पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामियिकी 3 (25-Feb-2021)
बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना
(Dam Rehabilitation and Improvement Project-DRIP)

Posted on February 25th, 2021 | Create PDF File

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केंद्रीय जल आयोग, बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना एवं राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के सहयोग से बड़े बांधों पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग के तत्वावधान में "बांधों और नदियों के सतत विकास" पर संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है।नई दिल्ली में 24 से 27 फरवरी, 2021 तक एक हाइब्रिड कार्यक्रम के रूप में देश और विदेश के 300 से अधिक प्रतिनिधि संगोष्ठी में भाग लेंगे।



संगोष्ठी का आयोजन भारतीय बांध इंजीनियरिंग से जुड़े पेशेवरों और एजेंसियों को अपने अनुभव और विचारों के साथ माल और निर्माण प्रौद्योगिकियों में आ रहे बदलावों को साझा करने का मौका देने के लिेए किया जा रहा है।साथ ही जांच तकनीकों में उन्नति, सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग प्रथाओं और बांध सुरक्षा मुद्दों को भी आपस में साझा करने का ये बेहतरीन मौका होगा।इसके अलावा विभिन्न देशों के विश्व प्रसिद्ध बांध विशेषज्ञों और बांध निर्माण, प्रबंधन और संचालन और रखरखाव के लिए वैश्विक संगठनों के साथ नेटवर्किंग का अवसर भी यहां मिलेगा।

 


बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (Dam Rehabilitation and Improvement Project-DRIP)-


बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना, बड़े बांधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में सुधार के लिए जलशक्ति मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।जल संसाधन मंत्रालय द्वारा बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (Dam Rehabilitation and Improvement Project-DRIP) की शुरुआत अप्रैल 2012 में की गयी थी।यह परिजोजना 2100 करोड़ की लागत से विश्व बैंक की सहायता से लागू की गयी थी।अक्तूबर 2020 में इस परियोजना के चरण-II और चरण-III को भी मंज़ूरी दी गयी है। अब इस परियोजना की लागत 10,211 करोड़ रुपए हो गयी है, और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक से भी मदद ली जा रही है।

 

परियोजना का उद्देश्य:

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प के माध्यम से चयनित बांधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में सुधार करना।



राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (National Hydrology Project-NHP)-


केंद्र सरकार ने जलशक्ति मंत्रालय अंतर्गत 2016 में केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना को स्वीकृति दी थी।


परियोजना का उद्देश्य:


* जल संसाधन सूचना की सीमा, गुणवत्ता और पहुंच में सुधार लाना,

* बाढ़ के लिए निर्णायक सहायता प्रणाली तथा बेसिन स्तर स्रोत आकलन/आयोजना

* भारत में लक्षित जल संसाधन पेशेवरों और प्रबंध संस्थानों की क्षमता को मजबूत बनाना।

* यह योजना भी विश्व बैंक की वित्तीय सहयता से लागू की जा रही है।