विश्व में सूचना के अधिकार का इतिहास (History of Right to Information in world)

Posted on April 6th, 2020 | Create PDF File

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विश्व में सूचना के अधिकार का इतिहास

(History of Right to Information in world)

 

दुनिया भर में स्वीडन ऐसा पहला देश है जिसने शासकीय कामकाज में पारदर्शिता और सूचना के अधिकार के लिए 243 साल पहले सूचना का अधिकार लागू किया था। शासकीय कार्यों में पारदिर्शता एवं सूचना के अधिकार को लगभग 1940 के दशक में अन्तर्राष्ट्रीय स्‍तर पर एक महत्वपूर्ण जरूरत मान लिया गया था। 1946 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि सूचना का अधिकार मनुष्य का एक बुनियादी अधिकार है तथा यह उन सभी स्वतंत्रताओं की कसौटी है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिष्ठित किया है। इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1948 में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में घोषणा की कि 'जानकारी पाने की इच्छा रखना, उसे प्राप्त करना तथा किसी माध्यम द्वारा जानकारी एवं विचारों को फैलाना मनुष्य का मौलिक अधिकार है।'

 

फिनलैंड में 1951 में सरकारी दस्तावेजों की सार्वजनिक प्रकृति निर्धारित करने सम्बन्धी कानून के रूप में पारदर्शिता लागू की गई। कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने संयुक्त राष्ट्र संघ की भावनाओं के अनुरूप सूचना के अधिकार सम्बन्धी कानून बनाए। हालाँकि इनमें कई पकार के निर्बंधन व अपवाद भी रखे गए। इसके बावजूद पूरी दुनिया में सूचना के अधिकार की लहर चल पड़ी। ब्रिटेन ने अपने सौ वर्ष पुराने गोपनीयता कानून में संशोधन किया।

 

कनाडा में "एक्सेस टू इनफॉरमेशन एक्ट, 1982" के जरिए सूचना का अधिकार लागू हुआ। अमेरिका के सूचना स्वातंत्रय अधिनियम, 1974 के तहत सूचना देने का दायित्व शासन पर है। फ्रांस में सरकारी दस्तावेजों तक नागरिकों की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु 1978 में कानून बना। न्यूजीलैंड ने "ऑफिशियल इनफॉरमेशन एक्ट, 1982" बनाया।