विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामियिकी 3 (04-Mar-2021)^देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप^ (Devasthal Optical Telescope)
Posted on March 4th, 2021
हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में विकसित ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ (Optical Spectrograph) को ‘3.6 एम देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप (Devasthal Optical Telescope)’ पर सफलतापूर्वक स्थापित किया है।देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप पर स्थापित किये गए इस स्पेक्ट्रोग्राफ का नाम एरीज-देवस्थल फेंट ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ एंड कैमरा (एडीएफओएससी) है।
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), नैनीताल द्वारा एक ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ को विकसित किया गया है।इस स्पेक्ट्रोग्राफ का नाम एरीज-देवस्थल फेंट ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ एंड कैमरा (एडीएफओएससी) है।यह नए ब्रह्मांड, आकाशगंगाओं के आसपास मौजूद ब्लैक होल्स से लगे क्षेत्रों और ब्रह्मांड में होने वाले धमाकों में दूरस्थ तारों और आकाशगंगाओं से निकालने वाली हल्की रोशनी के स्रोत का पता लगा सकता है।यह विदेशों से आयातित स्पेक्ट्रोग्राफ की तुलना में 2.5 गुना सस्ता है। यह लगभग 1 फोटोन प्रति सेकंड की दर से प्रकाश स्रोत का पता लगा सकता है।
यह उपकरण अत्यंत धुंधले आकाशीय स्रोत के लिए 3.6-एम डीओटी के लिए काफी अहम है, जो विशेष कांच से बने कई लेंसों की एक जटिल संरचना है।इसमें टेलिस्कोप के द्वारा दूरस्थ आकाशीय स्रोतों से आने वाले फोटोनों को संग्रहित करके स्पेक्ट्रोग्राफ के द्वारा विभिन्न रंगों में क्रमबद्ध किया जाता है। इसके बाद एक विशेष कैमरे के उपयोग से एलेक्ट्रोनिक रिकॉर्ड योग्य संकेतों में बदल दिया जाता है।यह विशेष कैमरा घरेलू स्तर पर विकसित माइनस 120 डिग्री सेंटीग्रेड पर ठंडे किए जाने वाले चार्ज-कपल्ड डिवाइस (सीसीडी) कैमरा होता है।
यह एक क्लियर अपेर्चर टेलिस्कोप है, जो नैनीताल, उत्तराखंड में स्थापित है।इसे 31 मार्च 2016 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा बेल्जियम के प्रधान मंत्री श्री चार्ल्स माइकल के द्वारा शुरू किया गया।3.6 एम देवस्थल टेलिस्कोप, एशिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप है।
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी समसामियिकी 3 (04-Mar-2021)देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप (Devasthal Optical Telescope)
हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में विकसित ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ (Optical Spectrograph) को ‘3.6 एम देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप (Devasthal Optical Telescope)’ पर सफलतापूर्वक स्थापित किया है।देवस्थल ऑप्टिकल टेलिस्कोप पर स्थापित किये गए इस स्पेक्ट्रोग्राफ का नाम एरीज-देवस्थल फेंट ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ एंड कैमरा (एडीएफओएससी) है।
विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), नैनीताल द्वारा एक ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोग्राफ को विकसित किया गया है।इस स्पेक्ट्रोग्राफ का नाम एरीज-देवस्थल फेंट ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ एंड कैमरा (एडीएफओएससी) है।यह नए ब्रह्मांड, आकाशगंगाओं के आसपास मौजूद ब्लैक होल्स से लगे क्षेत्रों और ब्रह्मांड में होने वाले धमाकों में दूरस्थ तारों और आकाशगंगाओं से निकालने वाली हल्की रोशनी के स्रोत का पता लगा सकता है।यह विदेशों से आयातित स्पेक्ट्रोग्राफ की तुलना में 2.5 गुना सस्ता है। यह लगभग 1 फोटोन प्रति सेकंड की दर से प्रकाश स्रोत का पता लगा सकता है।
यह उपकरण अत्यंत धुंधले आकाशीय स्रोत के लिए 3.6-एम डीओटी के लिए काफी अहम है, जो विशेष कांच से बने कई लेंसों की एक जटिल संरचना है।इसमें टेलिस्कोप के द्वारा दूरस्थ आकाशीय स्रोतों से आने वाले फोटोनों को संग्रहित करके स्पेक्ट्रोग्राफ के द्वारा विभिन्न रंगों में क्रमबद्ध किया जाता है। इसके बाद एक विशेष कैमरे के उपयोग से एलेक्ट्रोनिक रिकॉर्ड योग्य संकेतों में बदल दिया जाता है।यह विशेष कैमरा घरेलू स्तर पर विकसित माइनस 120 डिग्री सेंटीग्रेड पर ठंडे किए जाने वाले चार्ज-कपल्ड डिवाइस (सीसीडी) कैमरा होता है।
यह एक क्लियर अपेर्चर टेलिस्कोप है, जो नैनीताल, उत्तराखंड में स्थापित है।इसे 31 मार्च 2016 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा बेल्जियम के प्रधान मंत्री श्री चार्ल्स माइकल के द्वारा शुरू किया गया।3.6 एम देवस्थल टेलिस्कोप, एशिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप है।