अर्थव्यवस्था समसामियिकी 2 (8-Sept-2019)आर्थिक ‘मंदी’ की आशंका में सोना बना निवेशकों की पहली पसंद(Fearing economic 'recession', gold became the first choice of investors)
Posted on September 8th, 2019 | Create PDF File
आर्थिक सुस्ती के बीच सोना नित नई ऊंचाई को छू रहा है और चांदी की चमक भी बढ़ रही है और विश्लेषकों का अनुमान है कि पीली धातु की चमक अभी कुछ और समय तक बनी रहेगी।
इस समय जबकि देश दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में नरमी या गिरावट का दौर चल रहा है, शेयर बाजार टूट रहे हैं और प्रॉपर्टी बाजार भी ‘ठंडा’ है, ऐसे में सोना उन गिनी चुनी परिसम्पत्तियों में है जो निवेशकों के लिए सुरक्षित और अकर्षक लग रही है।
भारत में बहुमूल्य धातुओं में निवेश करने वाले निवेशक इस समय ‘चांदी’ काट रहे हैं।
विश्लेषकों का अनुमान है कि कहना है कि सोने में तेजी अभी जारी रहेगी और दिवाली तक इसकी कीमत नया रिकॉर्ड बना सकती है।
इस कैलेंडर वर्ष में सोने ने निवेशकों को 20 प्रतिशत से अधिक लाभ दे चका है जबकि 2018 में इसमें निवेश का प्रतिफल करीब 6 प्रतिशत था।
गत 31 दिसंबर को दिल्ली में सोने का भाव 32,270 रुपये प्रति दस ग्राम था जो आज 39,000 पर चल रहा है। इस तरह वर्ष 2019 में सोना निवेशकों को अब तक 20 प्रतिशत से अधिक का प्रतिफल दे चुका है। इसी तरह चांदी भी 39,000 रुपये प्रति किलोग्राम से इस कैलेंडर साल में 50,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच चुकी है। इस तरह बहुमूल्य धातुओं ने निवेशकों को उम्मीद से बेहतर रिटर्न दिया है।
दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल ने कहा कि दुनिया भर में ‘मंदी’ की आशंका से सोने की कीमतों में उछाल आया है। गोयल कहते हैं कि घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती के अलावा अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तथा वैश्विक स्तर पर अन्य घटनाक्रमों के चलते निवेशकों का सोने की तरफ झुकाव बढ़ा है। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही गिरावट से भी सोना मजबूत हो रहा है।
गोयल कहते हैं कि निवेश के मामले में इस समय सोने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि दिवाली के समय सोना 42,000 रुपये तक और चांदी 52,000 रुपये तक पहुंच सकती है।
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन का मानना है कि सोने की कीमतों को कमजोर होते रुपये से भी समर्थन मिल रहा है। हालांकि, घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर उन्होंने कुछ नहीं कहा। जैने ने कहा कि इस समय रुपया ही नहीं, अन्य मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ी हैं। इसका सीधा लाभ सोने को मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि बजट के बाद भारतीय शेयर बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से रुपये पर दबाव बढ़ा है डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 72 प्रति डालर से भी हल्की हो चुकी है।
आल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलर्स ट्रेडर्स फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन बच्छराज बमावला का मानना है कि सोने में तेजी के पीछे घरेलू व अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के कारक है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, वैश्विक नरमी और ब्रेक्जिट(ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने के मसलों) की वजह से भी निवेशकों का झुकाव सोने की ओर से बढ़ा है।
बमावला का मानना कि इस साल के अंत तक सोना 41,500 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट सोने की कीमतों में तेजी की एक प्रमुख वजह है। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस समय सोना तेज है, लेकिन कीमतों में उछाल का नकारात्मक असर बिक्री पर पड़ सकता है जिससे सारी परिस्थितियां पलट सकती हैं।
बमावला ने कहा कि यदि डॉलर के मुकाबले रुपया 72 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर रहता है तो सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1,580 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। हालांकि, इसके बाद इसमें नरमी की संभावना है।