नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 218

Posted on September 26th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : हाल ही में, निम्नलिखित में से कौन-सा देश मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिये सोडियम कार्बोक्सीमिथाइल सेल्युलोज़ (CMC) विलयन जिसे ‘सेल्युलोज़ गम’ के नाम से भी जाना जाता है, का प्रयोग करने के कारण चर्चा में रहा है ?

 

(a) भारत

(b) संयुक्त राज्य अमेरिका

(c) चीन

(d) सऊदी अरब

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-1 : (c)

 

व्याख्या : 

  • चीन के चोंगकिंग जियाओटोंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पेस्ट बनाया है, जो उसी पदार्थ से बना है जो पौधे की कोशिका भित्तियों में पाया जाता है।
  • सोडियम कार्बोक्सीमिथाइल सेल्युलोज विलयन से बना यह पदार्थ पौधों को बढ़ने में सहायता और संरक्षण देता है। जब शुष्क वातावरण में इस पेस्ट को रेत में मिलाया जाता है, तब भी यह विकसित होने के लिये पानी और पोषक तत्त्व धारण करने में सक्षम रहता है।
  • उत्तर चीन के रेगिस्तान में एक परियोजना में केवल छह महीनों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। इस नई तकनीक से करीब 500 एकड़ में फूल और सब्जियाँ उगाई गईं, जिसने अत्यंत गर्म जलवायु में भूमि को अनिवार्य रूप से उपजाऊ बना दिया। बाद में इस वर्ष लगभग अतिरिक्त 500 एकड़ ज़मीन को ऐसा बनाने का लक्ष्य रखा गया, जिसे अगले दो वर्षों में 32 हज़ार एकड़ किया जाना है।
  • 15 सितंबर, 2017 को इस नई तकनीक को मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिये संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (यू.एन.सी.सी.डी.) में पेश किया गया था। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया और वर्ष 2030 तक मरुस्थलीकरण को रोकने के लिये लक्ष्य निर्धारित किये गए।
  • वैज्ञानिकों के इन प्रयासों से अगले तीन वर्षों में खराब हो चुकी भूमि के 50 प्रतिशत भाग में पुर्नवनीकरण होने की संभावना है।
  • मरुस्थलीकरण की प्रवृत्ति को पलटने में सक्षम होना इसलिये भी बेहद महत्त्वपूर्ण है क्योंकि बढ़ते तापमान के कारण और अधिक क्षेत्रों में भूमि उपयोग के लायक नहीं रह जाएगी। चीन के इन शोधकर्त्ताओं ने इस समस्या से निपटने का एक त्वरित तरीका विकसित किया है। अतः कथन (c) सही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) एकमात्र अंतर-सरकारी और अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जो विश्व भर में बाघों के संरक्षण के लिये अभियान चला रहा है।
  2. ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) का सचिवालय ढाका में अवस्थित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? 

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-2 : (a)

 

व्याख्या : 

  • ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) एक अंतर-सरकारी और अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जिसे विश्वव्यापी अभियान, सामान्य दृष्टिकोण और विश्व के 14 बाघ क्षेत्र वाले देशों के वनों में रहने वाली बाघों की बची हुई 5 उप-प्रजातियों के संरक्षण के लिये स्थापित किया गया था।
  • वर्ष 1994 में स्थापित इस निकाय का सचिवालय नई दिल्ली में है, GTF दुनिया भर में बाघों को बचाने के लिये एकमात्र अंतर-सरकारी और अंतर्राष्ट्रीय निकाय अभियान है। अत: कथन 1 सही है, लेकिन कथन 2 सही नहीं है।
  • GTF की आम सभा की बैठक तीन सालों में एक बार होती है।

लक्ष्य:

  • बाघ संरक्षण के लिये तार्किक नज़रिये को अपनाना और बाघों, उनके आवासों के संरक्षण तथा उनके शिकार पर रोक लगाना।

उद्देश्य:

  1. दुनिया भर में बाघों और आवास स्थलों को संरक्षित करने तथा उनके शिकार पर रोक लगाने के लिये वैश्विक अभियान को बढ़ावा देना।
  2. जैव विविधता संरक्षण में शामिल देशों में एक कानूनी ढाँचे को बढ़ावा देना।
  3. बाघ के संरक्षित आवास क्षेत्र को बढ़ाना और आस-पास के देशों में उनके अंतर-मार्ग की सुविधा उपलब्ध कराना।
  4. संरक्षित क्षेत्रों में और उसके आसपास रहने वाले समुदायों की भागीदारी के साथ पर्यावरण विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
  5. अवैध व्यापार के उन्मूलन और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना।

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. बेसल अभिसमय खतरनाक अपशिष्टों की सीमापार आवाजाही को नियंत्रित करने और उनके निस्तारण हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  2. मिनीमाटा अभिसमय, मरकरी और इसके यौगिकों से मानव एवं पर्यावरण की रक्षा हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? 

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-3 : (c)

 

व्याख्या : 

  • खतरनाक अपशिष्टों की निर्बाध आवाजाही को नियंत्रित करने और उनके निस्तारण हेतु बेसल अभिसमय को 22 मार्च, 1989 को स्विट्ज़रलैंड के बेसल में अपनाया गया था। अत: कथन 1 सही है।

उद्देश्य: खतरनाक अपशिष्टों के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना।

उनके मूल, रचना और उनकी विशेषताओं के आधार पर ‘खतरनाक अपशिष्ट’ के रूप में परिभाषित अपशिष्टों की एक विस्तृत शृंखला इसके अनुप्रयोग के दायरे में शामिल है।

प्रमुख लक्ष्य

  1. खतरनाक अपशिष्ट उत्पादन में कमी और जहाँ भी इनके निस्तारण की जगह हो, वहाँ खतरनाक अपशिष्टों के पर्यावरण की दृष्टि अच्छे प्रबंधन को बढ़ावा देना।
  2. उन जगहों को छोड़कर जहाँ ऐसा करना पर्यावरण की दृष्टि से सही माना जाता है, शेष स्थानों पर खतरनाक अपशिष्टों की निर्बाध आवाजाही पर नियंत्रण।
  • मर्करी पर मिनीमाटा अभिसमय एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसे मर्करी और मर्करी के यौगिकों के प्रदूषक उत्सर्जन से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिये डिज़ाइन किया गया है। अत: कथन 2 सही है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय समझौता, आसन्न पर्यावरण में मर्करी के प्रसार के लिये उत्तरदायी प्रमुख गतिविधियों में कमी लाकर मर्करी प्रदूषण को कम करेगा। इस अभिसमय का नाम जापानी शहर मिनिमाटा के नाम पर रखा गया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : ओज़ोन परत संरक्षण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का भागीदार है लेकिन, वियना कन्वेंशन का नहीं। 
  2. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल इसके सदस्य राष्ट्रों के लिये बाध्यकारी है।
  3. HFCs को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिये, किगाली संशोधन द्वारा वियना कन्वेंशन में संशोधन किया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? 

(a) केवल I और II

(b) केवल II

(c) I, II और III

(d) केवल II और III

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-4 : (b)

 

व्याख्या : 

  • वियना कन्वेंशन वर्ष 1985 में स्वीकार किया गया और वर्ष 1988 में लागू हुआ। यह ओज़ोन परत की रक्षा के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के लिये एक फ्रेमवर्क के रूप में कार्य करता है, हालाँकि इसमें CFCs के उपयोग के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य शामिल नहीं हैं।
  • ओज़ोन परत की रक्षा के लिये वियना कन्वेंशन और ओज़ोन परत का क्षरण करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को वायुमंडल की ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये समर्पित किया गया है। 197 सहयोगियों के साथ, ये संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सबसे व्यापक रूप से पुष्टीकृत संधियाँ हैं।
  • ओज़ोन परत का क्षरण करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को ओज़ोन परत का क्षरण करने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को कम करने के लिये बनाया गया था ताकि वातावरण में उनकी बहुतायत को कम किया जा सके और इसलिये इसे सदस्य देशों के लिये बाध्यकारी बनाया गया है। अत: कथन 2 सही है।
  • भारत वर्ष 1991 को ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वियना कन्वेंशन और सितंबर 1992 को ओज़ोन परत का क्षरण करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का हिस्सा बना। अत: कथन 1 सही नहीं है।
  • फलस्वरूप, इसने 2003 में कोपेनहेगन, मॉन्ट्रियल और बीजिंग संशोधन को पुष्टिकृत किया।
  • किगाली संशोधन, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, 1987 को संशोधित करता है। शुरू में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में ओज़ोन क्षरण करने वाले पदार्थ शामिल थे। किगाली संशोधन के बाद, इसमें HFCs भी शामिल हो गई है, जो ओजोन की कमी और साथ ही ग्लोबल वार्मिंग के लिये ज़िम्मेदार है। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  • किगाली समझौता वर्ष 2019 से संबंधित देशों पर बाध्यकारी होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : रामसर अभिसमय के अनुसार निम्नलिखित में से किन्हें आर्द्रभूमि माना जा सकता है ?

  1. कम गहराई वाला समुद्री जल 
  2. मत्स्य तालाब 
  3. धान के खेत
  4. नमक के मैदान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये - 

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III

(d) I, II, III और IV

         

उत्तर - ()

 

उत्तर-5 : (d)

 

व्याख्या : 

  • आर्द्रभूमियाँ सबसे विविध और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं। वे आवश्यक सेवाएँ प्रदान करती हैं और स्वच्छ जल की संपूर्ण रूप से आपूर्ति करती हैं।
  • इस कन्वेंशन में आर्द्रभूमियों की एक व्यापक परिभाषा का उपयोग किया गया है। उसमें समाविष्ट हैं-

♦ सभी झील और नदियाँ

♦ भूमिगत जलसंभर

♦ दलदल

♦ आर्द्र घासभूमियाँ

♦ पीटभूमियाँ

♦ ओएसिस

♦ ऐश्चुरी

♦ डेल्टा तथा ज्वारीय मैदान

♦ मैंग्रोव एवं अन्य तटीय क्षेत्र

♦ प्रवाल भित्तियाँ

♦ मानव-निर्मित स्थल जैसे मत्स्य तालाब, जलाशय तथा नमक के मैदान, अत: विकल्प (d) सही है।

 

  • कन्वेंशन के ‘‘तीन स्तंभ’’ के तहत, पक्षकारों की प्रतिबद्धता है कि वे अपनी सभी आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में काम करें।
  • अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के जलीय क्षेत्रों की सूची (‘‘रामसर सूची’’) के लिये उपयुक्त जलीय भूमि निर्दिष्ट करें और उनका प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करें।
  • पारसीमा आर्द्रभूमियों, साझा आर्द्रभूमि प्रणालियों और साझा प्रजातियों हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करें।