विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामयिकी 1(19-May-2022)
भारत के पहले 5G टेस्टबेड का उद्घाटन
(India's first 5G testbed inaugurated)

Posted on May 19th, 2022 | Create PDF File

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के पहले 5G टेस्टबेड (5G testbed) का उद्घाटन किया। यह 5G टेस्टबेड ‘स्टार्ट-अप’ और औद्योगिक कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं पर निर्भरता को समाप्त करते हुए, स्थानीय स्तर पर अपने उत्पादों का परीक्षण करने की अनुमति देगा।

 

प्रधान मंत्री ने इस अवसर के दौरान कहा, कि “5जीआई के रूप में जो भारत का अपना 5जी स्टैंडर्ड बनाया गया है, वो देश के लिए बहुत गर्व की बात है। ये देश के गांवों में 5जी टेक्नॉलॉजी पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।”

 

5जीआई :

 

5G रेडियो इंटरफेस टेक्नोलॉजी, जिसे 5Gi कहा जाता है, एक स्थानीय रूप से डिज़ाइन किया गया दूरसंचार नेटवर्क है जिसे आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मद्रास और ‘वायरलेस टेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence in Wireless Technology) द्वारा डिज़ाइन किया गया है।

 

यह तकनीक, वैश्विक 5जी मानकों का विकल्प होगी।

 

5Gi तकनीक, 5G के विपरीत, कम आवृत्ति पर अधिक रेंज प्रदान करती है। 5G तकनीक 700 मेगाहर्ट्ज से 52,000 मेगाहर्ट्ज बैंड के बीच काम करती है, तथा इसकी रेंज अपेक्षाकृत कम होती है।

 

5Gi के लाभ :

 

5Gi मानक का उपयोग करने से देश में दूरसंचार कंपनियां गांवों में 5G कनेक्टिविटी का विस्तार कर सकेंगी।

 

यह तकनीक लागत प्रभावी है।

 

5Gi यह सुनिश्चित करेगी, कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों और देश के ग्रामीण हिस्सों में 5Gi की प्रगति के बीच कोई अंतराल न हो।

 

5Gi के समक्ष चुनौतियाँ :

 

यह तकनीक टेलीकॉम कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। 5Gi मानक पर कार्य करने हेतु उनके लिए मौजूदा सेटअप को फिर से तैयार करना होगा। और इससे उन्हें एक बार फिर बहुत सारा पैसा खर्च करना पड़ेगा।

 

5G तकनीक से 5Gi तकनीक में परिवर्तन करना काफी ‘लागत-गहन’ होगा और इस तकनीक को अपनाने पर स्थानीय बैंड ‘वैश्विक नेटवर्क’ के साथ ‘असंगत’ होने की भी काफी संभावना है, क्योंकि 5Gi तकनीक वैश्विक 5G मानक – जोकि 3GPP तकनीक पर आधारित है – के साथ काम नहीं कर सकती।