क्रिकेट और क्रिकेट के इतिहास का परिचय( Introduction to cricket and cricket's history)
Posted on December 6th, 2018 | Create PDF File

क्रिकेट अब तक भारत में खेला जाने वाला सबसे लोकप्रिय खेल है। क्रिकेट ने भारत में अन्य खेलों पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर रखा है। इसका भारत में इस तरह जुनून है कि इसे यहां का धर्म तक कहा जाता है। हर व्यक्ति क्रिकेट खेलने या क्रिकेट मैचों को देखने का शौक रखता है। इसे बल्ले और गेंद की सहायता से खेला जाता है। क्रिकेट में दो टीमें होती है। प्रत्येक टीम में ग्यारह- ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। जहाँ यह खेला जाता है उस स्थान को पिच कहते है। पिच की लंबाई 22 गज होती है। इसके दोनों छोरों पर स्टंप लगे रहते हैं, जिनमें तीन डंडो पर दो- दो गिल्लियां सधीं रहती हैं। बल्लेबाज बल्ले से गेंद को मारकर रन लेने का प्रयास करता है। वहीं गेंदबाज चाहता है कि वह उसे आउट कर दे। पिच पर एक साथ दो बल्लेबाज उतरते हैं, उनमें से एक स्ट्राइक पर, और दूसरा नॉन-स्ट्राइक पर रहता है। गेंद को बल्ले से मारने के बाद दोनों बल्लेबाज अपने छोर बदल लेते हैं, इस प्रक्रिया को रन कहा जाता है। गेंद को उठाने के लिए मैदान पर बालर सहित 11 क्षेत्ररक्षक मौजूद रहते हैं, जो क्रीज (सुरक्षित घेरा) तक पहुंचने से पहले स्टंप को हिट करने और कैच लपकने का प्रयास करते हैं। अगर गेंद बाउंड्री लाइन तक बिना रुकावट चली जाती है, तो उसे 4 रन माना जाता है। वहीं अगर यही गेंद हवा में बिना कोई टिप्पा लिए बाउंड्री लाइन पार करती है, तो इसे 6 रन माना जाता है। बल्ले से गेंद लगने के बाद हवा में रहे, और क्षेत्ररक्षक उसे लपक ले, तो इसे कैच (आउट) माना जाएगा। आउट होने की स्थिति में मौजूदा बलेलेबाज को मैदान से बाहर जाना होगा और फिर उसके स्थान पर एक दूसरा बल्लेबाज बैटिंग करने उतरेगा। इस प्रकार एक एक करके 11 बल्लेबाज मैदान पर उतरते हैं। और एक स्कोर ( रनों की चुनौती) खड़ा करने का प्रयास करते हैं। विपक्षी टीम को इस स्कोर को बीट करना होता है। अर्थात् उसे दिए गए स्कोर से एक रन अधिक बनाना होता है। जिस टीम के रन अधिक होंगे उसे विजयी घोषित किया जाता है। इस खेल में एक गेंदबाज एक साथ 6 बार गेद फेंकता है, इसे एक ओवर कहा जाता है। ओवर समाप्त हो जाने पर अगला गेंदबाज नया ओवर लेकर आता है। इस तरह से गेंदबाजी चलती है। हर एक गेंदबाज को स्पिन (धीमा) और फास्ट ( तेज) गेंद फेंकने की इजाजत होती है।
हर एक गेंदबाज का गेंद फेंकने का अपना एक अलग तरीका ( एक्शन) होता है, जिसमें कोहनी का शरीर के साथ कोण मायने रखता है। सही कोण न पाए जाने की स्थिति में उस एक्शन को प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इसी प्रकार गेंद, गेंद की गोलाई, वजन, रंग, प्रकार, सीमन, खुरदरापन, चमक इत्यादि मायने रखती है। और इन सबके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश निर्धारित रहते हैं। वहीं बल्लेबाज के संबंध में सुरक्षा ( हेलमेट, दस्ताने, पैड आदि), सुरक्षा घेरा (क्रीज), बल्ले की लंबाई, चौड़ाई, और आकार तथा क्रीज में बने रहने के नियम आदि भी निश्चित होते हैं। बल्ले का वजन मायने नही रखता, वो हर बल्लेबाज अपनी सुविधानुसार चुन सकता है। इसी प्रकार शॉट का चयन भी वह अपनी मर्जी से करता है।
एक बल्लेबाजी कर रहे बैट्समैन को आउट करने के कई तरीके हो सकते हैं, जैसे- क्लीन बोल्ड, कैच आउट, हिट विकेट, स्टंप आउट, रन आउट, लेग बिफोर, कॉट एन्ड बोल्ड आदि। उसे किसी भी तरह पिच पर जमे रहना होता है, जबकि गेंदबाज हर प्रयास में उसको आउट करने की कोशिश करता है। बल्लेबाज द्वारा व्यक्तिगत 100 रन पूरे किए जाने पर शतक, और 50 रन पूरे किए जाने को अर्ध-शतक कहा जाता है। यह इस खेल की बड़ी उपलब्धियों में से एक है। वहीं गेंदबाज के लिए उसके द्वारा आउट किए गए बैट्समैनों की संख्या, विकेट कहलाती है। सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज सर्वश्रेष्ठ आंका जाता है।
क्रिकेट का शब्द कहां से आया ?
1598 में सबसे आरंभिक काल के ज्ञात संदर्भ में क्रिकेट को क्रेक्केट (Creckett) कहा जाता था। ऐसा माना जाता है यह नाम मध्य डच के क्रिक (-ए ), यानि छड़ी से व्युत्पन्न है या फिर पुरानी अंग्रेजी के क्रिक या क्राइके अर्थात बैसाखी या लाठी से लिया गया है। इसके अलावा सामुएल जॉनसन के अंग्रेज़ी भाषा के शब्दकोश (1755) में उन्होंने क्रिकेट की व्युत्पत्ति “क्राइके , सक्सोन, एक छड़ी” से बताया है। इतिहास में क्रिकेट को एक और संभावित स्रोत मध्य डच शब्द क्रिकस्टोल से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ एक लंबा हल्का स्टूल है, जिसका उपयोग चर्च में घुटने टेकने के लिए किया जाता था। इसका आकार शुरुआती क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाले दो स्टंप विकेट से मिलता-जुलता था।
क्रिकेट का इतिहास
17वीं शताब्दी की शुरुआत में यह बच्चों के खेल के रूप में जाना जाता था। बाद में वयस्क लोगों की भी इसमें भागीदारी बढने लगी। शुरुआत में क्रिकेट भेड़ के चारागाह या इसके किनारे खेला जाता था। उस समय भेड़ के ऊन के गोले (पत्थर या उलझे हुए ऊन के छोटे गोले) को गेंद के रूप में तथा छड़ी या अंकुनी या अन्य कृषि औजार को बल्ले के रूप में तथा स्टूल या पेड़ स्टंप (जैसे, विकेट, फाटक) आदि इस खेल के मूल उपकरण थे।
तथ्य और आँकड़ों की मानें तो इस खेल का इतिहास 16वीं शताब्दी से है। तब उस समय लोग अपना मन बहलाने के लिए आपस में मैच खेला करते थे। ऐसा माना जाता था कि पहले इंग्लैड के लोग मनोरंजक प्रयोजनों के लिए शहर से बाहर जाया करते थे।
एक बात और ध्यान देने योग्य है कि क्रिकेट की शुरुआत वहीं हुई है जहां पर अंग्रेजों का शासन रहा। इस समय तक, क्रिकेट भारत, उत्तर अमेरिका और वेस्ट इंडीज में शुरू हो चुका था, लेकिन पहला निश्चित उल्लेख 18वीं सदी में ही मिलता है। 1709 में, तत्कालीन अंग्रेज़ उपनिवेश वर्जीनिया के अपने जेम्स रीवर इस्टेट में विलियम बायर्ड ने क्रिकेट खेला था। नयी दुनिया में क्रिकेट खेले जाने का यह सबसे प्रारंभिक उल्लेख है।
1721 में, ईस्ट इंडिया कंपनी के अंग्रेज नाविकों द्वारा बड़ौदा के पास कैम्बे में क्रिकेट खेले जाने की खबर है और यह भारत में क्रिकेट खेलने का सबसे प्रारंभिक संदर्भ है। भारत में, और उसके बाद पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में क्रिकेट की शुरुआत और स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से हुई। पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच 1844 के बाद खेला गया था यद्यपि आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट 1877 से प्रारम्भ हुआ। उस समय यह खेल मूल रूप से इंग्लैंड में खेला जाता था जो कि अब पेशेवर रूप में अधिकांश राष्ट्र मंडल देशों में खेला जाता है।
प्रत्येक टीम द्वारा फेंके जाने वाले ओवरों की संख्या के आधार पर क्रिकेट के कई फार्मेट (प्रकार) होते हैं, जैसे- टी20 क्रिकेट( 20 ओवर), एकदिवसीय मैच ( 50 ओवर), टेस्ट क्रिकेट ( अनलिमिटेड ओवर)। टेस्ट क्रिकेट, क्रिकेट का सबसे पुराना फार्मेट है। इसे 5 दिनों तक खेला जाता है। पहले खेलने वाली टीम का निर्धारण सिक्का उछालकर किया जाता है। पूरी टीम आउट हो जाने की स्थिति में दूसरी टीम बल्लेबाजी करने उतरती है। उसके बाद दोनों टीमें बारी बारी से एक एक पारी और खेलती हैं। यानी कि इसमें हर एक टीम को दो दो पारियां खेलने का अवसर मिलता है। 5वें दिन तक जिस टीम के सबसे ज्यादा रन होते हैं, उसे विजयी माना जाता है। निर्धारित समय तक रन बराबर होने की स्थित में मैच ड्रॉ (बराबर) माना जाता है। अगर बाद में खेलने वाली टीम अंतिम 5वें दिन तक आउट नही होती, और उसके रनों की संख्या दूसरी टीम के मुकाबले भले ही कम रहती है, तो भी मैच को ड्रॉ माना जाता है। मौसम खराब होने की स्थिति में मैच बीच में बाधित होने पर भी खेल को ड्रॉ समझा जाता है। और किसी भी टीम को विजेता नही घोषित किया जाता। इस प्रकार यह खेल बाकी खेलों के जैसे ही कई विशेष नियमों और शर्तों के अंतर्गत खेला जाता है। अंतर्राष्ट्रीय तौर पर आईसीसी ( इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) इसे नियंत्रित एवं नियमित करती है। इसके अलावा अलग देशों की टीमो के लिए उनके अपने क्रिकेट बोर्ड होते हैं। भारत में बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया) इस खेल की निगरानी करता है। इस खेल में हर 4 साल में एकदिवसीय क्रिकेट विश्वकप और हर दो साल में टी20 क्रिकेट विश्वकप प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा द्विपक्षीय सीरीज, त्रिकोणीय श्रृंखला, एशिया कप, चैंपिय़ंस ट्राफी आदि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। घरेलू प्रतियोगिताओं में दिलीप ट्राफी, रणजी, काउंटी क्रिकेट आदि अनेक खेली जाती हैं। हाल ही में क्रिकेट में फ्रेंचाइजी टीमों का गठन कर व्यावसायिक स्तर पर इन खेलों का आयोजन शुरू किया गया है, जिसे प्रीमियर लीग के नाम से जाना जाता है। इंडियन प्रीमियर लीग उन्ही में से एक है। इन खेलों मे भारी स्तर पर पैसा, सट्टा, फिक्सिंग, नियमों के साथ छेड़छाड़, मैदान पर गलत व्यवहार आदि विकृतियां भी देखने में सामने आती हैं। जिनका समय समय पर नियमन करके निराकरण करने का प्रयास किया जाता रहा है। टेलीविजन पर इन खेलों के जीवंत प्रसारण शुरु होने से इनकी लोकप्रियता और भी ज्यादा बढ़ गई है। बड़े- बड़े मैदानों, जिनमें हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद रहते हैं, में खेल के नियमों का पालन करना और सही निर्णय देना अंपायर (निर्णायक) का काम होता है। मैच के दौरान दो फील्ड अंपायर मैदान पर और एक थर्ड अंपायर(टीवी अंपायर) मैदान के बाहर मौजूद रहते हैं। इसके अलावा मैच रेफरी भी खेल पर नजर रखता है।