राष्ट्रीय समसामयिकी 2 (24-January-2022)
लिविंग रूट ब्रिज
(Living Root Bridge)

Posted on January 24th, 2022 | Create PDF File

hlhiuj

हाल ही में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का टैग प्राप्त करने हेतु मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज़ के लिये कुछ हरित नियमों को रेखांकित किया है।

 

इन ब्रिजेज़ को जिंग कीेंग ज़्रि (Jing Kieng Jri) भी कहा जाता है।

 

इनका निर्माण पारंपरिक जनजातीय ज्ञान का प्रयोग करके रबर के वृक्षों की जड़ों को जोड़-तोड़ कर किया जाता है।

 

सामान्यतः इन्हें धाराओं या नदियों को पार करने के लिये बनाया जाता है।

 

मुख्यतः मेघालय की खासी और जयंतिया पहाड़ियों में सदियों से फैले 15 से 250 फुट के ये ब्रिज़ विश्व प्रसिद्ध पर्यटन का आकर्षण भी बन गए हैं।

 

ये लोचदार होते हैं। इन्हें आसानी से जोड़ा जा सकता है।

 

ये पौधे उबड़-खाबड़ और पथरीली मिट्टी में उगते हैं।

 

मेघालय के मुख्यमंत्री ने यूनेस्को को इस राज्य को पहाड़ी राज्य के रूप में मान्यता देने की वकालत की, जिसने इसके निर्माण के 50वें वर्ष को चिह्नित किया।

 

मेघालय वर्ष 1972 से 21 जनवरी को अपना राज्य स्थापना दिवस मनाता है।

 

वन्यजीव विविधता और स्वास्थ्य कार्ड तैयार करना मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज के लिये यूनेस्को टैग अर्जित करने हेतु आवश्यक शर्तें होंगी।