कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (1-Dec-2020)^हॉर्नबिल फेस्टिवल^ (Hornbill Festival)
Posted on December 1st, 2020
नार्थईस्ट के लोकप्रिय उत्सवों में से एक नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल(Hornbill Festival) का इस वर्ष वर्चुअल रूप से आयोजन किया जयेगा।
कोविड-19 महामारी के बीच नागालैंड में 1 दिसम्बर से लेकर 5 दिसम्बर तक हॉर्नबिल फेस्टिवल(Hornbill Festival) का वर्चुअल रूप से आयोजन किया जा रह है।नागालैंड में हॉर्नबिल फेस्टिवल(Hornbill Festival) का यह 21वां संस्करण है।नागालैंड ने हॉर्नबिल फेस्टिवल को 'फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स'(Festival of Festivals) के रूप में चिन्हित किया है।
हॉर्नबिल फेस्टिवल (Hornbill Festival) का आयोजन प्रत्येक वर्ष नागालैंड राज्य के स्थापना दिवस (1 दिसंबर, 1963) पर किया जाता है।इस त्यौहार की शुरूआत वर्ष 2000 में नागालैंड सरकार ने कराई थी जिसका उद्देश्य नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना व देश दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से रूबरू कराना था।इस त्यौहार का आयोजन राज्य पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग नागालैंड द्वारा कराया जाता है। एक लम्बे समय से नागालैंड अशांति व हिंसा का शिकार रहा है तथा यह त्यौहार यहां के भटके हुये युवाओं को सही राह पर लाने व यहां आपसी शांति बनाये रखने में काफी कारगर रहा है।नागालैंड की 60 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी कृषि कार्यों पर आश्रित है। इसीलिये यह त्यौहार भी कृषि, उत्पादों, हस्तकला, भोजन, ग्रीन संगीत, नृत्य आदि के इर्द गिर्द घूमता नजर आता है।इस त्यौहार में नागाओं के पारम्परिक खेलों, उनकी युद्ध कलाओं, नृत्य, गीत संगीत आदि का मंचन देखने को मिलता है।हार्नबिल त्यौहार का यह नाम उसे हार्नबिल चिड़िया के नाम पर मिला है। इस चिडि़या को नागा जनजाति में पवित्र माना जाता है व नागाओं की पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र भी मिलता है।
हॉर्नबिल (Hornbill) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका, एशिया में पाए जाने वाला एक पक्षी है। इसे भारत में धनेश के नाम से भी जाना जाता है।हॉर्नबिल की विशेषता लंबे, घुमावदार और चमकीले होती है।भारत में हार्नबिल की लगभग 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं ; जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (भारत का स्थानिक), मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (पश्चिमी घाट का स्थानिक), मालाबार पाइड हॉर्नबिल (भारत व श्रीलंका का स्थानिक), व्यापक रूप से पाया जाने वाला ग्रेट हॉर्नबिल (अरुणाचल प्रदेश और केरल का राजकीय पक्षी) इत्यादि।भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में रफस-नेक्ड हॉर्नबिल, ऑस्टेन ब्राउन हॉर्नबिल आदि अन्य हार्नबिल की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के नर्कोन्दम द्वीप में हॉर्नबिल पक्षी की नर्कोन्दम प्रजाति पायी जाती है। इसकी संख्या काफी कम बची है।हॉर्नबिल पक्षी के अवैध शिकार ने इसे संकटग्रस्त कर दिया है। भारत सरकार ने इनके संरक्षण के लिए कई प्रोग्राम चलाये हैं।
नागालैंड राज्य ख़ूबसूरत पहाड़ियों और यहां बहने वाली नदियों के मधुर संगीत से गुलज़ार रहता है। हिमालय की तराई में बसा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य, रोचक इतिहास और अदभूत संस्कृति से भरपूर है।नगा जनजाति के लोग मंगोल प्रजाति से ताल्लुक रखते है। क़रीब बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी के आस पास ये जनजातियां असम के अहोम लोगों के संपर्क में आईं । ये जनजातियां अपने संस्कृति को लेकर काफी सतर्क थीं। इसलिए असम में आने के बावजूद भी इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष अंतर नहीं आया।अंग्रेज़ों के भारत में आने के बाद भी नागालैंड कई वर्षों तक आज़ाद रहा। लेकिन उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों ने नागालैंड को भी ब्रिटिश शासन के अधीन कर लिया। हलांकि अंग्रेज़ योद्धाओं की भूमि कहे जाने वाले नागालैंड पर भारत के दूसरे इलाकों की तरह शासन नहीं कर पाए।
भारत को आज़ादी मिलने के बाद 1957 में नागालेंड पहले केंद्र शासित राज्य बना और फिर 1 दिसंबर, 1963 को इसे 16 वें राज्य के तौर पर मान्यता दे दी गई।नागालैंड पूर्वोतर में बसा ख़ूबसूरत पहाड़ियों वाला राज्य है। इसकी सीमाएं पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरूणाचल, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से मिलती हैं।असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्य का ज़्यादातर इलाका पहाड़ी है। नागालैंड की सबसे ऊंची पहाड़ी सरमती है जिसकी ऊंचाई क़रीब 3,840 मीटर है। सरमती पहाड़ी नागालैंड और म्यांमार को एक प्राकृतिक सीमा रेखा के रूप में अलग करती है।नागालैंड में क़रीब 16 से अधिक जनजातियां रहती हैं। नागालैंड की प्रमुख जनजातियां में अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, और कुकी जैसी कई अन्य जनजातियां शुमार हैं। नगा जनजाति में काफी विविधता है। नागालैंड में रहने वाली जनजातियों की अपनी अलग-अलग कला और संस्कृति है।
कला एवं संस्कृति समसामियिकी 1 (1-Dec-2020)हॉर्नबिल फेस्टिवल (Hornbill Festival)
नार्थईस्ट के लोकप्रिय उत्सवों में से एक नागालैंड के हॉर्नबिल फेस्टिवल(Hornbill Festival) का इस वर्ष वर्चुअल रूप से आयोजन किया जयेगा।
कोविड-19 महामारी के बीच नागालैंड में 1 दिसम्बर से लेकर 5 दिसम्बर तक हॉर्नबिल फेस्टिवल(Hornbill Festival) का वर्चुअल रूप से आयोजन किया जा रह है।नागालैंड में हॉर्नबिल फेस्टिवल(Hornbill Festival) का यह 21वां संस्करण है।नागालैंड ने हॉर्नबिल फेस्टिवल को 'फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स'(Festival of Festivals) के रूप में चिन्हित किया है।
हॉर्नबिल फेस्टिवल (Hornbill Festival) का आयोजन प्रत्येक वर्ष नागालैंड राज्य के स्थापना दिवस (1 दिसंबर, 1963) पर किया जाता है।इस त्यौहार की शुरूआत वर्ष 2000 में नागालैंड सरकार ने कराई थी जिसका उद्देश्य नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना व देश दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से रूबरू कराना था।इस त्यौहार का आयोजन राज्य पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग नागालैंड द्वारा कराया जाता है। एक लम्बे समय से नागालैंड अशांति व हिंसा का शिकार रहा है तथा यह त्यौहार यहां के भटके हुये युवाओं को सही राह पर लाने व यहां आपसी शांति बनाये रखने में काफी कारगर रहा है।नागालैंड की 60 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी कृषि कार्यों पर आश्रित है। इसीलिये यह त्यौहार भी कृषि, उत्पादों, हस्तकला, भोजन, ग्रीन संगीत, नृत्य आदि के इर्द गिर्द घूमता नजर आता है।इस त्यौहार में नागाओं के पारम्परिक खेलों, उनकी युद्ध कलाओं, नृत्य, गीत संगीत आदि का मंचन देखने को मिलता है।हार्नबिल त्यौहार का यह नाम उसे हार्नबिल चिड़िया के नाम पर मिला है। इस चिडि़या को नागा जनजाति में पवित्र माना जाता है व नागाओं की पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र भी मिलता है।
हॉर्नबिल (Hornbill) उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका, एशिया में पाए जाने वाला एक पक्षी है। इसे भारत में धनेश के नाम से भी जाना जाता है।हॉर्नबिल की विशेषता लंबे, घुमावदार और चमकीले होती है।भारत में हार्नबिल की लगभग 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं ; जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (भारत का स्थानिक), मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (पश्चिमी घाट का स्थानिक), मालाबार पाइड हॉर्नबिल (भारत व श्रीलंका का स्थानिक), व्यापक रूप से पाया जाने वाला ग्रेट हॉर्नबिल (अरुणाचल प्रदेश और केरल का राजकीय पक्षी) इत्यादि।भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में रफस-नेक्ड हॉर्नबिल, ऑस्टेन ब्राउन हॉर्नबिल आदि अन्य हार्नबिल की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के नर्कोन्दम द्वीप में हॉर्नबिल पक्षी की नर्कोन्दम प्रजाति पायी जाती है। इसकी संख्या काफी कम बची है।हॉर्नबिल पक्षी के अवैध शिकार ने इसे संकटग्रस्त कर दिया है। भारत सरकार ने इनके संरक्षण के लिए कई प्रोग्राम चलाये हैं।
नागालैंड राज्य ख़ूबसूरत पहाड़ियों और यहां बहने वाली नदियों के मधुर संगीत से गुलज़ार रहता है। हिमालय की तराई में बसा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य, रोचक इतिहास और अदभूत संस्कृति से भरपूर है।नगा जनजाति के लोग मंगोल प्रजाति से ताल्लुक रखते है। क़रीब बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी के आस पास ये जनजातियां असम के अहोम लोगों के संपर्क में आईं । ये जनजातियां अपने संस्कृति को लेकर काफी सतर्क थीं। इसलिए असम में आने के बावजूद भी इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष अंतर नहीं आया।अंग्रेज़ों के भारत में आने के बाद भी नागालैंड कई वर्षों तक आज़ाद रहा। लेकिन उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों ने नागालैंड को भी ब्रिटिश शासन के अधीन कर लिया। हलांकि अंग्रेज़ योद्धाओं की भूमि कहे जाने वाले नागालैंड पर भारत के दूसरे इलाकों की तरह शासन नहीं कर पाए।
भारत को आज़ादी मिलने के बाद 1957 में नागालेंड पहले केंद्र शासित राज्य बना और फिर 1 दिसंबर, 1963 को इसे 16 वें राज्य के तौर पर मान्यता दे दी गई।नागालैंड पूर्वोतर में बसा ख़ूबसूरत पहाड़ियों वाला राज्य है। इसकी सीमाएं पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरूणाचल, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से मिलती हैं।असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्य का ज़्यादातर इलाका पहाड़ी है। नागालैंड की सबसे ऊंची पहाड़ी सरमती है जिसकी ऊंचाई क़रीब 3,840 मीटर है। सरमती पहाड़ी नागालैंड और म्यांमार को एक प्राकृतिक सीमा रेखा के रूप में अलग करती है।नागालैंड में क़रीब 16 से अधिक जनजातियां रहती हैं। नागालैंड की प्रमुख जनजातियां में अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, और कुकी जैसी कई अन्य जनजातियां शुमार हैं। नगा जनजाति में काफी विविधता है। नागालैंड में रहने वाली जनजातियों की अपनी अलग-अलग कला और संस्कृति है।