भूगोल समसामियिकी 1 (14-Jan-2021)
ध्रुवीय भंवर के कारण अमेरिका एवं यूरोप में अत्याधिक शीत की आशंका
(Fears of Extreme Cold in America and Europe due to Polar Vortex)

Posted on January 14th, 2021 | Create PDF File

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मौसम विज्ञानियों के अनुसार, ध्रुवीय भंवर (Polar Vortex) दो भागों में विभाजित होकर दक्षिण की ओर चक्कर काटते हुए बढ़ रहा है, इससे अमेरिका और यूरोपीय देशों में अत्याधिक शीत की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

इससे पहले, वर्ष 2014 में इस प्रकार के धुर्वीय भंवर विकसित हुए थे।

 

ध्रुवीय भंवर की अस्थिरता और इसके विभाजन से पश्चिमी देशों जैसे अमेरिका और यूरोप में नाटकीय रूप से चरम मौसम की स्थितियां उत्पन्न हो सकती है। 2021 में विदरित ध्रुवीय भंवर सहित ठंडी हवाओं के आर्कटिक क्षेत्रों से बाहर की ओर प्रसरित होने की संभावना है, इसके परिणामस्वरूप बेहद कड़ी सर्दियों की शुरुआत हो सकती है।

 

ध्रुवीय भंवर’ :

 

ध्रुवीय भंवर (Polar Vortex), ध्रुवों पर निम्न वायुदाब का एक चक्कर काटता हुआ शंक्वाकार वायुक्रम होता है, जोकि सर्दियों के महीनों में, ध्रुवीय क्षेत्रों और मध्य-अक्षांशों, जैसे अमेरिका और यूरोप, के मध्य तापान्तर में वृद्धि होने के कारण काफी सशक्त हो जाता है।

ध्रुवीय भंवर, समताप मंडल में चक्कराकार गति करते हैं। आमतौर पर, भंवर की मजबूत स्थिति में, ठंडी हवाओं के उत्तरी अमेरिका या यूरोप के भीतरी क्षेत्रों में प्रवेश करने की संभावना कम होती है। दूसरे शब्दों में, यह ठंडी आर्कटिक हवाओं से मध्य-अक्षांशीय क्षेत्रों को बचाने वाली एक दीवार का निर्माण करते है।

लेकिन कभी-कभी, वातावरण की निचली सतह से ऊपर की ओर उठने वाली उर्जा तरंगों के कारण ध्रुवीय भंवर अस्थिर होकर कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में समताप मंडल तेजी से गर्म होने लगता है, इस घटना को आकस्मिक समतापमंडलीय उष्मन कहा जाता है। इस उष्मन से ध्रुवीय भंवर की स्थिति कमजोर हो जाती है, और इसकी स्थिति उत्तरी ध्रुव के दक्षिण में स्थानांतरित हो जाती है, अथवा, कुछ उदाहरणों में, ‘भंवर’ कई शाखाओं में विभाजित हो जाता है।

 

वायुमंडल के कुछ उपरी भागों में धुर्वीय भंवर के विभाजन से आकस्मिक और विलंबित, दोनों प्रकार के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, अधिकांशतः, पूर्वी अमेरिका तथा उत्तरी और पश्चिमी यूरोप में तापमान- गिरावट और सर्दियों की चरम स्थिति होती है। आकस्मिक समतापमंडलीय उष्मन से आर्कटिक के ऊपर समतापमंडल के साथ-साथ क्षोभ-मंडल में भी तापमान वृद्धि होती है। आर्कटिक के गर्म होने की बजह से उत्तरी गोलार्ध में पूर्वी अमेरिका सहित मध्य अक्षांशों तक अत्याधिक गंभीर सर्दियों के मौसम की स्थितियां बन जाती है।