पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1 (6-October-2021)
जल प्रबंधन के लिये हेली-बोर्न सर्वेक्षण
(Heli-Borne Survey for Water Management)

Posted on October 6th, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में जल प्रबंधन के लिये हेली-बोर्न सर्वे तकनीक  शुरू की है।

 

हेली-बोर्न सर्वेक्षण :

 

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI ) द्वारा विकसित यह भूजल के स्तर, मात्रा, गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।

 

यह वर्ष 1961 में NGRI, CSIR के तहत स्थापित एक भू-वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन है।

 

CSIR-NGRI की हेली-बोर्न भूभौतिकीय मानचित्रण तकनीक जमीन के नीचे 500 मीटर की गहराई तक उपसतह की एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन 3D छवि प्रदान करती है।

 

हेली-बोर्न भूभौतिकीय सर्वेक्षण का मुख्य लाभ है कि यह तेज़, अत्यधिक डेटा सघन, सटीक और किफायती है।

 

यह सर्वेक्षण दो चरणों में किया जाएगा, जिसमें पहले चरण में 1 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल है।

 

इसमें राजस्थान में 65,000 वर्ग किमी, गुजरात में 32,000 वर्ग किमी और हरियाणा में 2,500 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल है।

 

इसे राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण परियोजना के एक भाग के रूप में जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से लागू किया जाना है।

 

महत्त्व :

 

इसके माध्यम से भूजल का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलेगी क्योंकि इसके माध्यम से अधिक सटीक डेटा प्राप्त करने के लिये बड़े क्षेत्रों को कवर किया जा सकता है।

 

यह जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण के लिये भूभौतिकी और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग करके ट्यूबवेल खोदने जैसे कार्यों हेतु प्रचलित मानकों की तुलना में कम लागत पर नए स्थानों की पहचान करने में मदद करेगा।

 

इससे पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल स्तर में सुधार के लिये नई योजनाएँ तैयार करने में मदद मिलेगी।