ज्योतिबा फुले और पेरियार - समाज सुधारक (Jyotiba Phule and Periyar - Social Reformers)
Posted on March 27th, 2020
ज्योतिबा फुले
ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के एक दलित व्यक्ति थे। उन्होंने जीवनभर दलितों के उत्थान के लिए कार्य किया। इसके लिए उन्होंने 'दलित समाज' की स्थापना की।दलितों में जनजागृति फैलाने का श्रेय ज्योतिबा फूले को है। ज्योतिबा फूले ने दलित उत्थान के साथ-साथ स्त्री शिक्षा पर भी बल दिया।
पेरियार
जिस प्रकार महाराष्ट्र में दलितों के उत्थान का कार्य ज्योतिबा फूले ने किया उसी प्रकार पेरियार ने दक्षिण भारत में दलितों एवं मुख्यतः अस्पृश्य लोगों के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किए। दक्षिण भारत में एक सामाजिक परंपरा विद्यमान रही है,जिसमें एक विशेष दलित जाति का गाँव में प्रवेश वर्जित था। ये केवल गाँव की दक्षिण दिशा में रहते थे तथा गाँव में प्रवेश करने पर इन्हें जोर-जोर से आवाज लगानी होती थी। इन्हें गावं के कुओं से पानी निकालने की भी स्वतंत्रता नहीं थी।यह मानवीय मूल्यों के हनन की पराकाष्ठा थी। पेरियार के अथक प्रयासों से यद्यपि ये कुरीतियां समाप्त तो नहीं हुई लेकिन उनके प्रति समाज में सहृदयता का विकास हुआ ।
ज्योतिबा फुले और पेरियार - समाज सुधारक (Jyotiba Phule and Periyar - Social Reformers)
ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के एक दलित व्यक्ति थे। उन्होंने जीवनभर दलितों के उत्थान के लिए कार्य किया। इसके लिए उन्होंने 'दलित समाज' की स्थापना की।दलितों में जनजागृति फैलाने का श्रेय ज्योतिबा फूले को है। ज्योतिबा फूले ने दलित उत्थान के साथ-साथ स्त्री शिक्षा पर भी बल दिया।
पेरियार
जिस प्रकार महाराष्ट्र में दलितों के उत्थान का कार्य ज्योतिबा फूले ने किया उसी प्रकार पेरियार ने दक्षिण भारत में दलितों एवं मुख्यतः अस्पृश्य लोगों के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किए। दक्षिण भारत में एक सामाजिक परंपरा विद्यमान रही है,जिसमें एक विशेष दलित जाति का गाँव में प्रवेश वर्जित था। ये केवल गाँव की दक्षिण दिशा में रहते थे तथा गाँव में प्रवेश करने पर इन्हें जोर-जोर से आवाज लगानी होती थी। इन्हें गावं के कुओं से पानी निकालने की भी स्वतंत्रता नहीं थी।यह मानवीय मूल्यों के हनन की पराकाष्ठा थी। पेरियार के अथक प्रयासों से यद्यपि ये कुरीतियां समाप्त तो नहीं हुई लेकिन उनके प्रति समाज में सहृदयता का विकास हुआ ।