहमति’ वापस ली गयी(Maharashtra withdraws general consent to CBI)
महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य में मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation– CBI) को दी गई ‘आम सहमति’ (General Consent) वापस ले ली गयी है।केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment Act) के अंतर्गत कार्य करती है। अधिनियम के अनुसार- किसी राज्य में केंद्रीय जांच ब्यूरो के लिए किसी मामले की जांच करने हेतु, उस राज्य की सहमति अनिवार्य है।
‘सहमति’ दो प्रकार की होती है:
* केस-विशिष्ट सहमति (Case-specific consent)
* आम सहमति (General consent)
चूंकि, सीबीआई का अधिकार क्षेत्र केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों तक सीमित होता है, हालांकि, यह किसी राज्य में राज्य सरकार के कर्मचारियों अथवा किसी हिंसक अपराध से जुड़े मामले की जांच उस राज्य द्वारा सहमति दिए जाने के पश्चात कर सकती है।आम तौर पर, सीबीआई को राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की निर्बाध जांच करने में मदद करने हेतु संबधित राज्य द्वारा आम सहमति (General consent) प्रदान की जाती है।
इसका सीधा सा अर्थ है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने पर, सीबीआई अधिकारी, राज्य में प्रवेश करने पर पुलिस अधिकारी के रूप में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे।महाराष्ट्र सरकार के इस निर्णय का अर्थ है, कि महाराष्ट्र में दर्ज होने वाले प्रत्येक मामले की जांच के लिए सीबीआई को अब राज्य सरकार से सहमति लेनी होगी।
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत, राज्य सरकारें सीबीआई को दी जाने वाली ‘आम सहमति’ वापस ले सकती हैं।
राज्य सरकार द्वारा ‘आम सहमति’ वापस लिए जाने से, पहले के मामलों में चल रही जांच पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।इसके अलावा, देश के अन्य राज्यों में मामला दर्ज होने पर, जिन राज्यों में ‘आम सहमति’ जारी है, तथा मामले से संबंधित व्यक्ति यदि उस राज्य में, जहाँ आम सहमति वापस ले ली गई है, ठहरे हुए है, तो सीबीआई इन राज्यों में भी अपनी जांच कर सकती है।