नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 195
Posted on August 9th, 2019 | Create PDF File
प्रश्न-1 : सड़क परिवहन बुनियादी ढाँचा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण/सुधार/सीमावर्ती क्षेत्रों में राष्ट्रीय राजमार्गों के चौड़ीकरण का कार्य करता है।
- सेतु भारतम का उद्देश्य 2019 तक सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त करना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
प्रश्न-2 : सड़कों का राष्ट्रीय राजमार्ग, राजकीय राजमार्ग, ज़िला मार्ग और ग्रामीण मार्ग के रूप में वर्गीकरण निम्नलिखित में से किसके द्वारा प्रस्तावित किया गया था ?
(a) राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956
(b) केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, 1950
(c) नागपुर योजना, 1934
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
प्रश्न-3 : टैंक सिंचाई सामान्यत: भारत के दक्षिण-मध्य भागों में प्रचलित है। इसका/इसके क्या कारण हो सकता है/सकते हैं ?
- कम गहराई पर अपर्याप्त भू-जल।
- चट्टानी पठार के साथ कठोर एवं ऊबड़-खाबड़ भू-सतह।
- मोड़दार भू-सतह (Undulating terrain) के चलते ज़मीन पर बने बड़े-बड़े गढ्ढे अथवा मानव निर्मित टैंकों में वर्षा जल का संग्रहण हो जाता है।
नीचे दिये गए कूटों का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये -
(a) केवल I
(b) केवल I और II
(c) केवल II और III
(d) I, II और III
उत्तर - ()
प्रश्न-4 : भारत में कृषि जलवायु प्रदेशों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- भारत में कृषि जलवायु प्रदेशों के विकास का एक प्रमुख उद्देश्य कृषि के विकास में असमानता को कम करना है।
- कृषि जलवायु प्रदेशों की रूपरेखा सामान्य तौर पर वाणिज्यिक उद्देश्यों पर आधारित होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II
(c) I और II दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
प्रश्न-5 : नीलगिरि जीवमंडल निचय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं ?
- यह भारत का प्रथम जीवमंडल निचय है।
- यह संकटापन्न (endangered) जंतुओं की प्रजातियों, नीलगिरि तहर और शेर-पूँछ बंदर (मकाक) का आवास है।
- केरल की अगस्त्यमलाई पहाड़ी इसके अंतर्गत आती है।
नीचे दिये गए कूटों का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल II
(b) केवल III
(c) केवल II और III
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ()
उत्तरमाला
उत्तर-1 : (b)
व्याख्या :
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढाँचागत विकास निगम
- राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढाँचागत विकास निगम, पूर्णत: सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय के स्वामित्व वाली कंपनी है जो विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने के लिये उनके सीमावर्ती राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण/उन्नयन/चौड़ीकरण का कार्य दीर्घकालिक स्तर पर करती है।
- अत: कथन 1 सही नहीं है।
- सेतु भारतम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये 2019 तक रेल उपरिगमी सेतु/अंत: मार्ग का निर्माण करके सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त करना है।
- अत: कथन 2 सही है।
उत्तर-2 : (c)
व्याख्या :
- वर्ष 1934 में, नागपुर में केंद्र सरकार ने केंद्रीय और राज्य सरकार के मुख्य अभियंताओं का एक सम्मेलन आयोजित किया था। यह भारत में सड़क विकास के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि योजनाबद्ध तरीके से सड़क विकास कार्यक्रम की योजना बनाने का यह पहला प्रयास था। इस सम्मलेन ने सड़क विकास के लिये 20 वर्षीय योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसे नागपुर योजना (1943 – 1963) के नाम से जाना गया। अतः विकल्प (c) सही है।
- इस योजना के तहत सड़कों को चार प्रकारों, नामत: राष्ट्रीय राजमार्ग, राजकीय राजमार्ग, ज़िला मार्ग और ग्रामीण मार्ग में वर्गीकृत किया गया।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने देश में सड़कों के विकास में अधिक रुचि दिखाई। नागपुर योजना के अधिकांश उद्देश्यों को वर्ष 1960 (पहली एवं दूसरी पंचवर्षीय योजना) तक पूरा कर लिया गया।
- आज़ादी के बाद भारत सरकार द्वारा सड़कों के विकास हेतु कई कदम उठाए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं-
♦ वर्ष 1956 में नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) की शुरुआत की गई। इस संस्थान को भारत में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक माना जाता है। यह संस्थान मुख्य रूप से व्यावहारिक अनुसंधानों से जुड़ा हुआ है और सड़क संबंधी विभिन्न समस्याओं पर राज्य सरकारों को तकनीकी सलाह प्रदान करता है।
♦ वर्ष 1956 में राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रख-रखाव की ज़िम्मेदारी केंद्रीय सरकार को प्रदान की गई थी।
♦ वर्ष 1958 में राज्यों के मुख्य इंजीनियरों की बैठक में अगले बीस वर्ष की सड़क विकास योजना (1961–81) को अंतिम रूप दिया गया था। यह चीफ इंजीनियर प्लान (Chief Enginner's Plan) के रूप में लोकप्रिय हुआ। इस योजना के तहत भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों में किये जाने वाले विकास पर भी विचार-विमर्श किया गया था।
उत्तर-3 : (d)
व्याख्या :
- दक्षिण भारत के पठार में अभेद्य चट्टानें वर्षा जल को भूमि के अंदर नहीं जाने देती हैं। यही कारण है कि वर्षा के जल को निचले इलाके में आसानी से संचित किया जा सकता है। टैंकों, तालाबों और झीलों में पानी के ऐसे जलाशयों से पम्प द्वारा पानी का उपयोग सिंचाई के लिये किया जा सकता है। अतः 1, 2 और 3 सही है।
- इस विधि की मुख्य खामी यह है कि यह गर्मी के मौसमी तापमान के कारण शुष्क मौसम में तब सिंचाई प्रदान नहीं करती जब सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है।
- इस प्रकार की सिंचाई मुख्यत: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में देखी जाती है। ऐसी सिंचाई पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार आदि में भी देखी जाती है।
उत्तर-4 : (a)
व्याख्या :
कृषि जलवायु क्षेत्र: ‘कृषि-जलवायु क्षेत्र’ प्रमुख जलवायु के संबंध में एक भूमि इकाई है, जो कि निश्चित फसलों और किस्मों के लिये उपयुक्त है। इस योजना का लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण की स्थिति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किये बिना भोजन, रेशा, चारा और ईंधन की लकड़ी को पूरा करने के लिये क्षेत्रीय संसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन करना है। कृषि जलवायवीय स्थितियाँ मुख्य रूप से मिट्टी के प्रकार, वर्षा, तापमान और पानी की उपलब्धता का उल्लेख करती हैं जो वनस्पतियों के प्रकार को प्रभावित करती हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है। कृषि जलवायु क्षेत्रों के मुख्य लक्ष्य इस प्रकार हैं:
- कृषि उत्पादन को अनुकूल बनाना;
- कृषि आय को बढ़ाना;
- अधिक ग्रामीण रोज़गार पैदा करना;
- उपलब्ध सिंचाई जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना;
- कृषि के विकास में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना। अतः कथन 1 सही है।
उत्तर-5 : (b)
व्याख्या :
- सितंबर 1986 में अस्तित्व में आया नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल भारत के कुल 18 संरक्षित जैवमंडलों में पहला है। इसमें वायनाड, नागरहोल, बांदीपुर और मुदुमला के अभयारण्य परिसर, नीलांबुर के संपूर्ण वन्य पहाड़ी ढलान, ऊपरी नीलगिरी पठार, साइलेंट वैली तथा सिरुवानी हिल्स शामिल हैं। संरक्षित जैवमंडल का कुल क्षेत्रफल लगभग 5520 वर्ग किमी. है। अत: कथन 1 सही है।
- नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल में विभिन्न प्रकार के अधिवास, सूखी झाड़ियाँ, शुष्क और नम पर्णपाती, अर्ध-सदाबहारी और नम सदाबहारी वन, सदाबहारी शीतोष्ण मोंटेन वन, घास के मैदान और दलदल जैसी प्राकृतिक वनस्पतियों के अछूते क्षेत्र शामिल हैं।
- इसमें दो संकटापन्न प्रजातियों नीलगिरि तहर और शेर-पूंछ बंदर (मकाक) की सबसे बड़ी ज्ञात आबादी शामिल है। इस संरक्षित क्षेत्र में दक्षिण भारत में हाथी, बाघ, गौर, सांभर और चीतल की सबसे बड़ी आबादी के साथ-साथ अच्छी संख्या में स्थानीय और लुप्तप्राय पौधे भी पाए जाते हैं। अत: कथन 2 सही है।
- पर्यावरण के सामंजस्यपूर्ण उपयोग के अपने पारंपरिक तरीकों के लिये पहचाने जाने वाले आदिवासी समूहों के अधिवास भी यहाँ पाए जाते हैं।
- 250 मीटर से लेकर 2650 मीटर की ऊँचाई तक नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल की स्थलाकृति में बहुत भिन्नता है। पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले फूलों के लगभग 80 प्रतिशत पौधे नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल में पाए जाते हैं।
- केरल में अगस्त्यमाला पहाड़ियाँ अगस्त्यमाला संरक्षित क्षेत्र के तहत आती हैं। अत: कथन 3 सही नहीं है।