पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1(6-August-2022)^रामसर स्थलों की संख्या में वृद्धि^(Increase in the number of Ramsar sites)
Posted on August 6th, 2022
हाल ही में भारत द्वारा 10 और आर्द्रभूमियों को रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों के रूप में शामिल किया गया है, इसी के साथ देश में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है।
इससे पहले भारत ने अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के पाँच नई आर्द्रभूमियों को नामित किया था- तमिलनाडु में करीकिली पक्षी अभयारण्य, पल्लिकरनई मार्श रिज़र्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव; मिज़ोरम में पाला आर्द्रभूमि तथा मध्य प्रदेश में साख्य सागर।
रामसर स्थल रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की एक आर्द्रभूमि है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि 'आर्द्रभूमियों पर अभिसमय' के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ उस वर्ष सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये गए थे।
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1(6-August-2022)रामसर स्थलों की संख्या में वृद्धि(Increase in the number of Ramsar sites)
हाल ही में भारत द्वारा 10 और आर्द्रभूमियों को रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों के रूप में शामिल किया गया है, इसी के साथ देश में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है।
इससे पहले भारत ने अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के पाँच नई आर्द्रभूमियों को नामित किया था- तमिलनाडु में करीकिली पक्षी अभयारण्य, पल्लिकरनई मार्श रिज़र्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव; मिज़ोरम में पाला आर्द्रभूमि तथा मध्य प्रदेश में साख्य सागर।
रामसर स्थल रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की एक आर्द्रभूमि है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि 'आर्द्रभूमियों पर अभिसमय' के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ उस वर्ष सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये गए थे।