नीतिशास्त्र केस स्टडी - 11 (Ethics Case Study - 11)

Posted on March 31st, 2020 | Create PDF File

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Ethics Case Study - 11

 

प्रश्न - भारतीय समाज में व्यक्ति प्रायः आत्मकेंद्रित हो गया है। वस्तुस्थिति तो यह है कि व्यक्ति को अपने पड़ोसी के बारे में ही ज्ञान नहीं रहता। वह कौन है, क्‍या करता है आदि विषयों की जानकारी न वह लेना चाहता है न इसे आवश्यक समझता है। ऐसी स्थिति में सामाजिक ताने-बाने बिखर जाते हैं। इस समस्या के लिए क्‍या किया जाना चाहिए ?

 

 

उत्तर - भारतीय समाज व्यक्तिवादी एवं आत्मकेंद्रित हो गया है। जहाँ पारंपरिक समाज में व्यक्ति अपने पूरे समाज के व्यक्तियों की जानकारी रखता था वहीं अब नगरीय समाज में व्यक्ति को अपने पड़ोसी की भी जानकारी नहीं होती। इससे व्यक्ति स्वातंत्रय को तो अवसर मिला है, लेकिन समाज का मूल स्वरूप बिखर गया है। यह नगरीय समाज की सबसे बड़ी त्रासदी है।

 

प्रायः देखने में आता है कि पड़ोस के घर में किसी का देहांत हो गया है और जब शव सड़ने लगता है तो उसके दुर्गंध से जानकारी मिलती है। प्रायः यह भी देखने में आया है कि पड़ोस में अपराधी रहते हैं और आपराधिक कृत्यों में संलग्न रहे हैं,लेकिन इसकी जानकारी पास के लोगों को भी नहीं रहती। ये सभी समस्याएं नगरीय सभ्यता की देन है।

 

भारत सरकार ने दूरदर्शन पर एक विज्ञापन जारी किया कि यदि पड़ोसी के घर में जोर-जोर की आवाजें आ रही हों और धूम-धड़ाका हो रहा है तो जाकर कॉल बेल बजाएं। यद्यपि यह विज्ञापन घरेलू हिंसा को रोकने के लिए दिया गया है,लेकिन इस विज्ञापन का व्यापक अर्थ पड़ोसी की भूमिका को सुनिश्चित करना है।

 

वर्तमान समाज की आवश्यकता यह है कि बिना किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत कार्यों में हस्तक्षेप किए हुए उनकी जानकारी रखना तथा समय-समय पर कुछ कार्यक्रमों,समारोहों का आयोजन करना जिसमें सभी लोगों की परस्पर सहभागिता हो जिससे एक-दूसरे को जानने समझने का अवसर मिल सके तथा मानव जीवन तथा सामाजिक जीवन को स्वस्थ एवं रोचक बनाया जा सके। भारतीय समाज में इस तरह के उत्सव विद्यमान रहे हैं जो पूरे समाज को एकसूत्र में बांधते थे। वर्तमान स्थिति में इन उत्सवों की पुनर्स्थापना और नवीन समारोहों के सृजन की आवश्यकता है। जिससे नए सामाजिक मूल्य स्थापित किए जा सकें। ये समारोह राष्ट्रीय विषयों से संबंधित हो सकते हैं।

 

भारतीय समाज प्रायः तब जागता है जब इसमें कोई बड़ी घटना हो जाती है।कठिनाई तो यह है कि घटना के थोड़े समय बाद लोग पुनः उसे भूल जाते हैं। वे न तो घटना के कारणों पर विचार करते हैं और न ही उसके निवारण के लिए कोई कार्य योजना बनाते हैं। आवश्यकता है नगरीय समाज को सूत्रबद्ध करने की।शैक्षणिक संस्थाएं प्रायः बच्चों के विषयगत शिक्षा पर तो ध्यान देते हैं लेकिन बच्चों में राष्ट्रीय विषयों के प्रति अभिरूचि के विकास का प्रयास नहीं करते। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में भी व्यक्तिगत विकास एवं अभिरूचि की कक्षाएं तो होती हैं लेकिन बच्चों में राष्ट्रीय चेतना के विकास के लिए कोई कार्ययोजना नहीं होती। शैक्षणिक संस्थाओं को इस संदर्भ में अवश्य ध्यान देना चाहिए।