पर्यावरण एवं परिस्थितिकी समसामियिकी 2 (14-Jan-2021)^भारतीय प्रजाति के गैंडे^(Indian Species of Rhinoceros)
Posted on January 14th, 2021
हाल ही में पोलैंड के व्रोकलॉ चिड़ियाघर में भारतीय मादा गैंडा ने एक शावक को जन्म दिया है। ये भारतीय गैंडो लुप्तप्राय है तथा इस शावक का जन्म इस दुलर्भ जानवर के संरक्षण की दिशा में अहम घटनाक्रम है।
भारतीय गैंडे मुख्य रूप से उत्तरी भारत विशेषकर उत्तर पूर्वी राज्यों और नेपाल में पाये जाते हैं। ये भारतीय गैंडे अपने निकट अफ्रीकी रिश्तेदारों से शारीरिक रूप से भिन्न होते हैं। भारतीय गैंडा एक सींग वाला होता है और गैंडे की प्रजाति में सबसे विशाल प्रजाति है। भारतीय गैंडे का इसकी सींग के लिए अवैध रूप से शिकार किया जाता है। सबसे अधिक एक सींग वाले गैंडे असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में पाए जाते हैं।
एक समय भारतीय उप-महाद्वीप के लगभग पूरे उत्तरी भाग में एक सींग वाले गैंडे व्यापक रूप से पाये जाते थे लेकिन धीरे-धीरे इसकी आबादी घटने लगी क्योकि इसकी अवैध शिकार और कृषि के नुकसान के आधार पर बढ़ी मात्रा में हत्या हो रही थी। 20 वीं सदी की शुरुआत में यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी थी और लगभग 200 की संख्या में ही एक सींग वाले गैंडे बचे थे। 1975 में भारतीय गैंडे को CITES की सूची-I में शामिल कर लिया गया था। भारत में इसके शिकार को 1910 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया था। 1970 के दशक में शुरू किए गए संरक्षण कार्यक्रम की वजह से अब इनकी संख्या बढ़कर 3700 से ज्यादा हो गयी है और इनमें से 170 से अधिक गैंडे दुनियाभर के 66 चिड़िया घरों में हैं। यह एशिया की ऐसी एकमात्र स्तनधारी प्रजाति है जिसे 2008 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की सूची में विलुप्तप्राय से असुरक्षित प्रजाति की रेड सूची में डाला दिया गया था। 2019 में नई दिल्ली में आयोजित गैंडा रेंज के अंतर्गत आने वाले एशियाई देशों की बैठक के दौरान भारत सहित गैंडा रेंज के चार देशों ने “एशियाई गैंडों पर नई दिल्ली घोषणा-2019” (New Delhi Declaration on Asian Rhinos 2019) हस्ताक्षर किए थे।
गैंडे की तीन प्रजातियों – ब्लैक राइनों, जावा राइनों और सुमात्रा राइनों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है। सफल संरक्षण के प्रयासों से ग्रेटर वन-हॉर्न या भारतीय गैंडों की संख्या में वृद्धि हुई और इसको IUCN की लुप्तप्राय श्रेणी से हटकर असुरक्षित (vulnerable) श्रेणी में रखा गया है।
पर्यावरण एवं परिस्थितिकी समसामियिकी 2 (14-Jan-2021)भारतीय प्रजाति के गैंडे(Indian Species of Rhinoceros)
हाल ही में पोलैंड के व्रोकलॉ चिड़ियाघर में भारतीय मादा गैंडा ने एक शावक को जन्म दिया है। ये भारतीय गैंडो लुप्तप्राय है तथा इस शावक का जन्म इस दुलर्भ जानवर के संरक्षण की दिशा में अहम घटनाक्रम है।
भारतीय गैंडे मुख्य रूप से उत्तरी भारत विशेषकर उत्तर पूर्वी राज्यों और नेपाल में पाये जाते हैं। ये भारतीय गैंडे अपने निकट अफ्रीकी रिश्तेदारों से शारीरिक रूप से भिन्न होते हैं। भारतीय गैंडा एक सींग वाला होता है और गैंडे की प्रजाति में सबसे विशाल प्रजाति है। भारतीय गैंडे का इसकी सींग के लिए अवैध रूप से शिकार किया जाता है। सबसे अधिक एक सींग वाले गैंडे असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में पाए जाते हैं।
एक समय भारतीय उप-महाद्वीप के लगभग पूरे उत्तरी भाग में एक सींग वाले गैंडे व्यापक रूप से पाये जाते थे लेकिन धीरे-धीरे इसकी आबादी घटने लगी क्योकि इसकी अवैध शिकार और कृषि के नुकसान के आधार पर बढ़ी मात्रा में हत्या हो रही थी। 20 वीं सदी की शुरुआत में यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी थी और लगभग 200 की संख्या में ही एक सींग वाले गैंडे बचे थे। 1975 में भारतीय गैंडे को CITES की सूची-I में शामिल कर लिया गया था। भारत में इसके शिकार को 1910 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया था। 1970 के दशक में शुरू किए गए संरक्षण कार्यक्रम की वजह से अब इनकी संख्या बढ़कर 3700 से ज्यादा हो गयी है और इनमें से 170 से अधिक गैंडे दुनियाभर के 66 चिड़िया घरों में हैं। यह एशिया की ऐसी एकमात्र स्तनधारी प्रजाति है जिसे 2008 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की सूची में विलुप्तप्राय से असुरक्षित प्रजाति की रेड सूची में डाला दिया गया था। 2019 में नई दिल्ली में आयोजित गैंडा रेंज के अंतर्गत आने वाले एशियाई देशों की बैठक के दौरान भारत सहित गैंडा रेंज के चार देशों ने “एशियाई गैंडों पर नई दिल्ली घोषणा-2019” (New Delhi Declaration on Asian Rhinos 2019) हस्ताक्षर किए थे।
गैंडे की तीन प्रजातियों – ब्लैक राइनों, जावा राइनों और सुमात्रा राइनों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है। सफल संरक्षण के प्रयासों से ग्रेटर वन-हॉर्न या भारतीय गैंडों की संख्या में वृद्धि हुई और इसको IUCN की लुप्तप्राय श्रेणी से हटकर असुरक्षित (vulnerable) श्रेणी में रखा गया है।