पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 2 (14-October-2021)फ्लावर स्कॉर्पियनफिश(Flower Scorpionfish)
Posted on October 14th, 2021 | Create PDF File
हाल ही में फ्लावर स्कॉर्पियनफिश (Hoplosebastes Armatus) नामक मछली की एक प्रजाति (जो केवल प्रशांत महासागर में पाई जाती थी) हिंद महासागर में खोजी गई है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र के तापमान में वृद्धि ने इस प्रजाति को विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास हेतु आकर्षित किया होगा।
यह रे-फिनिश मछली के क्रम से संबंधित है जिसे स्कॉर्पेनीफॉर्म (Scorpaeniforme) के नाम से भी जाना जाता है।
इसे लगभग एक सदी पहले वर्ष 1929 में जापान से दूर प्रशांत महासागर में खोजा गया था।
स्कॉर्पेनीफॉर्म या बिच्छू मछली परिवार की मछलियाँ समुद्र के सबसे ज़हरीले जानवरों में से हैं।
इस प्रजाति का सिर शरीर से तुलनात्मक रूप से बड़ा और लंबा होता है।
प्रजातियों की लंबाई 75-127 मिमी. तक होती है, जबकि शरीर की चौड़ाई 14-22 मिमी. होती है।
स्कॉर्पियनफिश अपने धब्बेदार रंग पैटर्न के कारण मूंगा और चट्टानी परिवेश के साथ पूरी तरह से घुलमिल जाती है।
प्राकृतिक आवास :
पहले यह केवल प्रशांत महासागर में पाई जाती थी लेकिन इसकी सीमा का विस्तार अब उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से हिंद महासागर तक है।
स्कोर्पेनिफोर्मिस (Scorpaeniformes):
इसे मेल-चीक्ड फिश ( Mail-Cheeked Fish) भी कहा जाता है तथा छोटी मछलियों के समूह में से किसी एक समूह की प्रत्येक मछली के गलफड़े (Fish gill) की अस्थियों की विशेष संरचना होती है।
ये दुनिया के सभी महासागरों में पाई जाती हैं।
माना जाता है कि ये गर्म समुद्री जल में उत्पन्न हुए थे, लेकिन इन्होंने समशीतोष्ण और यहाँ तक कि आर्कटिक एवं अंटार्कटिक समुद्रों के साथ-साथ उत्तरी गोलार्द्ध के ताज़े जल को भी अपने निवास के लिये अनुकूल बना लिया।