व्यक्ति विशेष समसामियिकी 1 (10-Sept-2020)
गोविंद बल्लभ पंत (Govind Ballabh Pant)

Posted on September 10th, 2020 | Create PDF File

hlhiuj

10 सितंबर को गोविंद बल्लभ पंत की 133 वीं जयंती मनाई गई।

 

पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा, उत्तराखंड में हुआ था।उन्होंने काशीपुर में प्रेम सभा नामक एक संगठन की स्थापना की जिसने कई दिशाओं में सुधार कार्य शुरू किए।उन्होंने ब्रिटिश सरकार के लिए करों का भुगतान नहीं करने के कारण एक स्कूल को बंद होने से बचाया।

 

गोविंद बल्लभ पंत को दिसंबर 1921 में, आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की विधान सभा के लिए चुना गया, जिसे बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश का नाम दिया।उन्हें नैनीताल से स्वराज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत वर्ष 1937 में हुए प्रांतीय चुनावों में पंत को संयुक्त प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंने वर्ष 1939 तक इस पद पर कार्य किया, इसके पश्चात अंग्रेजों द्वारा भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने के विरोध में उन्होंने कांग्रेस के सभी मंत्रियों सहित इस्तीफा दे दिया।वर्ष 1946 में हुए चुनावों में, पंत को एक बार फिर से संयुक्त प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया।



स्वतंत्रता के पश्चात वे उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।उन्होंने वर्ष 1955 से 1961 तक भारत के गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। यह उनके कार्यकाल के दौरान राज्यों को भाषाई आधार पर पुनर्गठित किया गया था।

 

उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए अत्यधिक लगान से किसानों को बचाने के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किये।उन्होंने देश में कई कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और कुली-बेगार कानून का विरोध किया, जिसमे मजदूरों को ब्रिटिश अधिकारियों के भारी सामान को बिना किसी भुगतान के ढोना पड़ता था।गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए, पंत ने संयुक्त प्रांत में व्यापक स्तर पर नमक आंदोलन का आयोजन किया। इसके लिए मई 1930 में, उन्हें देहरादून जेल में गिरफ्तार किया गया।उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ भी विरोध किया।पंत, अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल के विरुद्ध थे, उनका कहना था कि यह कदम समुदायों को विभाजित करने वाला है।

वर्ष 1957 में, पंत को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।