नीतिशास्त्र केस स्टडी - 12 (Ethics Case Study - 12)
Posted on March 31st, 2020
Ethics Case Study - 12
प्रश्न - वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यदि सरकारी विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो लगभग शिक्षा का व्यावसायीकरण हो चुका है। आज शिक्षा रोजगार पाने का एक साधन मात्र है।शिक्षा का बुनियादी मूल्य व्यक्तित्व के विकास है लेकिन दुःखद पहलू यह है कि व्यक्तित्व के विकास का ही व्यवसायीकरण हो चुका है। बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों का समावेश नहीं किया जाता।बच्चे के व्यक्तित्व के विकास के लिये क्या किया जा सकता है ?
उत्तर - वस्तुस्थिति यह है कि आज विद्यालय के बच्चों को राष्ट्रीय स्मारक, राष्ट्रीय चिह्न, राष्ट्रीय समारोहों आदि का भी ठीक ज्ञान नहीं है। ऐसी स्थिति में उनमें राष्ट्रीय विषयों के समझ की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
भारत में सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक समस्याएं विद्यमान हैं। दहेज प्रथा,कन्या भ्रूण हत्या, जातिवाद, बाल श्रम, घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न आदि सामाजिक समस्याएं हैं। अशिक्षा, बेरोजगारी,नक्सलवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि राष्ट्रीय समस्याएं हैं। शिक्षण संस्थाओं को चाहिए कि वे विषय के अध्यापन के साथ-साथ इन विषयों के जानकारी की एक कार्ययोजना बनाए तथा राष्ट्रीय समारोह जैसे - स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती आदि अवसरों पर बच्चों को इन विषयों से अवगत कराएं। इस पर वाद-विवाद एवं निबंध लेखन आदि की प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए। इसके लिए बच्चों को प्रोत्साहन एवं पुरस्कार भी दिया जाना चाहिए।
वास्तव में वर्ष के 365 दिन में 152-158 दिन ही कार्यकारी हैं। ऐसे में शिक्षण संस्थाओं के पास पर्याप्त समय है, आवश्यकता केवल इच्छाशक्ति की है। यदि वे अपने उत्तरदायित्व को स्वीकार करते हुए इसकी एक समुचित कार्ययोजना बनाएं तो अल्प समय में ही बच्चों में सामाजिक एवं राष्ट्रीय विषयों एवं मूल्यों की पूर्ण जानकारी का विकास किया जा सकता है। वास्तव में आवश्यकता केवल इस प्रकार के पहल करने की है।
नीतिशास्त्र केस स्टडी - 12 (Ethics Case Study - 12)
प्रश्न - वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यदि सरकारी विद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो लगभग शिक्षा का व्यावसायीकरण हो चुका है। आज शिक्षा रोजगार पाने का एक साधन मात्र है।शिक्षा का बुनियादी मूल्य व्यक्तित्व के विकास है लेकिन दुःखद पहलू यह है कि व्यक्तित्व के विकास का ही व्यवसायीकरण हो चुका है। बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों का समावेश नहीं किया जाता।बच्चे के व्यक्तित्व के विकास के लिये क्या किया जा सकता है ?
उत्तर - वस्तुस्थिति यह है कि आज विद्यालय के बच्चों को राष्ट्रीय स्मारक, राष्ट्रीय चिह्न, राष्ट्रीय समारोहों आदि का भी ठीक ज्ञान नहीं है। ऐसी स्थिति में उनमें राष्ट्रीय विषयों के समझ की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
भारत में सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक समस्याएं विद्यमान हैं। दहेज प्रथा,कन्या भ्रूण हत्या, जातिवाद, बाल श्रम, घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न आदि सामाजिक समस्याएं हैं। अशिक्षा, बेरोजगारी,नक्सलवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि राष्ट्रीय समस्याएं हैं। शिक्षण संस्थाओं को चाहिए कि वे विषय के अध्यापन के साथ-साथ इन विषयों के जानकारी की एक कार्ययोजना बनाए तथा राष्ट्रीय समारोह जैसे - स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती आदि अवसरों पर बच्चों को इन विषयों से अवगत कराएं। इस पर वाद-विवाद एवं निबंध लेखन आदि की प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए। इसके लिए बच्चों को प्रोत्साहन एवं पुरस्कार भी दिया जाना चाहिए।
वास्तव में वर्ष के 365 दिन में 152-158 दिन ही कार्यकारी हैं। ऐसे में शिक्षण संस्थाओं के पास पर्याप्त समय है, आवश्यकता केवल इच्छाशक्ति की है। यदि वे अपने उत्तरदायित्व को स्वीकार करते हुए इसकी एक समुचित कार्ययोजना बनाएं तो अल्प समय में ही बच्चों में सामाजिक एवं राष्ट्रीय विषयों एवं मूल्यों की पूर्ण जानकारी का विकास किया जा सकता है। वास्तव में आवश्यकता केवल इस प्रकार के पहल करने की है।