नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 204
Posted on August 29th, 2019 | Create PDF File
प्रश्न-1 : ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (PSLV) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- इसे मुख्यत: ‘पृथ्वी-अवलोकन’ या दूर-संवेदन ‘उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिये निर्मित किया गया है।
- यह तरल चरणों वाला प्रथम भारतीय प्रमोचन यान है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तर-1 : (c)
व्याख्या :
- ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन (PSLV) भारत की तीसरी पीढ़ी का प्रमोचन यान है। यह भारत का पहला प्रमोचन यान है जो तरल चरणों से युक्त है। अत: कथन 2 सही है।
- PSLV को मुख्य रूप से ‘पृथ्वी-अवलोकन’ या ‘दूर-संवेदन’ (रिमोट सेंसिंग) उपग्रहों को लगभग 1750 किग्रा. तक द्रव्यमान की उत्थापन क्षमता के साथ 600-900 किमी. की ऊँचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक वृत्ताकार ध्रुवीय कक्षाओं में पहुँचाने के लिये डिज़ाइन किया गया है। अत: कथन 1 सही है।
- PSLV का उपयोग लगभग 1400 किलो. तक के निचले उत्थापन द्रव्यमान (lower lift-off mass) के उपग्रहों को दीर्घ वृत्ताकार भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट: GTO) में प्रक्षेपित करने के लिये भी किया जाता है।
प्रश्न-2 : इसरो नैनो सैटेलाइट्स (INS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- INS प्रणाली को PSLV पर बड़े उपग्रहों के साथ संलग्न करने के लिये सह-यात्री उपग्रह के रूप में विकसित किया गया है।
- इसके प्राथमिक उद्देश्यों में विश्वविद्यालयों/अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के लिये नवोन्मेषी पेलोड को ले जाना शामिल है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तर-2 : (c)
व्याख्या :
- इसरो नैनो सेटेलाइट (INS) एक बहुमुखी और मॉड्यूलर नैनो उपग्रह प्रणाली है जिसकी अभिकल्पना भविष्य के विज्ञान और प्रयोगात्मक पेलोड के लिये की गई है।
- 3 किलो. पेलोड और 11 किलो. तक के कुल उपग्रह द्रव्यमान को ले जाने की क्षमता वाला यह उपग्रह भावी उपयोग के लिये अपार अवसर प्रदान करता है।
- INS प्रणाली को PSLV प्रक्षेपण यान पर बड़े उपग्रहों के साथ संलग्न करने के लिये सह-यात्री उपग्रह के रूप में विकसित किया गया है। अत: कथन 1 सही है।
- इसके प्राथमिक उद्देश्यों में मांग सेवाओं पर प्रक्षेपण के लिये एक मानक उपग्रह बस प्रदान करना और नवीन अंतरिक्ष उपकरण ले जाने का अवसर उपलब्ध करवाना शामिल है।
- INS प्रणाली के प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार हैं:
♦ कम लागत वाले मॉड्यूलर नैनो सैटेलाइट का निर्माण और विकास।
♦ इसरो प्रौद्योगिकी प्रदर्शन पेलोड के लिये एक अवसर प्रदान करना।
♦ मांग सेवा पर प्रक्षेपण के लिये एक गुणवत्तापरक बस उपलब्ध कराना।
♦ विश्वविद्यालयों/अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के लिये नवीन अंतरिक्ष उपकरण उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान करना। अत: कथन 2 सही है।
प्रश्न-3 : एस्ट्रोसैट मिशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- यह भारत का पहला समर्पित खगोल विज्ञानीय मिशन है।
- यह भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला है।
- यह विभिन्न खगोलीय पिंडों के एक साथ बहु-तरंगदैर्ध्यों वाले अवलोकन में सहायता करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर - ()
उत्तर-3 : (d)
व्याख्या :
- एस्ट्रोेसैट पहला समर्पित भारतीय खगोलीय मिशन है जिसका उद्देश्य खगोलीय स्रोतों का एक्स-रे, दृश्य प्रकाश तथा UV वर्णक्रम बैण्डों में एक साथ अध्ययन करना है। अत: कथन 1 सही है।
- यह भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला है। अत: कथन 2 सही है।
- एस्ट्रोसैट मिशन का एक विशेष लक्षण है कि यह एकल उपग्रह के माध्यम से विभिन्न खागोलीय पिंडों के एक साथ बहु-तरंगदैर्ध्य प्रेक्षणों में सहायता प्रदान करता है। अत: कथन 3 सही है।
- एस्ट्रोसैट मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्य हैं:
♦ न्यूट्रोन तारों तथा ब्लैक होल से युक्त बाइनरी तारक प्रणाली (Binary Star Systems) में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं को समझना;
♦ न्यूट्रोन तारक के चुंबकीय क्षेत्र का आकलन;
♦ हमारी आकाशगंगा से परे स्थित तारक प्रणालियों में तारक उत्पत्ति क्षेत्र तथा उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं का अध्ययन;
♦ आकाश में नए संक्षिप्त चमकीले एक्स-रे स्रोत का पता लगाना;
♦ पराबैंगनी प्रकाश में ब्रह्माण्डघ् का सीमित गहन क्षेत्र सर्वेक्षण करना।
प्रश्न-4 : सुपरक्लस्टर्स के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- ये ब्रह्माण्ड में देखी जाने वाली सबसे बड़ी आबद्ध संरचनाएँ हैं।
- सबसे पहले खोजा गया इस तरह का बड़ा सुपरक्लस्टर सरस्वती सुपरक्लस्टर था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तर-4 : (a)
व्याख्या :
- आकाशगंगाएँ (गैलेक्सीज़) ब्रह्मांड की निर्माण इकाई की तरह होती हैं। इनमें बड़ी संख्या में तारे समाविष्ट होते हैं।
- गैलेक्सी समूहों में तीन से 20 आकाशगंगाएँ हो सकती हैं, सबसे समृद्ध प्रणालियों को क्लस्टर कहा जाता है (जैसे वर्ग क्लस्टर) जिसमें कई सौ तक आकाशगंगाएँ हो सकती हैं।
- सुपरक्लस्टर्स के क्लस्टर हैं जिनमें दो क्लस्टर भी हो सकते हैं, हालाँकि सुपरक्लस्टर में सामान्यत: दो से चार क्लस्टर होते हैं। सुपरक्लस्टर ब्रह्मांड में सबसे बड़ी आबद्ध संरचनाएँ हैं। अत: कथन 1 सही है।
- सबसे पहले गैस और डार्क मैटर के साथ आकाशगंगाओं के मेल से क्लस्टर बनते हैं। ऐसे क्लस्टरों के बड़े समूह जो फिलामेंट्स से जुड़े होते हैं तथा वोयड्स (खाली स्थान) द्वारा एक-दूसरे से पृथक होते हैं, मिलकर सुपरक्लस्टर बनाते हैं।
- भारतीय खगोलविदों के एक समूह ने आकाशगंगाओं के एक विशाल सुपरक्लस्टर की खोज की है और इसका नाम सरस्वती रखा है। इसमें फिलामेंट्स के नेटवर्क से जुड़े आकाशगंगाओं के 42 क्लस्टर हैं।
- सुपरक्लस्टर लगभग 4 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर है और 600 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल दीवार पर फैला हुआ है। इस प्रकार यह अब तक खोजे गए सबसे बड़े तथा सबसे दूर स्थित सुपरक्लस्टर में से एक है।
- सुपरक्लस्टर सरस्वती स्लोन डिजिटल स्काई सर्वे (SDSS) के स्ट्रिप 82 में स्थित है। यह पाइसेज तारामंडल में अवस्थित है।
- SDSS ब्रह्मांड का डिजिटल 3D मानचित्र बनाने की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत वर्ष 2000 में हुई तथा इन वर्षों में इसके द्वारा आकाश के एक-चौथाई से अधिक भाग का मानचित्रण कर लिया गया है। इसने लगभग 930,000 आकाशगंगाओं का मानचित्रण किया है। SDSS ने अब तक लगभग 5 करोड़ आकाशगंगाएँ खोज ली हैं।
- आकाशगंगाओं के पहले सुपरक्लस्टर, शेपली सुपरक्लस्टर की खोज 1989 में की गई थी और दूसरे सुपरक्लस्टर स्लोन ग्रेट वॉल को 2003 में खोजा गया। क्षीरमार्ग (मिल्की वे) आकाशगंगा लैनीयकी (laniakea) सुपरक्लस्टर का हिस्सा है, जिसे 2014 में खोजा गया था। अत: कथन 2 सही नहीं है।
प्रश्न-5 : नेशनल लार्ज सोलर टेलीस्कोप (NLST) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- NLST के लिये प्रस्तावित स्थल पुणे में होगा।
- परिचालित होने के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा दूरबीन होगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तर-5 : (d)
व्याख्या :
- NLST परियोजना में जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चांगथांग शीत रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य में ‘2-m वर्ग के अत्याधुनिक सौर दूरबीन’ की स्थापना शामिल है। अत: कथन 1 सही नहीं है।
- लद्दाख क्षेत्र को परियोजना के लिये इष्टतम वायुमंडलीय गुणों के साथ एक स्थान के रूप में चुना गया था, जैसे कि अच्छी धूप के साथ अच्छे खगोलीय दृश्य एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता थी।
- यह दुनिया की सबसे बड़ी सौर दूरबीन (2 मीटर) होगी। वर्तमान में मैकमाथ-पियर्स सोलर टेलीस्कॉप 1.6 मीटर की व्यास के साथ दुनिया की सबसे बड़ी सौर दूरबीन है। अत: कथन 2 सही नहीं है।
- इसे सौर चुंबकीय क्षेत्रों की उत्पत्ति और गतिशीलता से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक मुद्दों को समझने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इस उपकरण में अंतरिक्ष आधारित मिशन ADITYA (जिसे वर्ष 2020 में लॉन्च किया जाना है) और ग्राउंड आधारित MAST (Multi Application Solar Telescope) दूरबीन (उदयपुर) से किये गए बहुल सौर वायुमंडलीय अवलोकनों को सहयता तथा पूरकता मिलने की संभावनाएँ हैं।
- NLST भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्त्ताओं को सूर्य में मौलिक प्रक्रियाओं को समझने हेतु अत्याधुनिक शोध करने की सुविधा देगा। यह दुनिया की ऐसी कुछ दूरबीनों में से एक होगी जिनके पास दिन और रात दोनों समय में खगोलीय अवलोकन की क्षमता है।
- NLST परियोजना के अन्य मुख्य लक्ष्यों में चुंबकीय क्षेत्र की उत्पत्ति और सौर चक्र, चुंबकीय क्षेत्रों की गतिशीलता, सौर भूकंप विज्ञान, दीर्घकालिक परिवर्तनशीलता, ऊर्जा-संबंधी परिघटनाओं एवं गतिविधियों का अध्ययन और रात के समय खगोलीय अध्ययन शामिल है।