अन्तर्राष्ट्रीय समसामियिकी 4 (2-Dec-2020)
भारत ने चीन की ''वन बेल्ट, वन रोड''परियोजना का विरोध किया
(India opposes China's "One Belt One Road-OBOR" project)

Posted on December 2nd, 2020 | Create PDF File

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हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की हुई ऑनलाइन बैठक के दौरान भारत ने चीन की ''वन बेल्ट, वन रोड'' (One Belt One Road-OBOR) परियोजना का विरोध किया है।


हाल ही में आयोजित हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की ऑनलाइन बैठक में भारत को छोड़कर एससीओ के बाकी सभी सदस्य देशों ने एक बार फिर चीन की महत्वाकांक्षी ''वन बेल्ट, वन रोड'' परियोजना का समर्थन किया है।आठ सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद की 19वीं बैठक की एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीन की ''वन बेल्ट, वन रोड'' (One Belt One Road-OBOR) परियोजना के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।

 


''वन बेल्ट, वन रोड'' (One Belt One Road-OBOR) परियोजना के माध्यम से चीन प्राचीन सिल्क मार्ग को पुनः विकसित कर रहा है।इसके महत्वपूर्ण परियोजना के जरिए चीन सड़कों, रेल, बंदरगाह, पाइपलाइनों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से मध्य एशिया से लेकर यूरोप और फिर अफ्रीका तक स्थलीय व समुद्री मार्ग तैयार कर रहा है।''वन बेल्ट, वन रोड'' परियोजना की शुरुआत चीन ने वर्ष 2013 में की थी। यह परियोजना चीन की विदेश नीति का एक हिस्सा है। इस परियोजना में एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देश बड़े देश शामिल हैं।चीन की इस परियोजना का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, गल्फ कंट्रीज़, अफ्रीका और यूरोप के देशों को सड़क और समुद्री रास्ते से जोड़ना है।चीन की यह योजना क़रीब दुनिया के 60 से अधिक देशों को सड़क, रेल और समुद्री रास्ते से जोड़ने का काम करेगी। चीन के मुताबिक़ उनकी इस परियोजना से दुनिया के अलग - अलग देश एक दूसरे के नज़दीक आएंगे जिससे आर्थिक सहयोग के साथ आपसी संपर्क को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी।चीन के मुताबिक़, इस परियोजना का मकसद आर्थिक है जिसके पूरा होने से विश्व का परिदृश्य बदल सकता है।

 


भारत , ''वन बेल्ट, वन रोड'' (One Belt One Road-OBOR) परियोजना का विरोध चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के कारण करता है।लगभग 50 अरब डॉलर की लागत वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) ओबीओआर परियोजना का हिस्सा है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। इस परियोजना में पाकिस्तान में बंदरगाह, सड़कों, पाइपलाइन्स, दर्जनों फैक्ट्रियों और एयरपोर्ट जैसे कई अवसंरचनात्मक निर्माण शामिल है। इसके जरिए चीन, अरब सागर के ग्वादर बंदरगाह तक अपनी कनेक्टिविटी मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।यह कॉरिडोर भारत के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जोकि संवैधानिक रूप से भारत का हिस्सा है। चीन ने इस गलियारे के विकास के लिए भारत से कोई इजाज़त नहीं ली है।विवादित पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर केवल पाकिस्तान इजाजत से किसी अंतराष्ट्रीय परियोजना का संचालन पीओके(PoK) पर पाकिस्तान के स्वामित्व और कश्मीर मुद्दे के अंतर्राष्ट्रीयकरण का कारण बन सकता है जो भारत नहीं चाहता है।


सीपेक (CPEC ) और ग्वादर के विकास के पीछे अपनी आपूर्ति लाइनों को सुरक्षित और छोटा करने के साथ-साथ हिंदमहासागर में उपस्थिति को मजबूत करने की चीनी योजना है। उल्लेखनीय है कि चीनी उपस्थिति हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को कम कर सकती है।सीपेक (CPEC ) रणनीतिक रूप से भारत को घेरने की योजना हो सकती है, क्योकि सीपेक (CPEC) चीन के लिए पूर्णतः मुक्त यातायात की सुविधा उपलब्ध करवाता है और किसी विषम परिस्थिति में भारत की पश्चिमी सीमा पर चीन अपने हथियारों और सेना के साथ पहुँच कर पंजाब और राजस्थान के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।हालांकि चीन और पाकिस्तान दोनों की ओर से यह स्पष्टीकरण दिया गया है कि ग्वादर बंदरगाह का उपयोग केवल आर्थिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। लेकिन भारत को यह चिंता है कि हिंद महासागर में अपना आधिपत्य सुनिश्चित करने के लिए चीन ग्वादर में एक नौसेना बेस स्थापित कर सकता है।

 

भारत का यह भी कहना है कि चीन ''वन बेल्ट, वन रोड'' (One Belt One Road-OBOR) परियोजना के तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों को अपने ऋण जाल में फसा रहा है अर्थात इस योजना में पारदर्शिता कम है।

 



1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यह संगठन अस्तित्व में आया था। 1996 में बना यह संगठन पहले ‘शंघाई – 5’ के नाम से जाना जाता था, जिसमें चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान सदस्य देश शामिल थे।2001 में इस संगठन का विस्तार हुआ और उजबेकिस्तान भी इस संगठन में शामिल हो गया। उजबेकिस्तान के इस संगठन में शामिल होने के बाद इसका नाम शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) रखा गया।शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO), एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है।वर्तमान में इस संगठन में आठ सदस्य देश हैं, यथा- रूस, भारत, कजाकिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान हैं। भारत और पाकिस्तान को 2017 में शंघाई सहयोग संगठन के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया था।