नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 207

Posted on September 10th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : वॉइस ओवर लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (VoLTE) और लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTE) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. VoLTE एक ऐसी तकनीक है जिसमें आवाज़ की गुणवत्ता को कम किये बिना ही आवाज़ और डेटा को एक साथ नेटवर्क पर भेजा जा सकता है। दूसरी ओर, LTE में आवाज़ और डेटा को एक साथ नेटवर्क पर नहीं भेजा जा सकता है।
  2. VoLTE और LTE दोनों 4G तकनीकें हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों 

(d) इनमें से कोई नहीं

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-1 : (c)

 

व्याख्या : 

  • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU-R) के रेडियो क्षेत्र द्वारा स्थापित VoLTE और LTE दोनों 4जी तकनीकें हैं।
  • LTE तकनीकः यह वायरलेस मोबाइल संचार तकनीक को बढ़ावा देने तथा आधुनिक 4G मोबाइल नेटवर्क का आधार है। इसे विभिन्न नेटवर्क तकनीकों, जैसे- GSM में नेटवर्क क्षमता तथा गति को बढ़ाने के लिये प्रयुक्त किया गया है। यह स्पेक्ट्रम लचीलापन को बढ़ाने और मानकों की गुणवत्ता को बढ़ाने से संबंधित है जो 4G जैसी वायरलेस तकनीक में सुधार कर ग्रामीण क्षेत्रों में कम बैंड विड्थ पर भी नेटवर्क सहायता उपलब्ध कराता है। यह सुरक्षित डाटा बेस को उपलब्ध करा कर साइबर सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है।
  • VoLTE तकनीकः यह स्काइप की तरह IP मल्टीमीडिया वॉइस कॉल पर आधारित ढाँचा है, जो वॉइस कॉल के लिये इंटरनेट प्रोटोकॉल का प्रयोग करता है। LTE की तरह इससे न केवल डाउनलोडिंग, स्ट्रीमिंग और वेब ब्राउजिंग जैसी सेवाएँ ही प्राप्त की जा सकेंगी बल्कि वॉइस कॉल की सेवा भी प्राप्त की जा सकेगी। अत: कथन 1 और 2 सही हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : ‘मुक्त अंतरिक्ष प्रकाशिकी (FSO) तकनीक’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. यह ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क का एक विकल्प है। 
  2. इसमें डाटा संचरित करने के लिये मुक्त वायु स्पेक्ट्रम (free air spectrum) की आवश्यकता होती है।
  3. FSO नेटवर्क ब्रॉडबैंड की तुलना में बेहतर स्पीड प्रदान कर सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III 

(d) I, II और III

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-2 : (c)

 

व्याख्या : 

  • मुक्त अंतरिक्ष प्रकाशिकी (FSO) तकनीक- यह एक प्रकाशीय संचार तकनीक है जिसमें डाटा ऑप्टिकल कनेक्टिविटी की अनुमति देते हुए मुक्त अंतरिक्ष में प्रकाश के संचरण द्वारा प्रसारित होता है। FSO का कार्य OFC (ऑप्टिकल फाइबर केबल) नेटवर्क के सामान होता है किन्तु एकमात्र अंतर यह है कि ऑप्टिकल बीम OFC कोर्स (cores) की बजाय मुक्त वायु द्वारा भेजे जाते हैं अर्थात ग्लास फाइबर। अत: कथन 1 सही है।
  • FSO सिस्टम में पूर्ण डुप्लेक्स (दो दिशाओं से) देने के लिये दोनों छोर पर ऑप्टिकल ट्रान्सीवर लगे होते हैं। FOS एक LOS (line of sight) टेक्नोलॉजी है जहाँ डाटा, आवाज़ तथा वीडियो संचार फुल डुप्लेक्स कनेक्टिविटी के माध्यम से अधिकतम 10 Gbps के साथ प्राप्त किया जाता है। इसके कार्य करने के लिये किसी प्रकार के एयर स्पेक्ट्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती। अत: कथन 2 सही नहीं है।

 

इसके गुण:

 

  • मुक्त अंतरिक्ष प्रकाशिकी एक लचीला नेटवर्क है जो ब्रॉडबैंड से बेहतर गति देता है। अत: कथन 3 सही है।
  • इसका इन्स्टॉलेशन बहुत आसान है तथा सामान्य जगहों पर इसे इन्स्टॉल करने में 30 मिनट से भी कम समय लगता है।
  • इसमें प्रारंभिक निवेश बहुत कम होता है।
  • यह एक स्ट्रेट फॉरवर्ड डेवलपमेंट सिस्टम है। प्रयोक्ताओं के बीच स्पेक्ट्रम लाइसेंस या फ्रीक्वेंसी कोआर्डिनेशन की ज़रूरत नहीं पड़ती है जैसा कि इससे पहले रेडियो और माइक्रोवेव सिस्टम में यह आवश्यक था।
  • यह एक सुरक्षित प्रणाली है क्योंकि इसमें दृष्टि संचालन की रेखा है, इसलिये इसमें सुरक्षा व्यवस्था उन्नयन की आवश्यकता नहीं है।
  • इससे उच्च डेटा ट्रांसफर रेट प्राप्त किया जा सकता है, जो ऑप्टिकल फाइबर केबल की डेटा ट्रांसफर रेट के समतुल्य है किंतु त्रुटि दर बहुत कम है तथा बेहद संकीर्ण लेसर बीम एक विशिष्ट क्षेत्र में असीमित संख्या में FSO लिंक स्थापित करने में सक्षम बनाता है।
  • इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तथा रेडियो-मैग्नेटिक हस्तक्षेप से FSO लिंक में प्रसारण प्रभावित नहीं हो सकता है।
  • इसमें अपेक्षाकृत उच्च बैंड डेफ्थ होती है।
  • इसमें लचीला रोलआउट होता है।
  • ऑप्टिकल बीम का प्रसारण हवा में किया जाता है। अत: प्रकाश की गति से प्रसारण होता है।

 

चुनौतियाँ: मुक्त अंतरिक्ष प्रकाशिकी सिग्नल विभिन्न अवरोधों द्वारा प्रभावित होता है जैसे- भौतिक अवरोध, चमक, ज्यामितीय हानियाँ, नमी द्वारा अवशोषण, वातावरणीय विक्षोभ, वातावरणीय क्षीणता तथा फैलाव।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : निम्नलिखित में से किसे कोशिका के ऊर्जा गृह के रूप में जाना जाता है?

 

(a) नाभिक

(b) गॉल्जी उपकरण

(c) माइटोकाँड्रिया

(d) लाइसोसोम

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-3 : (c)

 

व्याख्या : 

  • माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका के ऊर्जा गृह के नाम से जानते हैं। कोशिका के अंदर विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के लिये आवश्यक ऊर्जा माइटोकॉण्ड्रिया द्वारा एटीपी (एडेनोसीन ट्रायफोस्फेट) अणुओं के रूप में जारी की जाती है। अत: (c) सही विकल्प है।
  • एटीपी को कोशिका की ऊर्जा मुद्रा के रूप में जाना जाता है। एटीपी खाद्य अणुओं के टूटने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को प्राप्त करता है और इसे अन्य कोशिकीय प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिये जारी करता है।
  • माइटोकॉण्ड्रिया दो झिल्लियों से ढका होता है। बाहरी झिल्ली बहुत असुरक्षित होती है। यह अंगों (organelle) की निरंतर सीमित सीमा से निर्मित होती है जबकि भीतरी झिल्ली कई परतों से बनी होती है, जिसे क्रिस्टी (cristae) कहते हैं। ये परतें एटीपी जनित रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिये एक बड़ा सतह क्षेत्र तैयार करती हैं।
  • माइटोकॉण्ड्रिया इस अर्थ में अनोखा अंग (organelles) होता है कि उसका अपना डीएनए और राइबोसोम्स होते हैं। इसलिये, माइटोकॉण्ड्रिया अपने स्वयं के कुछ प्रोटीनों में समर्थ होता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : निम्नलिखित में से कौन-सा समूह जीवों को विभिन्न स्तरों पर वर्गीकृत करने का सही अनुक्रम है?

 

(a) किंगडम > क्रम > संघ > वंश

(b) किंगडम > संघ > क्रम > वंश

(c) संघ > किंगडम > क्रम > वंश 

(d) संघ > किंगडम > वंश > क्रम

 

उत्तर - ()

 

उत्तर-4 : (b)

 

व्याख्या : 

  • विज्ञान में जीवों को वर्गीकृत करने की पद्धति को वर्गीकरण (टैक्सोनोमी) कहा जाता है (‘टैक्सिस’ का अर्थ है ‘व्यवस्था’ और श्नोमोस का अर्थ है पद्धति)। आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री कारोलस (कार्ल) लिनिअस द्वारा विकसित की गई थी।
  • उन्होंने विभिन्न प्रजातियों के बीच पहचान और भेद करने के लिये जीवों की साधारण शारीरिक विशेषताओं का इस्तेमाल किया।
  • कार्ल लिनिअस ने वर्गीकरण के लिये समूहों का एक पदानुक्रम विकसित किया। समानता के विभिन्न स्तरों में भेद करने के लिये प्रत्येक वर्गीकृत समूह, जिसे टैक्सोन कहते हैं, उसे अन्य समूहों में उपविभाजित किया जाता है। क्रम याद रखने के लिये, स्मरक (मनमोनिक) डिवाइस का उपयोग करना लाभदायक होता है।
  • पदानुक्रम इस प्रकार है: प्रजाति  > वंश > परिवार  > क्रम > वर्ग > संघ या प्रभाग (पौधों के लिये)  > किंगडम।

अत: (b) सही विकल्प है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये उपलब्ध थोरियम भंडारों का उपयोग करना है। 
  2. पहले चरण में प्राकृतिक यूरेनियम का संवर्द्धन आवश्यक नहीं है।
  3. भारत के पहले प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर का निर्माण भारत परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल I और II

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III 

(d) I, II और III

         

उत्तर - ()

 

उत्तर-5 : (a)

 

व्याख्या : 

भारत का तीन चरणों वाला परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम:

  • इसे वर्ष 1950 में होमी भाभा ने दक्षिण भारत के तटवर्ती क्षेत्रों के मोनाजाइट बालू में पाए जाने वाले यूरेनियम तथा थोरियम के भंडारों द्वारा देश के लिये लंबे समय तक ऊर्जा निर्भरता सुरक्षित करने के लिये इनके उपयोग की अवधारणा प्रतिपादित की थी। इस चरण का मुख्य उद्देश्य देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये भारत के थोरियम भंडारों का इस्तेमाल करना था। अत: कथन 1 सही है।
  • पहला चरण: दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR): पहले चरण में विद्युत उत्पादन के लिये प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन वाले भारी दबाव युक्त जल रिएक्टर का इस्तेमाल किया गया जिससे एक उप-उत्पाद प्लूटोनियम-239 उत्पन्न होता है।
  • PHWR में यूरेनियम संवर्द्धन से U- 235 का सांद्रण आवश्यक नहीं होता है। U-238 प्रत्यक्ष रूप से रिएक्टर कोर में सिंचित हो जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • लगभग संपूर्ण भारतीय परमाणु ऊर्जा (6780MW) का आधार पहले चरण पर निर्भर है।
  • दूसरा चरण: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR): दूसरे चरण में FBR प्लूटोनियम-239 का उपयोग करेगा जिसे प्रथम चरण से तथा प्राकृतिक यूरेनियम से प्राप्त किया गया है। FBR में प्लूटोनियम- 239 का विखंडन होता है तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है जबकि ईंधन में उपस्थित यूरेनियम-238 अतिरिक्त प्लूटोनियम-239 में परिवर्तित हो जाता है।
  • भारत का पहला 500 मेगावाट का फास्ट ब्रीडर परमाणु रिएक्टर वर्तमान में कलपक्कम में मद्रास एटॉमिक पॉवर स्टेशन में भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा निर्मित किया जा रहा है। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  • तीसरा चरण: थोरियम आधारित रिएक्टर; तीसरे चरण के रिएक्टर में यूरेनियम-233 का उपयोग होता है।