राष्ट्रीय समसामयिकी 2(1-August-2022)
लोकटक झील
(Loktak Lake)

Posted on August 1st, 2022 | Create PDF File

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हाल ही में मणिपुर के लोकटक झील प्राधिकरण ने लोकटक झील पर सभी फ्लोटिंग हाउस और मछली पकड़ने से संबंधित ढाँचों को हटाने के लिये एक नोटिस जारी किया है।

 

स्थानीय मत्स्य पालन समुदाय और होम-स्टे संचालकों ने इस निर्णय का पुरज़ोर विरोध किया।

 

झील से संबंधित नियमन का अभाव।

 

नव-निर्मित घरों और झोंपड़ियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है; परिणामस्वरूप इसने झील पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल दिया है, और पर्यावरण को भी प्रभावित किया है।

 

वर्ष 1983 में शुरू की गई एक प्रमुख जलविद्युत परियोजना के कारण भी इस झील में मछली के उत्पादन और पारंपरिक मत्स्य पालन में भारी कमी आई है।

 

इसके अलावा बाढ़ और अनुपचारित नदियों द्वारा तलछट एवं प्रदूषकों के बढ़ते स्तर के कारण कृषि-योग्य भूमि को हानि पहुँची है।

 

लोकटक झील :

 

यह इम्फाल से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

 

लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे जल की झील है, जो जल की सतह के ऊपर तैरती फुमडी के लिये प्रसिद्ध है।

 

यह झील अपने तैरते वृत्ताकार दलदलों (स्वैंप) के लिये जानी जाती है, जिन्हें स्थानीय भाषा में फुमडी कहा जाता है।

 

यह झील अपनी अलौकिक सुंदरता के कारण दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती है।

 

ये दलदल द्वीपों के सदृश लगते हैं जो मिट्टी, कार्बनिक पदार्थ और वनस्पतियों के इकट्ठे होने से निर्मित हुए हैं।

 

लोकटक झील पर स्थित केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है, यह मणिपुर का डांसिंग डियर 'सांगई' (Rucervus eldii eldii), जो कि मणिपुर का राज्य पशु है, का अंतिम प्राकृतिक आवास है।

 

इसके अलावा झील जलीय पौधों की लगभग 230 प्रजातियों, 100 प्रकार के पक्षियों तथा 400 प्रजातियों के जीवों जैसे- बार्किंग डियर, सांभर और भारतीय अजगर को आश्रय प्रदान करती है।

 

पारिस्थितिक स्थिति और इसके जैवविविधता मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लोकटक झील को वर्ष 1990 में रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था।

 

बाद में इसे वर्ष 1993 में मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड के तहत भी सूचीबद्ध किया गया था।