पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1 (22-November-2021)
फ्लाई ऐश
(Fly Ash)

Posted on November 22nd, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

हाल ही में, कार्यकर्ताओं और मछुआरों द्वारा उत्तरी चेन्नई थर्मल पावर स्टेशन (NCTPS) से निकलने वाली ‘फ्लाई ऐश’ (Fly Ash) के ‘कोसस्थलैयार’ (Kosasthalaiyar) नदी बेसिन में घुसने के बारे में शिकायत की जा रही है।

 

राख (फ्लाई ऐश) को राख-कुण्ड (Ash Pond) में ले जाने वाली पाइपलाइन में रिसाव होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है।

 

फ्लाई ऐश’ :

 

इसे आमतौर ‘चिमनी की राख’ अथवा ‘चूर्णित ईंधन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के रूप में जाना जाता है। यह कोयला दहन से निर्मित एक उत्पाद होती है।

 

फ्लाई ऐश का गठन :

 

यह कोयला-चालित भट्टियों (Boilers) से निकलने वाले महीन कणों से निर्मित होती है।

 

भट्टियों में जलाये जाने वाले कोयले के स्रोत तथा उसकी संरचना के आधार पर, फ्लाई ऐश के घटक काफी भिन्न होते हैं, किंतु सभी प्रकार की फ्लाई ऐश में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

 

फ्लाई ऐश के सूक्ष्म घटकों में, आर्सेनिक, बेरिलियम, बोरोन, कैडमियम, क्रोमियम, हेक्सावलेंट क्रोमियम, कोबाल्ट, सीसा, मैंगनीज, पारा, मोलिब्डेनम, सेलेनियम, स्ट्रोंटियम, थैलियम, और वैनेडियम आदि पाए जाते है। इसमें बिना जले हुए कार्बन के कण भी पाए जाते है।

 

स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी खतरे :

 

विषाक्त भारी धातुओं की उपस्थति: फ्लाई ऐश में पायी जाने वाली, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, लेड, आदि सभी भारी धातुएं प्रकृति में विषाक्त होती हैं। इनके सूक्ष्म व विषाक्त कण श्वसन नालिका में जमा हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे विषाक्तीकरण का कारण बनते रहते हैं।

 

विकिरण: परमाणु संयंत्रो तथा कोयला-चालित ताप संयत्रों से समान मात्रा में उत्पन्न विद्युत् करने पर, परमाणु अपशिष्ट की तुलना में फ्लाई ऐश द्वारा सौ गुना अधिक विकिरण होता है।

 

जल प्रदूषण: फ्लाई ऐश नालिकाओं के टूटने और इसके फलस्वरूप राख के बिखरने की घटनाएं भारत में अक्सर होती रहती हैं, जो भारी मात्रा में जल निकायों को प्रदूषित करती हैं।

 

पर्यावरण पर प्रभाव: आस-पास के कोयला आधारित विद्युत् संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले राख अपशिष्ट से मैंग्रोव का विनाश, फसल की पैदावार में भारी कमी, और कच्छ के रण में भूजल के प्रदूषण को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है।

 

फ्लाई ऐश के उपयोग :

 

कंक्रीट उत्पादन, रेत तथा पोर्टलैंड सीमेंट हेतु एक वैकल्पिक सामग्री के रूप में।

 

फ्लाई-ऐश कणों के सामान्य मिश्रण को कंक्रीट मिश्रण में परिवर्तित किया जा सकता है।

 

तटबंध निर्माण और अन्य संरचनात्मक भराव।

 

सीमेंट धातुमल उत्पादन – (चिकनी मिट्टी के स्थान पर वैकल्पिक सामग्री के रूप में)।

 

नरम मिट्टी का स्थिरीकरण।

 

सड़क निर्माण।

 

ईंट निमार्ण सामग्री के रूप में।

 

कृषि उपयोग: मृदा सुधार, उर्वरक, मिट्टी स्थिरीकरण।

 

नदियों पर जमी बर्फ पिघलाने हेतु।

 

सड़कों और पार्किंग स्थलों पर बर्फ जमाव नियंत्रण हेतु।