अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (9-Sept-2019)^सुनिश्चित करें कि असम में एनआरसी से लोग राज्यविहीन नहीं हों :संरा मानवाधिकार प्रमुख^(Ensure that people will not stateless from the NRC in Assam: Head of Human Rights-United Nations)
Posted on September 9th, 2019
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने सोमवार को भारत से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) सत्यापन की कवायद से लोग राज्यविहीन नहीं हो जाएं, क्योंकि इसने ‘काफी अनिश्चितता और बैचेनी’ पैदा की है।
उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हुई एनआरसी की कवायद का मकसद असम से अवैध प्रवासियों, जिसमें ज्यादातर बांग्लादेशी हैं, उनकी पहचान करना है।
बीती 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित हुई है जो भारत के वास्तविक नागरिकों की पुष्टि करती है। अधिकारी 19 लाख से ज्यादा लोगों के नागरिकता संबंधी दावों के निपटने में लगे हैं। इन लोगों के नाम सूची में नहीं है।
मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र के उद्धाटन भाषण में बैचलेट ने कहा कि असम में हाल में एनआरसी सत्यापन प्रक्रिया ने काफी अनिश्चिता और बैचेनी पैदा की है। 31 अगस्त को प्रकाशित सूची में करीब 19 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों की अपील के लिए वाजिब प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। लोगों को निर्वासित नहीं किया जाए या हिरासत में नहीं लिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को राज्यविहिन होने से बचाया जाए।
भारत ने कहा कि अद्यतन एनआरसी वैधानिक, पारदर्शी और भारत के उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुई कानूनी प्रक्रिया है। भारत ने कहा है कि एनआरसी सूची में नाम नहीं आने से असम में निवासियों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में नहीं है उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उनके पास कानून के तहत उपलब्ध सभी उपायों के खत्म होने तक पहले की तरह सभी अधिकार रहेंगे। यह सूची में शामिल नहीं हुए व्यक्ति को ‘राज्यविहीन’ नहीं बनाता है।
अंतर्राष्ट्रीय समसामियिकी 1 (9-Sept-2019)सुनिश्चित करें कि असम में एनआरसी से लोग राज्यविहीन नहीं हों :संरा मानवाधिकार प्रमुख(Ensure that people will not stateless from the NRC in Assam: Head of Human Rights-United Nations)
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने सोमवार को भारत से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) सत्यापन की कवायद से लोग राज्यविहीन नहीं हो जाएं, क्योंकि इसने ‘काफी अनिश्चितता और बैचेनी’ पैदा की है।
उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हुई एनआरसी की कवायद का मकसद असम से अवैध प्रवासियों, जिसमें ज्यादातर बांग्लादेशी हैं, उनकी पहचान करना है।
बीती 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित हुई है जो भारत के वास्तविक नागरिकों की पुष्टि करती है। अधिकारी 19 लाख से ज्यादा लोगों के नागरिकता संबंधी दावों के निपटने में लगे हैं। इन लोगों के नाम सूची में नहीं है।
मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र के उद्धाटन भाषण में बैचलेट ने कहा कि असम में हाल में एनआरसी सत्यापन प्रक्रिया ने काफी अनिश्चिता और बैचेनी पैदा की है। 31 अगस्त को प्रकाशित सूची में करीब 19 लाख लोगों को शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों की अपील के लिए वाजिब प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। लोगों को निर्वासित नहीं किया जाए या हिरासत में नहीं लिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि लोगों को राज्यविहिन होने से बचाया जाए।
भारत ने कहा कि अद्यतन एनआरसी वैधानिक, पारदर्शी और भारत के उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुई कानूनी प्रक्रिया है। भारत ने कहा है कि एनआरसी सूची में नाम नहीं आने से असम में निवासियों के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि जिन लोगों के नाम अंतिम सूची में नहीं है उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उनके पास कानून के तहत उपलब्ध सभी उपायों के खत्म होने तक पहले की तरह सभी अधिकार रहेंगे। यह सूची में शामिल नहीं हुए व्यक्ति को ‘राज्यविहीन’ नहीं बनाता है।