व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (22-June-2021)^लॉरेल हबर्ड^(Laurel Hubbard)
Posted on June 22nd, 2021
न्यूज़ीलैंड की भारोत्तोलक ‘लॉरेल हबर्ड’ ओलंपिक के लिये चुनी जाने वाली पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बन गई हैं।
43 वर्षीय हबर्ड ने इससे पूर्व वर्ष 2013 में पुरुष वर्ग में हिस्सा लिया था।
अब वह टोक्यो में महिला श्रेणी में 87 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा करेंगी।
ट्रांसजेंडर एथलीटों पर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के दिशा-निर्देश ऐसे एथलीटों को कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने की अनुमति देते हैं, जिन्होंने पुरुष से महिला में ट्रांजीशन किया है।
दिशा-निर्देशों के मुताबिक, महिला वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा के योग्य होने के लिये ऐसे एथलीटों को अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रतियोगिता से पहले के 12 महीनों के दौरान 10 नैनोमोल्स प्रति लीटर से कम रखना होगा।
टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है, जो मांसपेशियों को बढ़ाता है।
एथलीट्स की नियमित रूप से निगरानी की जाती और यदि वे नियमों का अनुपालन नहीं करते हैं तो वे प्रतियोगिता में शामिल होने के पात्र नहीं होंगे।
हालाँकि पुरुष से महिला में ट्रांजीशन करने वाले एथलीटों को ओलंपिक खेलों में शामिल करने संबंधित इस निर्णय पर वाद-विवाद भी शुरू हो गया है, आलोचकों का मानना है कि उन एथलीटों को अनुचित लाभ मिलता है, जबकि समर्थकों का मत है कि इससे खेल में समावेशन को बढ़ावा मिलता है।
व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (22-June-2021)लॉरेल हबर्ड(Laurel Hubbard)
न्यूज़ीलैंड की भारोत्तोलक ‘लॉरेल हबर्ड’ ओलंपिक के लिये चुनी जाने वाली पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बन गई हैं।
43 वर्षीय हबर्ड ने इससे पूर्व वर्ष 2013 में पुरुष वर्ग में हिस्सा लिया था।
अब वह टोक्यो में महिला श्रेणी में 87 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा करेंगी।
ट्रांसजेंडर एथलीटों पर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के दिशा-निर्देश ऐसे एथलीटों को कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने की अनुमति देते हैं, जिन्होंने पुरुष से महिला में ट्रांजीशन किया है।
दिशा-निर्देशों के मुताबिक, महिला वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा के योग्य होने के लिये ऐसे एथलीटों को अपने टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रतियोगिता से पहले के 12 महीनों के दौरान 10 नैनोमोल्स प्रति लीटर से कम रखना होगा।
टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है, जो मांसपेशियों को बढ़ाता है।
एथलीट्स की नियमित रूप से निगरानी की जाती और यदि वे नियमों का अनुपालन नहीं करते हैं तो वे प्रतियोगिता में शामिल होने के पात्र नहीं होंगे।
हालाँकि पुरुष से महिला में ट्रांजीशन करने वाले एथलीटों को ओलंपिक खेलों में शामिल करने संबंधित इस निर्णय पर वाद-विवाद भी शुरू हो गया है, आलोचकों का मानना है कि उन एथलीटों को अनुचित लाभ मिलता है, जबकि समर्थकों का मत है कि इससे खेल में समावेशन को बढ़ावा मिलता है।