स्वास्थ्य समसामियिकी 1 (14-Jan-2021)
स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनो तकनीकी का महत्व
(Importance of Nanotechnology in the Health Sector)

Posted on January 14th, 2021 | Create PDF File

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जर्मनी स्थिति बॉन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान दल ने कोविड -19 का कारण बनने वाले SARS-CoV-2 वायरस से लड़ने में सक्षम एक नैनो आकार के एंटीबॉडी की पहचान की है। ये "नैनोबॉडी" क्लासिक एंटीबॉडी की तुलना में बहुत छोटे हैं और वे क्षतिग्रस्त ऊतकों तक आसानी से पहुँच जाते हैं और इन्हें बड़ी मात्रा में उत्पादित भी किया जा सकता हैं।

 

नैनोबॉडी :

एक एकल-डोमेन एंटीबॉडी (single-domain antibody-sdAb) को ही नैनोबॉडी के नाम से भी जाना जाता है।नैनोबॉडी एंटीबॉडी का एक ऐसा एकल खंड होता है जो मोनोमेरिक वैरिएबल एंटीबॉडी डोमेन युक्त होता है। यह एक एंटीबॉडी की तरह ही किसी विशिष्ट एंटीजन के विरुद्ध चुनिंदा रूप से कार्य करने में सक्षम होता है। एकल-डोमेन एंटीबॉडी सामान्य एंटीबॉडी से आकर में बहुत छोटे होते हैं। इनका आकार केवल 12-15 kDa के आणविक भार के बराबर होता है।

 

नैनो तकनीक का स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोग

चिकित्सा के क्षेत्र में नैनो तकनीकी का सर्वाधिक महत्व है। कोशिकीय संरचना और कोशिकीय जैव रासायनिक अभिक्रियाएं नैनो पैमाने के अंतर्गत ही आती हैं और इस पैमाने पर पहुँचकर अध्ययन करना जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में परिवर्तन करना नैनो तकनीक के द्वारा संभव हुआ। नैनो तकनीकी निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रो में किया जा सकता है:

  • अति संवेदनशील रोग सूचक (Highly Sensitive Disease Detectors): इसके अंतर्गत ऐसे नैनो संवेदकों का निर्माण किया जाता है जो किसी रोग के कारण पैदा होने वाले रसायन या प्रोटीन के प्रतिसंवदनशील होते है। यह नैनो संरचना शरीर के अंदर रोग पैदा करने वाले कारकों से जुड़कर रोग होने की पुष्टि करता है। इसकी सहायता से कैंसर, अल्जाइमर, एचआईवी संक्रमण आदि का पता प्रारंभिक अवस्था में ही लगाया जा सकता है।
  • लक्षित रूप से दवा पहुँचाने की विधि (Targeted Drug Delivery System): नैनो संवेदकों के साथ कैंसर कोशिकाओं तथा रोगाणुओं को मारने के लिए दवाओं को भी समायोजित किया जा सकता है। इस प्रणाली के उपयोग से बीमार कोशिकाओं और रोगाणुओं को पहचान कर नष्ट किया जा सकता है। इस पद्धति के उपयोग से उपचार की सटीकता बढ़ेगी और दवाओं का कुप्रभाव शरीर के अन्य अंगों और ऊतकों पर नहीं होगा।
  • ग्लासगो विश्वविद्यालय (UK) के वैज्ञानिकों ने मेनिंजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) की जाँच के लिए चाँदी नैनो कण एवं लेजर आधारित एक जाँच प्रक्रिया का आयोजन किया है।
  • डीआरडीओ तथा आईआईएससी के सम्मिलित प्रयास के नैनो संवेदकों पर आधारित टाइफाइड जाँच किट का विकास किया गया है।
  • कार्नेल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने रक्त में उपस्थित कैंसर कोशिकाओं के नष्ट करने वाली नैनो मशीन का विकास किया है।
  • ऊतक अभियांत्रिकी (Tissue Engineering): शिकागो स्थित Feinberg School of Medicine के शोधकर्त्ताओं ने नैनो पदार्थ युक्त् एक जेल का विकास किया है जो क्षतिग्रस्त ऊतकों में कोशिकीय विभाजन की प्रक्रिया को तीव्र कर देता है जिससे घाव तेजी से भरते है। इस जेल की सहायता से शरीर के अंगों में तथा उनकी आकृति में वदलाव भी किया जा सकते हैं।
  • जीवाणुरोधी पट्टी (Antimicrobial dressings): इन पट्टियों में चाँदी के नैनो कणों का प्रयोग किया जाता है जो जीवाणुओं को मारकर संक्रमण की संभावना को कम करता है।