कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1 (21-Jan-2021)^ गुरु गोबिंद सिंह जयंती^(Guru Gobind Singh Jayanti)
Posted on January 21st, 2021
हाल ही में प्रधानमंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
दस सिख गुरुओं में अंतिम गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना, बिहार में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह की जयंती नानकशाही कैलेंडर पर आधारित है, जिसके अनुसार, वर्ष 2021 में उनकी जयंती 20 जनवरी के दिन मनाई गई, जबकि पिछले वर्ष यह 2 जनवरी को मनाई गई थी। गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता‘गुरु तेग बहादुर’ यानी नौवें सिख गुरु की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में 10वें सिख गुरु बने। वर्ष 1708 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
उन्हें सिख धर्म में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिये जाना जाता है, जिसमें बालों को ढकने के लिये पगड़ी की शुरुआत भी शामिल है। उन्होंने खालसा या पाँच ‘ककार’ (Khalsa or the Five ‘K’s) के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। ये पाँच ‘ककार’ हैं- केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण। ये आस्था की पाँच वस्तुएँ हैं जिन्हें एक खालसा को हमेशा धारण करना चाहिये।
उन्होंने खालसा योद्धाओं के पालन करने हेतु कई अन्य नियम भी निर्धारित किये, जैसे- तंबाकू, शराब, हलाल मांस से परहेज आदि। खालसा योद्धा निर्दोष लोगों को उत्पीड़न से बचाने के लिये भी कर्तव्यनिष्ठ थे। उन्होंने अपने बाद गुरु ग्रंथ साहिब (खालसा और सिखों के धार्मिक पुस्तक) को दोनों समुदायों का अगला गुरु घोषित किया।
उन्होंने वर्ष 1705 में मुगलों के खिलाफ मुक्तसर की लड़ाई लड़ी थी। वर्ष 1704 में आनंदपुर की लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह की मां और उनके दो नाबालिग पुत्रों की हत्या कर दी गई थी। इस लड़ाई में उनके बड़े बेटे की भी मौत हो गई।
उनके साहित्यिक योगदान में ‘जाप साहिब’, ‘बेंती चौपाई’, ‘अमृत सवाई’, आदि शामिल हैं। उन्होंने ज़फरनामा भी लिखा था जो मुगल बादशाह औरंगज़ेब को लिखा गया एक पत्र था।
कला एवं संस्कृति समसामयिकी 1 (21-Jan-2021) गुरु गोबिंद सिंह जयंती(Guru Gobind Singh Jayanti)
हाल ही में प्रधानमंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
दस सिख गुरुओं में अंतिम गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना, बिहार में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह की जयंती नानकशाही कैलेंडर पर आधारित है, जिसके अनुसार, वर्ष 2021 में उनकी जयंती 20 जनवरी के दिन मनाई गई, जबकि पिछले वर्ष यह 2 जनवरी को मनाई गई थी। गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता‘गुरु तेग बहादुर’ यानी नौवें सिख गुरु की मृत्यु के बाद 9 वर्ष की आयु में 10वें सिख गुरु बने। वर्ष 1708 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
उन्हें सिख धर्म में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिये जाना जाता है, जिसमें बालों को ढकने के लिये पगड़ी की शुरुआत भी शामिल है। उन्होंने खालसा या पाँच ‘ककार’ (Khalsa or the Five ‘K’s) के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। ये पाँच ‘ककार’ हैं- केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण। ये आस्था की पाँच वस्तुएँ हैं जिन्हें एक खालसा को हमेशा धारण करना चाहिये।
उन्होंने खालसा योद्धाओं के पालन करने हेतु कई अन्य नियम भी निर्धारित किये, जैसे- तंबाकू, शराब, हलाल मांस से परहेज आदि। खालसा योद्धा निर्दोष लोगों को उत्पीड़न से बचाने के लिये भी कर्तव्यनिष्ठ थे। उन्होंने अपने बाद गुरु ग्रंथ साहिब (खालसा और सिखों के धार्मिक पुस्तक) को दोनों समुदायों का अगला गुरु घोषित किया।
उन्होंने वर्ष 1705 में मुगलों के खिलाफ मुक्तसर की लड़ाई लड़ी थी। वर्ष 1704 में आनंदपुर की लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह की मां और उनके दो नाबालिग पुत्रों की हत्या कर दी गई थी। इस लड़ाई में उनके बड़े बेटे की भी मौत हो गई।
उनके साहित्यिक योगदान में ‘जाप साहिब’, ‘बेंती चौपाई’, ‘अमृत सवाई’, आदि शामिल हैं। उन्होंने ज़फरनामा भी लिखा था जो मुगल बादशाह औरंगज़ेब को लिखा गया एक पत्र था।