अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 3 (26-Feb-2021)
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स
(Financial Action Task Force - FATF)

Posted on February 26th, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force-FATF) ने अपनी ग्रे-लिस्ट में जून तक के लिए बरकरार रखा है।



फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के मुताबिक, पाकिस्तान 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना को पूरी तरह से लागू करने में विफल रहा है। पाकिस्तान के लिए एफ़एटीएफ़ ने 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना को निर्मित किया था, जिसे पाकिस्तान द्वारा लागू किया जाना था। लेकिन पाकिस्तान ने उल्लेखनीय ढंग से प्रयास नहीं किया हैं। खासकर पाकिस्तान रणनीतिक रूप से अहम कमियों से निपटने में असफल रहा है।इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान अपने यहाँ के आतंकियों पर वित्तीय प्रतिबंधों को भी लगाने में प्रभावशालिता नहीं दिखाई है।हालाँकि एफ़एटीएफ़ की अध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान ने पहले की अपेक्षा सभी कार्रवाई योजनाओं में प्रगति की है और अब तक 27 में से 24 कार्रवाई पूरी कर ली हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से सूचीबद्ध आतंकियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई करना अभी बाकी है।

 


फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को स्पष्ट किया है कि उसे सभी नामित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान को आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने हेतु भी सख्त कदम उठाने होंगे।इसके पहले पाकिस्तान पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने का खतरा था। विशेषज्ञों के मुताबिक, अब पाकिस्तान काफी हद तक एफ़एटीएफ़ की ब्लैक लिस्ट के खतरे से बाहर है। हालाँकि पाकिस्तान को अभी भी एफ़एटीएफ़ के काफी सुझावों पर काफी कुछ करना अभी बाकी है।

 


फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force-FATF) के बारे में-


फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का गठन जुलाई 1989 में पेरिस में हुए जी 7 समिट में किया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य मनी लांड्रिंग से निपटने हेतु उपाय करना था । इसलिए इसे ‘ग्लोबल फाइनेंशियल वॉचडॉग’ भी कहते हैं ।वर्तमान में इसका मुख्यालय पेरिस में है और इसमें कुल 39 सदस्य देश हैं। सऊदी अरब को 39 वें सदस्य के रूप में पिछले वर्ष इस संगठन का सदस्य बनाया गया था। उल्लेखनीय हैकि सऊदी अरब ऐसा पहला खाड़ी देश है जिसने इस संगठन की सदस्यता ली है।

 


FATF के ग्रे लिस्ट के बारे में-


एफ़एटीएफ़ द्वारा ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जो कि अपने देश के फाइनेंसियल सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग होने देते हैं। इन्हें ग्रे लिस्ट में शामिल कर यह संकेत दिया जाता है कि इन गतिविधियों को ना रोकने पर वे ब्लैक लिस्ट हो सकते हैं।

 


जब कोई देश ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया जाता है तो उसे निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है:

 

* अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (विश्व बैंक, आईएमएफ , एशियाई विकास बैंक इत्यादि) और देशों के आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।

* अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या आती है।

* इसके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी आती है और अर्थव्यवस्था कमजोर होती है।

* पूर्णरूप से अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है।

 


FATF के ब्लैक लिस्ट के बारे में-


जो देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का पूर्ण और प्रत्यक्ष रूप से समर्थन करते हैं उन्हें ब्लैक लिस्ट में सूचीबद्ध किया जाता है; अर्थात इन देशों में मौजूद फाइनेंसियल सिस्टम की मदद से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा मिलता है।