नीतिशास्त्र विज्ञान है या कला ? ( Is ethics a science or art?)

Posted on March 15th, 2020 | Create PDF File

अब प्रश्न यह उठता है क्‍या नीतिशास्त्र को विज्ञान की संज्ञा दी जा सकती है? इस पर प्रायः विचारकों में सहमति है कि नीतिशास्त्र मानव-व्यवहार का एक क्रमबद्ध, सुसंबद्ध अध्ययन हैं तथा यह विशेष उदाहरणों पर आधारित होता है। अर्थात्‌, यह मानव व्यवहार से संबंधित तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उसे आदर्शमूलक स्वरूप प्रदान करने का प्रयास करता है।

 

नीतिशास्त्र को प्रायोगिक विज्ञान की भी संज्ञा नहीं दी जा सकती। प्रायोगिक विज्ञान जैसे मेडिकल साईंस में तथ्यों का ज्यों का त्यों अध्ययन किया जाता है तथा उसमें प्रायोगिक हस्तक्षेप की पूरी संभावना नहीं होती, यह केवल आदर्शों, मूल्यों एवं प्रतिमानों को स्थापित करते हुए मानव-व्यवहार का मूल्यांकन करता है। कहा जा सकता है कि नीतिशास्त्र मानव-व्यवहार को आदर्शमूलक स्वरूप प्रदान करने का प्रयास करता है।

 

नीतिशास्त्र का पारंपरिक रूप से अध्ययन दर्शनशास्त्र की एक शाखा के रूप में किया जाता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि अध्ययन की यह विधा जो पूर्णतः अमूर्त एवं वैचारिक हैं, क्या इसे विज्ञान की संज्ञा देना उचित है? यद्यपि नीतिशास्त्र दर्शनशास्त्र का ही एक भाग है लेकिन दर्शनशास्त्र सभी विषयों का मूल है। सभी विषय अपने स्वरूप की विशिष्टता के कारण धीरे-धीरे इस विषय से स्वतंत्र हुए। नीतिशास्त्र का स्वरूप वैचारिक एवं अमूर्त होते हुए भी मनुष्य के वास्तविक व्यवहार से संबंधित है। इसीलिए इसे विज्ञान की श्रेणी में रखा गया है।

 

पुनः प्रश्न उठता है कि क्‍या नीतिशास्त्र को कला की संज्ञा दी जा सकती है? सभी कला विषयों में प्रायः बाहय हस्तक्षेप की संभावना बनी रहती है, जो मानव-व्यवहार को बाहय एवं आन्तरिक दोनों रूप से प्रभावित करता है, जबकि नीतिशास्त्र मानव व्यवहार को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करता, बल्कि यह मानव-व्यवहार का अध्ययन करते हुए प्रतिमानों एवं आदर्शों को निर्धारित करने का प्रयास करता है।

 

नीतिशास्त्र का स्वरूप तथ्यात्मक होने के साथ-साथ तत्वमीमांसीय भी बना रहता है।वास्तव में नीतिशास्त्र दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जो मानव जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करने का प्रयास करता है। जिस प्रकार तत्वमीमांसा का मूल प्रश्न यह है कि इस जगत का मूल कारण क्‍या है उसी प्रकार नीति मीमांसा का मूल्य प्रश्न यहहै कि मानव जीवन का लक्ष्य क्या है?

 

इस प्रकार स्पष्ट है कि नीतिशास्त्र एक आदर्शमूलक आकारिक विज्ञान है। इसका स्वरूप तथ्यात्मक एवं अमूर्त दोनों है। यह अन्य आकारिक विज्ञान जैसे-गणित एवं तर्कशास्त्र की भांति अमूर्त चिंतन है लेकिन यह केवल अमूर्त एवं वैचारिक चिंतन मात्र नहीं है, बल्कि इसका स्वरूप आदर्श मूलक भी है। यह आदर्शों, मूल्यों एवं प्रतिमानों को परिभाषित एवं निर्धारित करने का प्रयास करता है। यद्यपि यह अपने विषयवस्तु के लिए मानव-व्यवहारों से संबंधित तथ्यों पर आधारित होता है।